बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के बाद पश्चिम बंगाल के संदिग्धों ने भी शहर छोड़ना शुरू कर दिया है। पुलिस ने संदिग्धों को उनके मूल निवास स्थान के थाने से पहचान सत्यापित कराने और दस्तावेज पेश करने के लिए 7 दिन का समय दिया है। इसके बाद पिछले तीन दिनों में एक हजार से अधिक दिहाड़ी मजदूर और घरेलू नौकर शहर से पलायन कर चुके हैं।
पुलिस ने 2151 संदिग्धों को पकड़ा
पत्रिका की पड़ताल में सामने आया कि जिला पुलिस ने 2 मई को बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठियों की धरपकड़ के लिए चलाए गए अभियान में जिले भर में 2151 संदिग्धों को पकड़ा था। इनमें से अधिकांश के पास पश्चिम बंगाल के आधार कार्ड थे। पुलिस ने उन्हें संबंधित थाने से अपने मूल निवास स्थान (पश्चिम बंगाल) की पहचान सत्यापित कराने के लिए 7 दिन का समय दिया है। पुलिस की कार्रवाई से डरे करीब एक हजार परिवार पहले ही दिन शहर से पलायन कर गए। पिछले दो दिनों में यह आंकड़ा 1500 को पार कर गया है। अगले दो दिनों में रातीडांग, ईदगाह बंगाली गली, चौरसियावास से 400 और बंगाली परिवार पलायन की तैयारी कर चुके हैं।
पुलिस ने दिया समय
2 मई को पुलिस ने अभियान चलाकर अजमेर दरगाह अंदर कोट, रातीडांग ईदगाह, पुष्कर, सरवाड़, किशनगढ़ मार्बल एरिया में 2151 से अधिक संदिग्धों को पकड़ा। दरगाह, सरवाड़ व गंज थाना पुलिस ने संदिग्धों की भीड़ में 5 बांग्लादेशी घुसपैठियों को भी पकड़ा। इनके निष्कासन की कार्रवाई शुरू कर दी गई है तथा अन्य संदिग्धों को अपने-अपने मूल निवास के थाने से पहचान सत्यापित कराने के लिए सात दिन का समय दिया गया है। इसके तहत संबंधित पुलिस द्वारा सत्यापित पश्चिम बंगाल में पैतृक मकान का प्रमाण पत्र, पंचायत प्रमाण पत्र तथा जमीन या मकान के दस्तावेज की फोटो मांगी गई है। 9 मई को पुलिस का समय समाप्त होने के बाद इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बोली सच्चाई बयां कर रही है...
पत्रिका टीम जब रातीडांग बंगाली गली पहुंची तो पोल्टू शेख ने बताया कि पश्चिम बंगाल से शेष मजदूर सोमवार रात को ट्रेन से रवाना होंगे। पुलिस उन्हें बंगाली भाषा के कारण संदिग्ध मान रही है। उन्होंने अपना आधार कार्ड, वोटर कार्ड दिखाया, लेकिन उनसे पुलिस सत्यापन, पंचायत प्रमाण पत्र और मकान या जमीन के कागजात मांगे गए हैं।
घरेलू काम-दिहाड़ी मजदूरी
सदाकाश उर्फ आकाश ने बताया कि महिलाएं घरों में झाड़ू-पोछा और पुरुष चूना-पत्थर का काम कर जीविकोपार्जन करते हैं। लेकिन पुलिस पिछले तीन दिनों से उन पर दबाव बना रही है। मजदूरी मिलते ही वे गांव चले जाएंगे। गौरतलब है कि रातीडांग, ईदगाह क्षेत्र में रहने वाले बंगाली पंचशील नगर, अलखनंदा कॉलोनी, बलदेव नगर, वैशाली नगर के आसपास के इलाकों में मजदूरी करते हैं। पिछले तीन-चार दिनों से इन इलाकों में मजदूरों की कमी हो गई है।
इनका कहना है...
संदिग्धों को सात दिन के अंदर संबंधित थाने से अपनी पहचान सत्यापित कराने का निर्देश दिया गया है। जो असली पश्चिम बंगाल के मजदूर हैं, वे सत्यापन के बाद वापस लौट जाएंगे। बिना पहचान सत्यापन के किसी भी संदिग्ध को थाना क्षेत्र में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
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