Next Story
Newszop

जगदीप धनखड़: उपराष्ट्रपति ने अचानक दिया इस्तीफ़ा, जानिए अब क्या होगा?

Send Push
Sonu Mehta/Hindustan Times via Getty Images जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े के बाद कांग्रेस पार्टी ने कई सवाल उठाए हैं

जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.

सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेजे अपने इस्तीफ़े में उन्होंने कहा है कि अब वो अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देंगे.

धनखड़ ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा है, ''मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के मुताबिक़, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा देता हूँ.''

74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था. ऐसे में उनका कार्यकाल 2027 तक था.

अब सवाल ये है कि अगर उपराष्ट्रपति अचानक इस्तीफ़ा दे देते हैं, तो उनकी ज़िम्मेदारी कौन संभालता है?

कैसे होता है अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव, संविधान में इसके लिए क्या प्रावधान हैं?

उपराष्ट्रपति बनने के लिए क्या योग्यताएँ हैं, चुनाव आयोग के नियम क्या कहते हैं?

आइए जानते हैं इन्हीं सवालों के जवाब -

क्या कहता है संविधान? image @VPIndia राष्ट्रपति को भेजा गया जगदीप धनखड़ का इस्तीफ़ा

भारत में उपराष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति के पद के बाद सर्वोच्च संवैधानिक पद होता है.

संविधान के मुताबिक़ उपराष्ट्रपति का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 63 से 71 और उपराष्ट्रपति (चुनाव) नियमावली 1974 के तहत होता है.

अब जबकि उपराष्ट्रपति का पद ख़ाली है, तो चुनाव आयोग को नए उप राष्ट्रपति के चुनाव की व्यवस्था करनी होगी.

  • जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े पर अटकलें तेज़, विवादों से क्यों जुड़ा रहा उनका सियासी सफ़र
  • जगदीप धनखड़ के ख़िलाफ़ ऐतिहासिक अविश्वास प्रस्ताव, क्या है राज्यसभा के सभापति को पद से हटाने की प्रक्रिया?
  • उप राष्ट्रपति धनखड़ ने न्यायपालिका के बारे में ऐसा क्या कहा, जिस पर छिड़ी बहस
कितने दिनों के अंदर कराना होगा उपराष्ट्रपति का चुनाव? image Getty Images

संविधान में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति के पद को जल्द से जल्द भरना होगा. यानी इस पद पर चुनाव के लिए जितनी जल्दी हो व्यवस्था करनी होगी.

संविधान के अनुच्छेद 68 के खंड 2 के मुताबिक़, उपराष्ट्रपति के निधन, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से ख़ाली होने वाली जगह को भरने के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराने का प्रावधान है.

नियमों के मुताबिक़ सामान्य परिस्थितियों में अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव निवर्तमान उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर करना होता है.

उपराष्ट्रपति का कार्यकाल ख़त्म होने से पहले ही ये चुनावी प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है.

लेकिन ये पद अगर उपराष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफ़े या पद से हटाए जाने या दूसरे कारण से ख़ाली होता है, तो इसे भरने के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराने की व्यवस्था की जाती है.

कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव? image Getty Images जगदीप धनखड़ के साथ उनकी पत्नी सुदेश धनखड़ (फ़ाइल फ़ोटो)

संविधान के अनुच्छेद 66 के मुताबिक़ संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों से मिलकर बना निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज उपराष्ट्रपति चुनता है.

अनुपातिक प्रतिनिधित्व के मुताबिक़ चुनाव सिंगल ट्रांसफ़रेबल वोट के ज़रिए होता है. ये वोटिंग गुप्त मतदान यानी सीक्रेट बैलेट के ज़रिए होती है.

  • राज्यसभा में जगदीप धनखड़ और खड़गे के बीच बहस, किसने क्या कहा?
  • बीजेपी नेताओं और उप राष्ट्रपति धनखड़ के सुप्रीम कोर्ट पर उठाए सवाल कितने सही?
  • जगदीप धनखड़ को एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, पीएम मोदी क्या बोले
उपराष्ट्रपति चुने जाने के लिए क्या योग्यता चाहिए? image Getty Images जगदीप धनखड़ (फ़ाइल फ़ोटो)

कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति तभी चुना जा सकता है, जब वह

1. भारत का नागरिक हो

2. 35 वर्ष की उम्र पूरी कर चुका हो

3. राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो.

कोई व्यक्ति जो भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के अधीन किसी लाभ के पद पर हो, वो इसके योग्य नहीं होगा.

धनखड़ की ग़ैर मौजूदगी में कौन संभालेगा उनका काम? image ANI राज्यसभा के उप सभापति डॉ. हरिवंश

संविधान में इस बारे में कुछ नहीं कहा गया हैकि कार्यकाल समाप्त होने से पहले उपराष्ट्रपति के निधन या उनके इस्तीफ़े या फिर उपराष्ट्रपति के राष्ट्रपति के तौर पर काम करने की स्थिति में उनका काम कौन देखेगा.

भारत के संविधान के तहत उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है.

संविधान में उपराष्ट्रपति से संबंधित केवल एक प्रावधान है, जो राज्यसभा के सभापति के रूप में उनके कार्य से जुड़ा है.

अगर यह पद ख़ाली हो जाता है, तो यह काम राज्यसभा के उपसभापति या किसी अन्य राज्यसभा सदस्य की ओर से किया जाता है, जिसे भारत के राष्ट्रपति ने अधिकृत किया हो.

  • 'आप पीएम मोदी का बचाव क्यों कर रहे हैं?' कांग्रेस के इस आरोप पर जगदीप धनखड़ ने दिया ये जवाब
  • मल्लिकार्जुन खड़गे: सुर्खियां बटोरने वाले तेवर और बीजेपी से टक्कर लेने की रणनीति
  • भारत में अब तक जजों के ख़िलाफ़ आए महाभियोग प्रस्तावों में क्या-क्या हुआ है?
उपराष्ट्रपति की भूमिका image PUNJAB/AFP via Getty Images भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (बिल्कुल बाएं) - फ़ाइल फ़ोटो

भारत में उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे ऊँचा संवैधानिक पद होता है.

वो पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा करते हैं, लेकिन कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद, जब तक नया उपराष्ट्रपति पदभार नहीं संभालता, तब तक वो पद पर बने रह सकते हैं.

हालाँकि उपराष्ट्रपति संसद के किसी सदन या किसी विधानसभा का सदस्य नहीं होता है.

संविधान के मुताबिक़ उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग, या बर्ख़ास्तगी या अन्य कारणों से राष्ट्रपति का पद ख़ाली होने से लेकर राष्ट्रपति का जल्द से जल्द चुनाव होने तक ( जो किसी भी स्थिति में पद ख़ाली होने की तारीख़ से छह माह के बाद तक नहीं होगा) राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है.

जब राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य किसी कारण से अपना काम न कर पाएँ, तब उपराष्ट्रपति ये ज़िम्मेदारी संभालते हैं.

इस अवधि के दौरान, उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की सभी शक्तियाँ और विशेषाधिकार हासिल होते हैं.

उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के एक ऐसे प्रस्ताव के ज़रिए पद से हटाया जा सकता है, जिसे राज्यसभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत ने पारित किया हो और जिससे लोकसभा सहमत हो.

धनखड़ का राजनीतिक सफ़र image Getty Images प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ जगदीप धनखड़ (फ़ाइल फ़ोटो)

जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू ज़िले के किठाना गाँव में हुआ था.

उन्होंने गाँव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1‑5 की पढ़ाई की और फिर घरधाना सरकारी मिडिल स्कूल में दाख़िला लिया. साल 1962 में स्कॉलरशिप पर चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल में दाख़िला हुआ.

उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज से बीएससी (फिज़िक्स ऑनर्स) की डिग्री हासिल की. इसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी (1978‑79) की पढ़ाई पूरी की.

धनखड़ ने नवंबर 1979 से राजस्थान बार काउंसिल के सदस्य के रूप में वकालत शुरू की.

मार्च 1990 को उन्हें राजस्थान हाई कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया. धनखड़ 1990 से ही सुप्रीम कोर्ट में भी वकालत करते रहे.

उनका राजनीतिक करियर 1989 में जनता दल के टिकट से (भाजपा समर्थन) झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर शुरू हुआ.

वे 1990‑91 के दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री (संसदीय कार्य मंत्रालय) भी रहे. जनता दल विभाजन के बाद धनखड़ 1991 में कांग्रेस में शामिल हुए और अजमेर से कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए.

साल 2003 में धनखड़ बीजेपी में शामिल हो गए. 1993‑98 के बीच वे किशनगढ़ विधानसभा सीट से विधायक रहे.

लोकसभा और विधानसभा के अपने कार्यकाल में वे कई प्रमुख संसदीय समितियों के सदस्य रहे.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

  • बिहार में वोटर लिस्ट रिवीज़न पर योगेंद्र यादव बोले- 'ये तीन चीज़ें भारत में 75 साल के इतिहास में कभी नहीं हुईं'
  • वन नेशन-वन इलेक्शन लागू हुआ तो क्या कार्यकाल रहते विधानसभाएं भंग कर दी जाएंगी?
  • मोदी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को बताया सक्सेस स्टोरी, क्या है सच्चाई
  • कौन चुनाव नहीं लड़ सकता और कौन वोट नहीं दे सकता?
image
Loving Newspoint? Download the app now