कुछ लोग सुबह नहाना पसंद करते हैं, तो कुछ शाम को.
लेकिन आपकी सेहत के लिहाज़ से नहाने के लिए कौन-सा वक़्त ज़्यादा बेहतर है?
इस पर लोगों की अलग-अलग राय है.
आप सुबह उठते ही नहाते हैं या रात को सोने से पहले?
या फिर आप उन 34 प्रतिशत अमेरिकियों में से हैं जो रोज़ नहाते ही नहीं.
ऐसे में यह सवाल उठता है कि सुबह या शाम को नहाने का सेहत पर क्या असर पड़ता है?
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कई लोगों को सुबह उठते ही नहाना होता है.
ऐसे लोग मानते हैं कि इससे उन्हें तरोताज़ा महसूस करने और दिन की शुरुआत करने के लिए तैयार होने में मदद मिलती है.
वहीं रात को नहाने वाले कहते हैं कि दिन भर की गंदगी धोकर बिस्तर पर जाना उन्हें गहरी और सुकून भरी नींद देता है.
नहाने के समय को लेकर विज्ञान क्या कहता है?
किस समय नहाना हमारे लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद है?
नहाना क्यों ज़रूरी है?
नहाने से हमारी त्वचा से गंदगी और पसीना साफ़ करने में मदद मिलती है.
दिन भर हमारा शरीर धूल जैसी कई तरह की गंदगी के संपर्क में आता है.
अगर आप सोने से पहले नहाते नहीं हैं, तो यह सब आपकी चादर और तकिए पर जमा हो जाता है.
इतना ही नहीं, हमारी त्वचा पर कई तरह के सूक्ष्मजीव होते हैं.
त्वचा के हर वर्ग सेंटीमीटर पर 10 हज़ार से लेकर 10 लाख तक बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं.
ये पसीने की ग्रंथियों से निकलने वाले तेल पर निर्भर होते हैं.
पसीने की अपनी कोई गंध नहीं होती, लेकिन स्टैफ़िलोकोकस जैसे बैक्टीरिया से बनने वाले सल्फ़र यौगिकों की वजह से बदबू आती है.
इसलिए सोने से पहले नहाना ज़्यादा स्वच्छ विकल्प लग सकता है. लेकिन सच्चाई थोड़ी जटिल है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ लेस्टर की माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रिमरोज़ फ़्रीस्टोन कहती हैं, "अगर आप रात को नहाते हैं तो बिस्तर पर साफ़-सुथरे जाते हैं, लेकिन रात भर में आपको पसीना आता ही है."
फ़्रीस्टोन के मुताबिक़ ठंडे मौसम में भी इंसान रात भर में तकिए और बिस्तर पर 230 मिलिमीटर तक पसीना छोड़ता है.
यह डस्ट माइट्स के लिए दावत जैसा माहौल बनाता है. डस्ट माइट्स बहुत छोटे, कीड़े होते हैं जो मृत त्वचा कोशिकाओं को खाते हैं और गर्म, नम वातावरण में पनपते हैं.
फ़्रीस्टोन कहती हैं, "आप एक तरह का पसीने वाला माइक्रो-एनवायरनमेंट बना देते हैं, जिस पर आपकी त्वचा के बैक्टीरिया पलते हैं और हल्की गंध पैदा करते हैं. इसलिए अगर आप रात को नहा कर सोते हैं, तो सुबह उठने पर भी आपके शरीर में हल्की-सी गंध रहती है."
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रात में नहाने के फ़ायदे तभी मिलते हैं, जब आप अपने बिस्तर की चादर नियमित रूप से धोते हों.
बैक्टीरिया रज़ाई, चादर और तकिए पर कई हफ़्तों तक रह सकते हैं.
डस्ट माइट्स भी समय के साथ बढ़ते जाते हैं, और नमी वाले हिस्सों जैसे तकिए पर फंगस भी जम सकते हैं.
बेहतर इम्यून सिस्टम वाले लोग इस तरह की चीज़ों से निपट सकते हैं, लेकिन गंभीर अस्थमा से जूझ रहे करीब 76% लोग कम से कम एक प्रकार के फंगस से एलर्जिक होते हैं.
वहीं ए. फ्यूमिगेटस के संपर्क में आने से टीबी या धूम्रपान से जुड़ी फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों में क्रॉनिक लंग डिज़ीज़ हो सकती है.
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ़ हल में वाउंड हीलिंग एंड द माइक्रोबायोम की सीनियर लेक्चरर होली विल्किंसन कहती हैं, "शाम को नहाने से ज़्यादा ज़रूरी है अपनी चादर साफ़ करना क्योंकि अगर आप नहाकर सो जाते हैं और एक महीने तक बेड की चादर ऐसे ही छोड़ देते हैं, तो उस पर बैक्टीरिया, गंदगी और डस्ट माइट्स जमा हो जाएँगे."
यह एक समस्या है, क्योंकि लंबे समय तक डस्ट माइट्स के संपर्क में रहने से एलर्जी का ख़तरा बढ़ जाता है.
अगर आप पहले से ही एलर्जी करने वाली चीज़ों के प्रति संवेदनशील हैं, तो अपने बिस्तर की चादर नहीं धोने से भी आपके लक्षण और बिगड़ सकते हैं.
यह भी संभव है कि नियमित रूप से गंदी चादर पर सोने से स्किन इन्फ़ेक्शन का ख़तरा बढ़ सकता है, हालाँकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
सोने से पहले या सुबह-सुबह नहाने के फ़ायदेरात में नहाना पसंद करने वाले कुछ लोगों का तर्क है कि इससे उन्हें बेहतर नींद आती है और इस बात के प्रमाण भी मौजूद हैं.
उदाहरण के लिए, 13 अध्ययनों के नतीजों की तुलना करने वाले एक मेटा-एनालिसिस में पाया गया कि सोने से एक या दो घंटे पहले 10 मिनट तक गुनगुने पानी से नहाने से नींद आने में लगने वाला समय काफ़ी कम हो जाता है.
अब सवाल ये कि सुबह या शाम, किस वक़्त नहाना बेहतर होता है?
फ़्रीस्टोन सुबह नहाने को प्राथमिकता देती हैं, क्योंकि इससे रात में बिस्तर पर जमा हुआ ज़्यादातर पसीना और कीटाणु साफ़ हो जाते हैं.
इससे ज़्यादा साफ़ तरीके से दिन की शुरुआत करने में मदद मिलती है.
हालाँकि, यह संभव है कि आपके इस फ़ैसले से आपके स्वास्थ्य पर बहुत कम फ़र्क़ पड़े.
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप दिन में ताज़ा और साफ़ रहना पसंद करते हैं या रात में.
विल्किंसन कहती हैं, "अगर आप दिन में एक बार नहाते हैं, तो इससे कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आप दिन के किस समय नहाते हैं."
दरअसल, जब तक आप शरीर के अहम हिस्सों को रोज़ाना धोते हैं, तो हफ़्ते में दो बार नहाना स्वास्थ्य और स्वच्छता बनाए रखने के लिए काफ़ी है.
वह कहती हैं, "हालाँकि, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप किस तरह का काम करते हैं, इसलिए अगर आप किसान हैं, तो आप दिन के अंत में घर आकर नहाना चाहेंगे, लेकिन मुझे लगता है कि कुल मिलाकर बिस्तर साफ़ रखना ज़्यादा ज़रूरी है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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