कोलकाता, 24 मई (हि.स.) ।
बांग्लादेश आधारित इस्लामी कट्टरपंथी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के तीन भारतीय सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद पश्चिम बंगाल पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने जांच का दायरा अब बढ़ा दिया है। पता चला है कि इन आतंकियों का पाकिस्तान कनेक्शन भी रहा है। इनमें से एक आरोपित अबासुद्दीन मोल्ला के मोबाइल फोन से मिली कोडित और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग से पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर आधारित आतंकी संगठन अंसार गजवात-उल-हिंद से जुड़ाव के संकेत मिले हैं।
एसटीएफ ने अबासुद्दीन को दक्षिण 24 परगना ज़िले के डायमंड हार्बर इलाके के पाटुरी गांव से गिरफ्तार किया था। इससे पहले बीरभूम ज़िले से अज़मल हुसैन और साहेब अली ख़ान नामक दो अन्य आरोपितों को पकड़ा गया था। अज़मल और साहेब के फोन से मिली जानकारी के अनुसार, उनका संबंध मुख्यतः जेएमबी के अलावा बांग्लादेशी कट्टरपंथी संगठनों हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) और अंसारुल्ला बांग्ला टीम (एबीटी) से था।
एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ के दौरान आरोपितों के मोबाइल से बरामद कोडित संदेशों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। पुलिस इस समय इन तीनों से राज्य में जेएमबी के स्लीपर सेल नेटवर्क और उसके लिए भर्ती किए गए लोगों के बारे में विस्तृत पूछताछ कर रही है।
इसी बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय को खुफिया एजेंसियों से एक रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसमें मुर्शिदाबाद ज़िले में हाल ही में वक्फ (संशोधन) कानून के विरोध में हुई हिंसा और तोड़फोड़ में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की भूमिका की आशंका जताई गई है। इस खुफिया इनपुट में जेएमबी, एचयूटी और एबीटी के नाम सामने आए हैं।
विशेष रूप से मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज और धूलियान जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव और हिंसा की तीव्रता को देखते हुए अंसारुल्ला बांग्ला टीम (एबीटी) की भूमिका को अधिक संभावित माना जा रहा है। इन इलाकों के ठीक दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय सीमा के उस पार, बांग्लादेश का चापाई नवाबगंज जिला स्थित है, जिसे एबीटी का गढ़ माना जाता है। इसी भौगोलिक निकटता के चलते एबीटी की संलिप्तता की संभावना को बल मिल रहा है।
पुलिस ने बीरभूम ज़िले की एक अदालत को अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें पूछताछ और मोबाइल से मिली डिजिटल सामग्री के आधार पर किए गए खुलासों को प्रस्तुत किया गया है। मामले की गहन जांच जारी है और राज्य की सुरक्षा एजेंसियां इन कट्टरपंथी नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के प्रयास में जुटी हुई हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर
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