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Amazon की नौकरी छोड़ी, IITian ने ज्वेलरी बिजनेस से बनाई ₹1,300 करोड़ की कंपनी! पढ़ें स्टार्टअप से IPO तक का पूरा सफर

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एक वक्त था जब गौरव सिंह कुशवाहा Amazon में नौकरी कर रहे थे। लेकिन 2011 में उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी और एक ऑनलाइन ज्वेलरी ब्रांड BlueStone की नींव रखी। सालों की मेहनत का नतीजा अब सामने है - मंगलवार को जैसे ही BlueStone का शेयर बाजार में डेब्यू हुआ, गौरव की नेटवर्थ ₹1,300 करोड़ से भी ज्यादा हो गई।



IIT दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट गौरव के पास कंपनी में 17.70% हिस्सेदारी है. यानी 2.45 करोड़ शेयर, जिसकी एवरेज प्राइस 47.92 रुपए प्रति शेयर थी। लिस्टिंग से पहले उनकी यह हिस्सेदारी ₹117.23 करोड़ की थी, लेकिन पहले ही दिन स्टॉक के ₹548 के हाई प्राइस पर पहुंचते ही इसकी वैल्यू सीधे ₹1,340.68 करोड़ हो गई।



₹1,340.68 करोड़ की नेटवर्थ में दूसरे निवेश या आमदनी शामिल नहीं

BlueStone अब ज्वेलरी ब्रांड CaratLane को सीधी टक्कर दे रहा है। CaratLane वो ब्रांड है जिसमें Titan Company की बड़ी हिस्सेदारी है और Titan खुद टाटा ग्रुप का हिस्सा है। यह मुकाबला यह दिखाता है कि अब ऑनलाइन से शुरू होने वाले बिजनेस भी भारत की पारंपरिक ज्वेलरी इंडस्ट्री को बदल रहे हैं। ये कंपनियां सिर्फ ऑनलाइन ही नहीं, बल्कि फिजिकल शोरूम खोलकर भी काम कर रही हैं, जिससे लोगों को खरीदारी का ज्यादा अच्छा अनुभव मिल रहा है। जहां तक गौरव कुशवाहा की संपत्ति की बात है, तो ₹1,300 करोड़ की जो वैल्यू बताई जा रही है, वो सिर्फ BlueStone में उनकी हिस्सेदारी के बाजार भाव पर बेस्ड है। इसमें उनके दूसरे निवेश या आमदनी को शामिल नहीं किया गया है।



गौरव कुशवाहा को रतन टाटा से मिली सीख, जो आज भी उनके साथ

गौरव कुशवाहा जब अपने बिजनेस ब्लूस्टोन की शुरुआत कर रहे थे, तभी उनकी मुलाकात देश के सबसे बड़े बिजनेस आइकन रतन टाटा से हुई। 2014 के एक इंटरव्यू में गौरव ने उस खास पल को याद करते हुए बताया कि जब वो पहली बार मुंबई में टाटा सर से मिलने गए, तो इतने नर्वस थे कि समझ नहीं आया बात कैसे शुरू करें। गौरव ने कहा, 'रतन टाटा नाम ही बहुत बड़ा है, जिससे घबराहट होती है। लेकिन जब आप उनसे मिलते हैं, तो उनकी सादगी और शांत स्वभाव आपका दिल जीत लेता है।'



गौरव ने यह भी बताया कि उनकी पत्नी ने उनसे कहा था, 'फंडिंग मिले या न मिले, लेकिन रतन टाटा सर के साथ एक फोटो जरूर लेकर आना।' और उन्होंने वही किया। लेकिन इस मुलाकात से उन्हें सिर्फ फोटो नहीं, बल्कि जिंदगी की सबसे कीमती सीख भी मिली। रतन टाटा ने कहा - 'अगर आप ईमानदारी से ग्राहकों के लिए वैल्यू बनाने की कोशिश करेंगे, तो वे आपसे जुड़ेंगे और भरोसा करेंगे। हमेशा कुछ अलग और बेहतरीन बनाने की कोशिश करो- चाहे वो प्रोडक्ट हो, सर्विस हो या आपकी कंपनी की संस्कृति।' यही सलाह आज गौरव के बिजनेस और सोच का मजबूत आधार है।



एक स्केलेबल ज्वेलरी ब्रांड कैसे बना

ज्वेलरी का बिजनेस आमतौर पर बहुत महंगा होता है क्योंकि इसमें स्टॉक संभालना और मैन्युफैक्चरिंग खर्चीला होता है। लेकिन गौरव कुशवाहा ने इस मुश्किल को एक स्मार्ट तरीके से सुलझाया। शुरुआत में उन्होंने ज्वेलरी का प्रोडक्शन बाहर से करवाया, लेकिन बाद में अपनी खुद की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू कर दी। इससे प्रोडक्शन टाइम घटकर 3-4 दिन रह गया और उन्हें भारी मात्रा में स्टॉक रखने की जरूरत नहीं पड़ी।



2014 में एक इंटरव्यू में गौरव ने बताया था कि उस समय ब्लूस्टोन पर करीब 3,000 डिजाइनों की ज्वेलरी उपलब्ध थी और अगले दो सालों में इसे 20,000 डिजाइनों तक पहुंचाने का प्लान था। यह दिखाता है कि वो कितनी तेजी से बिजनेस को स्केल करना चाहते थे। उसी इंटरव्यू में उन्होंने यह भी मजाक में कहा था कि उनकी पत्नी हर महीने ब्लूस्टोन की वेबसाइट से ज्वेलरी खरीदती हैं। उन्होंने हंसते हुए कहा – 'नई शादी के बाद ज्वेलरी का बिजनेस करना थोड़ा नुकसानदायक हो सकता है!'



स्टार्टअप से स्टॉक मार्केट तक

2011 में शुरू हुआ ब्लूस्टोन अब एक बड़ा नाम बन चुका है। मार्च 2025 तक कंपनी ने 117 शहरों में 275 स्टोर्स खोले हैं, जिनमें से 200 स्टोर्स खुद कंपनी के और 75 फ्रेंचाइजी के हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी की आमदनी ₹1,830 करोड़ रही, जो पिछले साल से 40% ज्यादा थी। हालांकि, खर्चों में बढ़ोतरी की वजह से कंपनी को ₹222 करोड़ का नेट लॉस भी हुआ।



IPO से मिली ताकत

13 अगस्त 2025 ब्लूस्टोन का ₹1,541 करोड़ का IPO ओपन हुआ, जिसे निवेशकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिला। यह IPO 2.72 गुना सब्सक्राइब हुआ, जिसमें सबसे ज्यादा दिलचस्पी संस्थागत निवेशकों ने दिखाई। शेयर की लिस्टिंग ₹508.80 (BSE) और ₹510 (NSE) पर हुई, लेकिन ट्रेडिंग के दौरान शेयर की कीमत 6% बढ़कर ₹542 तक पहुंच गई। IPO से पहले कंपनी ने ₹693 करोड़ एंकर निवेशकों से जुटाए थे। कंपनी का प्लान है कि ₹750 करोड़ की रकम वर्किंग कैपिटल यानी बिजनेस चलाने के खर्चों के लिए इस्तेमाल की जाए।



डिस्क्लेमर : यह आर्टिकल केवल जानकारी के लिए है। इसे निवेश की सलाह ना समझें।
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