भारत के पूंजी बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने देश के सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MCX) के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है। सेबी ने एमसीएक्स पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। ये कार्रवाई नियमों की अवहेलना करने के लिए लिया गया है। एमसीएक्स पर 25 लाख रुपये के जुर्माने का कारण कहा जा रहा है कि सोने-चांदी जैसे अन्य कमोडिटी के लिए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म मुहैया कराने वाले एमसीएक्स ने सॉफ्टवेयर के लिए किए गए भुगतान का विवरण स्पष्ट नहीं है। एमसीएक्स पर यह जुर्माना 63 मून्स टेक्नोलॉजीज को किए गए भुगतान के कारण लगा है। सेबी का कहना है कि भुगतान अपर्याप्त और विलंबित प्रकटीकरण के कारण 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। 45 दिनों कि मोहलत एमसीएक्स को सेबी के द्वारा 45 दिन की मोहलत दी गई है, जिसके भीतर उसे जुर्माने की 25 लाख रुपये की राशि का भुगतान करना होगा। सेबी के द्वारा जारी आदेश में यह कहा गया है कि सितंबर से दिसंबर 2020 के बीच एमसीएक्स ने प्रेस रिलीज के जरिए 63 मून्स टेक्नोलॉजी के साथ ट्रेडिंग और क्लीयरिंग प्लेटफार्म के लिए सर्विस विस्तार की जानकारी दी थी। इस दौरान हुए भारी भरकम पेमेंट के बारे में जानकारी नहीं दी गई थी। सेबी द्वारा जारी जानकारी के अनुसार अक्टूबर से दिसंबर 2020 के बीच 60 करोड़ रुपये और जनवरी से लेकर जून 2023 के तक प्रत्येक तिमाही के लिए 81 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है। एमसीएक्स में भुगतान का विवरण नहीं किया सार्वजनिक सेबी के अनुसार एमसीएक्स में अक्टूबर 2022 से लेकर जून 2023 तक 63 मून्स को लगभग 222 करोड़ रुपये का पेमेंट किया। यह भुगतान एमसीएक्स के वित्त 2021-22 के शुद्ध लाभ से लगभग दोगुना है। एमसीएक्स पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने इस पूरे भुगतान का विवरण जनवरी 2023 तक भी सार्वजनिक नहीं किया। सेबी के किस नियम का किया एमसीएक्स ने उल्लंघन भारत के पूंजी बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया के अनुसार एमसीएक्स ने लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) नियमों का उल्लंघन किया। सेबी की तरफ से पूर्णकालीन सदस्य अश्वनी भाटिया ने यह बयान जारी किया कि ये सभी भुगतान कंपनी के वार्षिक लाभ के मुकाबले काफी बड़े थे, जिसके कारण इनके बारे में पूरी घोषणा आवश्यक है। बता दे की एमसीसी ने साल 2020 में अपने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म कमोडिटी डेरिवेटिव्स प्लेटफार्म को बदलने के लिए टाटा कंसलटेंसी सर्विस को कम सौंपा था, लेकिन इस प्रोजेक्ट में काफी देरी हुई जिसके कारण एमसीएक्स को 63 मून्स की सेवाओं को काफी ऊंची लागत पर विस्तारित करना पड़ा। सेवाओं के लिए एमसीएक्स ने काफी बड़े-बड़े भुगतान के लेकिन उन भुगतानों के बारे में जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया। इसीलिए से भी एमसीएक्स के खिलाफ एक्शन मोड पर है।
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