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पंजाब में शोक की लहर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा का निधन, गुलाम नबी आजाद अस्पताल में भर्ती..

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Sukhdev Singh Dhindsa: शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा का 28 मई 2025 को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया. लंबे समय से उम्र से संबंधित बीमारियों और फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे ढींढसा को कुछ दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके निधन ने पंजाब की राजनीति में शोक की लहर दौड़ा दी है. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा ‘हमने धरती के एक महान सपूत को खो दिया है, जिन्होंने छह दशकों से अधिक समय तक पंजाब की सेवा की.’

ढींढसा का राजनीतिक सफर पंजाब की राजनीति में एक स्वर्णिम अध्याय रहा. 1972, 1977, 1980 और 1985 में विधायक चुने गए. उन्होंने परिवहन, खेल, पर्यटन और नागरिक उड्डयन जैसे विभागों में मंत्री के रूप में सेवा दी. 1998 से 2004 और 2010 से 2022 तक वे राज्यसभा सांसद रहे. 2000 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे. 2019 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया लेकिन 2020 में किसान आंदोलन के समर्थन में उन्होंने यह सम्मान लौटा दिया.

गुलाम नबी आजाद की तबीयत बिगड़ी

इसी बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद को 27 मई 2025 को कुवैत के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. वे ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को बेनकाब करने के लिए खाड़ी देशों के दौरे पर गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. बीजेपी सांसद बैजयंत जय पांडा जो इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. जिसने बताया ‘हमारी यात्रा के बीच गुलाम नबी आजाद को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. उनकी हालत स्थिर है और वे चिकित्सकीय निगरानी में हैं.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजाद को फोन कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली और शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा, ‘तबीयत खराब होने के बावजूद गुलाम नबी आजाद ने देश का प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी उठाई. आज के समय में ऐसे समर्पित नेता मिलना मुश्किल है.’ आजाद ने सोशल मीडिया पर अपने स्वास्थ्य की जानकारी देते हुए समर्थकों को शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद दिया.

राजनीति में दोनों नेताओं का योगदान

सुखदेव सिंह ढींढसा ने पंजाब की ग्रामीण और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके बेटे परमिंदर सिंह ढींढसा भी पंजाब सरकार में वित्त मंत्री रह चुके हैं. दूसरी ओर गुलाम नबी आजाद ने 2005 से 2008 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और मनमोहन सिंह सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कार्य किया. उनकी विनम्रता और बुद्धिमत्ता की प्रशंसा उनके सहयोगी अक्सर करते हैं.

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