NRI Village of India: जब भी हम भारत के गांवों की बात करते हैं, तो दिमाग में टूटी सड़कें, कीचड़ और पलायन की तस्वीर उभरती है. लेकिन गुजरात के आनंद जिले का धर्मज गांव इन सारी धारणाओं को पलट देता है. इसे ‘NRI Village’ कहा जाता है, जहां साफ-सुथरी सड़कें, आलीशान गाड़ियां और 1000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है. ये गांव सिर्फ पैसे का दम नहीं दिखाता, बल्कि अपने लोगों के गांव से गहरे जुड़ाव की कहानी बयां करता है. आइए जानते हैं इस गांव की कहानी, जहां पर सड़कों पर मर्सिडीज, ऑडी और बीएमडब्ल्यू जैसी महंगी कारें खिलौने जैसे हैं.
गुजरात के आणंद जिले में एक ऐसा गांव है, जिसे भारत के सबसे अमीर गांव के लिए जाना जाता है. इस गांव के हर परिवार में एक एनआरआई है. गांव में 11 बैंक शाखाएं भी हैं, जिसमें जमाकर्ताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. गांव की सभी सड़के पक्की हैं. धर्मज गांव आर्थिक रूप से समृद्ध और संपन्न है. जहां सड़कों पर बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज और ऑडी जैसी लग्जरी कारें दौड़ती हैं. 11,333 की आबादी और सिर्फ 17 हेक्टेयर में फैला यह गांव अपनी समृद्धि के लिए जाना जाता है.
विदेशी मेहनत, देसी जड़ें
धर्मज की कहानी 1895 से शुरू होती है. तब जोतराम काशीराम पटेल और चतुरभाई पटेल ने अफ्रीका का रुख किया. बाद में प्रभुदास पटेल मैनचेस्टर पहुंचे और ‘Manchesterwala’ कहलाए. गोविंदभाई पटेल एडन (आज का यमन) गए और वहां तंबाकू का कारोबार शुरू किया. उस दौर में एडन अरब देशों का बड़ा बंदरगाह था. धीरे-धीरे धरमज के लोग अफ्रीका, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में फैल गए.
इस गांव के कितने लोग विदेशों में?
आज 1700 परिवार ब्रिटेन, 800 अमेरिका, 300 कनाडा और 150 ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में रहते हैं. लेकिन ये एनआरआई अपने गांव को नहीं भूले. 2007 में शुरू हुई एक पहल ने इन वैश्विक नागरिकों को गांव के विकास के लिए एकजुट किया.
शहर भी इस गांव को देखकर शरमा जाए
धर्मज में कदम रखते ही आपको साफ-सुथरी पक्की सड़कें दिखेंगी, जहां कूड़ा-कचरा या गंदे नाले का नामोनिशान नहीं. पंचायत नियमित सफाई सुनिश्चित करती है. गांव में सूरजबा पार्क है, जहां स्विमिंग पूल, बोटिंग और हरे-भरे बगीचे हर उम्र के लोगों को लुभाते हैं. चरवाहों के लिए 50 बीघा जमीन पर सालभर हरी घास उगाई जाती है. 1972 से चला आ रहा अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम तो कई भारतीय शहरों के लिए सपना है.
बैंकिंग का पावरहाउस
धर्मज में 11 बैंक शाखाएं हैं, जिनमें डीना बैंक की पहली शाखा 1959 में खुली थी. 1969 में ग्राम सहकारी बैंक की स्थापना हुई, जिसके पहले चेयरमैन एच.एम. पटेल बाद में भारत के वित्त मंत्री बने. 1000 करोड़ से ज्यादा डिपॉजिट इस गांव की आर्थिक ताकत का सबूत हैं.
लग्जरी और संस्कृति का अनोखा मेल
यहां के घरों के नाम जैसे “रोडेशिया हाउस” और “फिजी रेजिडेंस” विदेशी कनेक्शन की कहानी बताते हैं.कब्रिस्तान में दान की तख्तियां शिलिंग में लिखी हैं, जो अफ्रीकी रिश्तों की याद दिलाती हैं.हर साल 12 जनवरी को धर्मज दीवास मनाया जाता है, जब एनआरआई अपने गांव लौटकर एकता और समृद्धि का जश्न मनाते हैं.
धर्मज गांव नही भारतीयों के लिए मिसाल है
धर्मज की पंचायत इसकी सबसे बड़ी ताकत है. यह दिखाती है कि अगर संसाधन हों और लोग, चाहे दुनिया के किसी कोने में हों, एकजुट हों, तो सच्चा स्वशासन संभव है. धर्मज न सिर्फ पैसों का गांव है, बल्कि एक ऐसी मिसाल है, जो भारत के हर गांव को प्रेरित कर सकती है.
निवेशकों का कहा जाता है गांव
इसे निवेशकों का गांव कहा जाता है क्योंकि दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जहां धर्मज के मूल निवासी नहीं रहते हैं. विदेशों में बसे परिवारों द्वारा किए गए जमा के कारण धर्मज बैंकिंग क्षेत्र में एक व्यापार केंद्र बनता जा रहा है. इसके अलावा, पेटलाद और बोरसद तालुका की भौगोलिक सीमा पर स्थित गाँव को एक तालुका मुख्यालय की आवश्यकता है ताकि आसपास के गांवों के सभी लेन-देन भी इसके साथ हों. धर्मज में बैंकिंग क्षेत्र का विकास भी बहुत पुराना है.
You may also like
आए दिन के झगड़े से तंग होकर महिला ने की आत्महत्या, परिजनों ने ससुराल पर गंभीर आरोप लगाए
युद्ध विराम खत्म होते ही पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर बड़ा एयरस्ट्राइक, तीन अफगानी क्रिकेटर समेत 8 की मौत
(संशोधित) आज धनतेरस पर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और ब्रह्म योग का विशेष संयोग, इस बार छह दिन चलेगा दीप पर्व
कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद सरकार का बड़ा एक्शन, 24 जिलों में नियुक्त होंगे जिला गुणवत्ता सलाहकार
चक्र फूल के चक्कर में फँस कर ये 12 रोग` टेकते है अपने घुटने, जरूर जानिये इसके चमत्कारी फायदों के बारे में