New Delhi, 27 जुलाई . नंदू नाटेकर भारत के अग्रणी और सबसे प्रसिद्ध बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्हें ‘भारतीय बैडमिंटन कोर्ट का किंग’ कहा गया. नंदू नाटेकर को उनके शानदार खेल कौशल, रिफ्लेक्सेस और तकनीकी परिपक्वता के लिए आज भी याद किया जाता है, जिन्होंने भारत में बैडमिंटन को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई.
12 मई 1933 को सांगली में जन्मे नंदू नाटेकर अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने वाले पहले भारतीय शटलर हैं, जिन्होंने साल 1956 में ‘सेलांगर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट’ में यह उपलब्धि हासिल की थी. अपने समय के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ियों में से एक नाटेकर ‘वर्ल्ड नंबर 3’ भी रहे.
नाटेकर ने 1951 और 1963 के बीच थॉमस कप में भारतीय टीम का हिस्सा रहते हुए 16 में से 12 सिंगल्स और 16 में से 8 डबल्स मैच जीते.
नंदू नाटेकर 17 बार के नेशनल चैंपियन रहे. उन्होंने छह बार सिंगल्स (1953, 1954, 1958, 1960, 1961 और 1965), छह बार डबल्स (1955, 1956, 1958, 1960, 1961 और 1963) और पांच बार मिक्स्ड डबल्स (1953, 1954, 1961, 1966 और 1970) चैंपियनशिप जीतीं. 1961 में तीनों खिताब जीतने का अनूठा गौरव भी नाटेकर के नाम था.
नंदू नाटेकर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में यह अनोखी उपलब्धि हासिल करने वाले एकमात्र भारतीय पुरुष हैं. इस लिस्ट में प्रकाश पादुकोण (9 खिताब) और सैयद मोदी (8 खिताब) उनसे पीछे हैं. उन्होंने 1965 में जमैका में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया.
नंदू नाटेकर का बैडमिंटन करियर 15 साल से ज्यादा लंबा रहा. उन्होंने इस दौरान 100 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते. साल 1961 में इस महान शटलर को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
नंदू नाटेकर भारतीय युवाओं के लिए एक प्रेरणा बने और भारत को अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन मंच पर पहचान दिलाने में मदद की. उनके बेटे गौरव नाटेकर टेनिस खेलते थे, जिन्होंने डेविस कप में देश का प्रतिनिधित्व किया.
28 जुलाई 2021 को 88 साल की उम्र में नंदू नाटेकर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
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आरएसजी/एएस
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