New Delhi, 18 अगस्त . टाटा मोटर्स में पहली महिला इंजीनियर के रूप में जाने, जाने वाली सुधा मूर्ति कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज में अपनी कक्षा में एकमात्र छात्रा थी. मूर्ति ने पूर्वाग्रह और भेदभाव को मात देते हुए कर्नाटक के सभी इंजीनियरिंग विश्वविद्यालयों में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने के लिए इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स, इंडिया से स्वर्ण पदक और कर्नाटक के Chief Minister से रजत पदक प्राप्त किया था. बावजूद इसके उन्हें टाटा मोटर्स में नौकरी पाने के लिए एक साहसिक कदम उठाने की जरूरत आ पड़ी थी.
उन्होंने आईआईएससी से स्नातकों के लिए एक आमंत्रण के जवाब में आवेदन किया था. जबकि इस पर्चे में कंपनी की ओर से साफ लिखा गया था कि महिला उम्मीदवारों को आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है. बावजूद इसके मूर्ति ने आवेदन किया और साहस के साथ सीधे जेआरडी टाटा को पत्र लिख डाला.
इस पत्र में उन्होंने समूह को रसायन, इंजन और लौह-इस्पात उद्योग में अग्रणी मानते हुए महिलाओं को आगे बढ़ने के अवसर देने का आग्रह किया था. उन्होंने लिखा था कि अगर महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के अवसर नहीं मिलेंगे, तो समाज या देश कभी तरक्की नहीं कर पाएगा और टेल्को, पुणे में महिला छात्रों को नौकरी के लिए आवेदन करने की अनुमति न देना कंपनी की एक बड़ी भूल है.
उत्तरी कर्नाटक के शिगगांव में 19 अगस्त, 1950 को जन्मी सुधा मूर्ति अपने दादा-दादी से महाभारत और रामायण की कहानियां सुनकर बड़ी हुईं. आज मूर्ति की पहचान एक लेखिका, समाजसेवी, शिक्षिका, इंजीनियर और वक्ता के रूप में होती है. एक लेखिका के रूप में मूर्ति ने 40 से ज्यादा किताबें लिखी हैं. उनकी बेस्टसेलर किताबों में ‘थ्री थाउजेड स्टिचेज”, ‘डॉलर बहू’ और ‘वाइज एंड अदरवाइज’ शामिल हैं.
सुधा मूर्ति बच्चों और बड़ों के लिए विभिन्न विधाओं जैसे उपन्यास, लघुकथाएं और यात्रा वृत्तांत में लिखती हैं. उनकी कहानियां उनकी यात्राओं, जीवन के अनुभवों और उनसे मिलने वाले लोगों से प्रेरित हैं. वह अक्सर पौराणिक कथाओं से प्रेरणा लेती हैं, जिससे युवा पाठकों को मूल्यों और सिद्धांतों को सहज और रोचक तरीके से समझने में मदद मिलती है.
सुधा मूर्ति के साहित्यिक कार्यों को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें 2023 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2006 में साहित्य के लिए आर.के. नारायण पुरस्कार और 2020 में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार शामिल हैं. उन्हें भारत भर के विश्वविद्यालयों से साहित्य में दस मानद डॉक्टरेट की उपाधियां प्राप्त हैं.
मूर्ति भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को लेकर एक किस्से का जिक्र कर बताती हैं कि एक बार जब उन्हें देश के राष्ट्रपति का फोन आया तो उन्हें लगा यह गलती से किया गया फोन कॉल था. हालांकि, देश के राष्ट्रपति द्वारा यह कॉल सुधा मूर्ति को ही किया गया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि वे अक्सर मूर्ति के लिखे आर्टिकल पढ़ते हैं.
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एसकेटी/
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