Patna, 19 अक्टूबर . नालंदा Lok Sabha क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला हिलसा विधानसभा क्षेत्र ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और Political दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. हिलसा विधानसभा क्षेत्र में अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं, और यहां Chief Minister नीतीश कुमार का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जाता है, क्योंकि वह नालंदा जिले से आते हैं. उनकी समता पार्टी (जो बाद में जदयू में विलीन हो गई) ने इस सीट पर पांच बार जीत हासिल की है.
कांग्रेस ने यहां 4 बार जीत दर्ज की है. इसके अतिरिक्त जनसंघ, बीजेपी, आरजेडी, जनता पार्टी और जनता दल ने भी इस सीट पर एक-एक बार जीत दर्ज की है. हिलसा में कुर्मी और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं, जबकि पासवान, रविदास और भूमिहार समुदाय के वोटरों की भी यहां महत्वपूर्ण संख्या है.
2020 के चुनाव में जेडीयू के कृष्ण मुरारी शरण ने आरजेडी के शक्ति सिंह यादव को करीबी मुकाबले में हराया था. इस बार हिलसा विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू से कृष्ण मुरारी शरण, आरजेडी से अत्री मुनि उर्फ शक्ति सिंह यादव और जनस्वराज पार्टी से उमेश कुमार वर्मा चुनावी मैदान में हैं.
इस विधानसभा क्षेत्र में हिलसा, करायपरसुराय, थरथरी और परवलपुर प्रखंड शामिल हैं. यह कस्बा सोन और फल्गु नदियों के निकट स्थित है, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को और भी बढ़ाते हैं.
प्राचीन काल में हिलसा को ‘हलधरपुर’ के नाम से जाना जाता था और इसका ऐतिहासिक जुड़ाव द्वापर युग से माना जाता है. यहां के प्रमुख धार्मिक स्थल जैसे सूर्य मंदिर, काली मंदिर और बाबा अभयनाथ मंदिर इसकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं. हिलसा के आसपास स्थित तेलहाड़ा एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां खुदाई के दौरान प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष मिले हैं. यह विश्वविद्यालय संभवतः गुप्तकाल या पाल वंश के समय का था और इसे नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों के समकक्ष माना जाता है.
इसके अलावा औंगारी धाम, जो सूर्यपीठ के रूप में प्रसिद्ध है. यहां धार्मिक और पौराणिक मान्यता भी जुड़ी हुई है. यह स्थल भगवान श्री कृष्ण के पौत्र राजा साम्ब से भी जुड़ा हुआ है.
हिलसा विधानसभा क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ यहां की Political हलचल भी क्षेत्र की चुनावी प्रक्रिया को दिलचस्प बनाती है. इस बार के चुनाव में तीन प्रमुख उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होने की संभावना है, जो इस सीट की Political जंग को और भी रोमांचक बना देगा.
–
डीसीएच/वीसी
You may also like
पुणे के शनिवारवाड़ा में सामूहिक नमाज़ पर विवाद, प्रशासन से कार्रवाई की मांग
'दूसरे धर्म की पूजा-पाठ में शामिल होना भाईचारा नहीं बल्कि ईमान की कमजोरी', मौलाना इस्हाक गोरा का बयान…
कड़ी सुरक्षा के बीच 54 साल बाद खुला बांकेबिहारी मंदिर का खजाना, ताले खुलने के बाद सामने आईं ये चीजें…
समाज के वंचित वर्ग संग खुशियां बांटना ही सच्चे अर्थों में दीपोत्सव का उद्देश्य : सचिन
30 अक्टूबर से 05 नवंबर तक होगा द्वितीय चरण का प्रशिक्षण, विधानसभा वार प्रशिक्षण की तिथि एवं समय का हुआ निर्धारण