New Delhi, 10 अगस्त . आज के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो गया है. लंबे समय तक कंप्यूटर के सामने बैठना, गलत बैठने की आदतें और मानसिक दबाव आदि से शरीर और मन दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. खासकर कमर दर्द, तनाव और पाचन संबंधी परेशानियां आम हो गई हैं, जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं. ऐसे में योगाभ्यास सेहत को सुधारने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है. योग के कई आसनों में से व्याघ्रासन एक ऐसा आसन है, जिसे न केवल शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए जाना जाता है, बल्कि यह मानसिक शांति और तनाव मुक्ति में भी मदद करता है.
व्याघ्रासन को टाइगर पोज कहा जाता है, क्योंकि इस आसन को करते समय शरीर की मुद्रा बाघ की तरह होती है. यह योगासन खासकर कमर और मेरुदंड की मांसपेशियों को मजबूत करता है, जिससे लंबे समय तक बैठने से होने वाली कमर दर्द की समस्या में काफी राहत मिलती है. आधुनिक जीवनशैली में, जहां अधिकांश लोग ऑफिस में कंप्यूटर के सामने घंटों बैठते हैं, व्याघ्रासन उनकी सेहत के लिए वरदान साबित हो सकता है.
आयुष मंत्रालय के मुताबिक, रोजाना व्याघ्रासन का अभ्यास करने से शरीर में कई सकारात्मक बदलाव होते हैं.
यह आसन मेरुदंड की मांसपेशियों को मजबूत करता है और शरीर के निचले हिस्से को स्थिरता प्रदान करता है. यह रीढ़ की हड्डी के लचीलापन को बढ़ाता है, जिससे कमर की परेशानियां कम हो जाती हैं और आप अधिक सक्रिय महसूस करते हैं.
यह आसन करने से मन शांत होता है और तनाव, चिंता जैसी समस्याएं दूर होती हैं. नियमित अभ्यास से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिससे एकाग्रता और ध्यान की क्षमता में सुधार होता है. मानसिक तनाव कम होने से नींद भी बेहतर आती है और व्यक्ति अधिक ऊर्जावान और सकारात्मक महसूस करता है.
व्याघ्रासन को करते समय पेट के अंगों पर पड़ने वाले हल्के दबाव से पाचन तंत्र सक्रिय होता है जिससे गैस और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है. नियमित अभ्यास से भोजन का पाचन बेहतर होता है और भूख सही समय पर लगती है.
यह शरीर में रक्त संचार को बेहतर बनाता है. इस आसन से शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व अच्छी तरह पहुंचते हैं, जिससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं और थकान कम होती है. खासकर पैरों, हाथों और पीठ की मांसपेशियां व्याघ्रासन से मजबूत बनती हैं. बेहतर रक्त संचार से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और आप लंबे समय तक स्वस्थ बने रहते हैं.
व्याघ्रासन के यूं तो कई फायदे हैं, लेकिन फिर भी इसे करते समय कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है. जिन लोगों को गर्दन, हाथ-पैर या सिर से जुड़ी कोई समस्या है, उन्हें इस आसन से परहेज करना चाहिए. स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क या साइटिका जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए यह आसन नुकसानदायक हो सकता है. हृदय रोग, उच्च रक्तचाप या गर्भावस्था की स्थिति में डॉक्टर की सलाह के बिना इस आसन का अभ्यास न करें. शुरुआत में शरीर की क्षमता के अनुसार ही अभ्यास को बढ़ाएं.
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पीके/एएस
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