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राहुल गांधी बताएं मुंबई हमले में अमेरिका का दबाव था या नहीं : संजय निरुपम

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Mumbai , 30 सितंबर . पूर्व Union Minister एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के 2008 आतंकी हमले को लेकर दिए हालिया बयान चर्चा का विषय बना हुआ है. शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी बताएं कि 2008 के Mumbai हमले में अमेरिका का दबाव था या नहीं?

दरअसल, 2008 की मनमोहन सिंह Government में Union Minister रहे पी. चिदंबरम ने अपने हालिया बयान में कहा कि 2008 में हुए 26/11 हमले के बाद उनके मन में बदला लेने का विचार आया था, लेकिन तब की तत्कालीन कांग्रेस Government ने सैन्य कार्रवाई नहीं करने का फैसला लिया. चिदंबरम के इस बयान के बाद Political बयानबाजी तेज है.

शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा कि राहुल गांधी से पूछा जाना चाहिए कि क्या ऑपरेशन सिंदूर को रोकने के लिए अमेरिकी दबाव था. उन्होंने कहा कि 2008 के Mumbai हमले में 250 से अधिक लोग और बहादुर अधिकारी शहीद हुए थे. तब पूरा देश चाहता था कि Pakistan से बदला लिया जाए, लेकिन मनमोहन सिंह Government ने अमेरिका के दबाव में कोई कार्रवाई नहीं की और कांग्रेस ने इसे नजरअंदाज किया. उस समय पी. चिदंबरम ने भी दबाव की बात स्वीकार की थी. निरुपम ने कहा कि मोदी Government ने इन सब विरोधों को दरकिनार कर ऑपरेशन सिंदूर चलाया और आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया.

Lok Sabha में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के दक्षिण अमेरिका दौरे पर शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा, “जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक लगातार विदेश में रहता है, तो India Government उसे एनआरआई का दर्जा देती है. मैंने यह मजाक में कहा था, लेकिन यह बहुत गंभीर मामला है. लगातार विदेश जाकर अपने देश की समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.”

निरुपम ने कहा कि संघ द्वारा Supreme court के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई की माताजी को बुलाना स्वागत योग्य है. उन्‍होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, जो अपने कार्यक्रमों में अलग-अलग समाज और पार्टियों के प्रतिष्ठित लोगों को आमंत्रित करता रहा है. ऐसे में संघ द्वारा Supreme court के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई की माताजी कमला गवई को बुलाना स्वागत योग्य है. कमला गवई एक सम्मानित दलित महिला और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, लेकिन उनके आमंत्रण को लेकर Political विवाद खड़ा करना गलत है. भूषण गवई भले ही मुख्य न्यायाधीश हैं, पर उनके परिवार का सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन बना रहना चाहिए और इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए.

संजय निरुपम ने Lok Sabha में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के दक्षिण अमेरिका दौरे पर तंज कसा. उन्‍होंने कहा कि राहुल गांधी अधिकृत तौर पर Lok Sabha के “एनआरआई प्रतिपक्ष नेता” कहलाने योग्य हैं, क्योंकि वह हिंदुस्तान से ज्यादा विदेश में रहते हैं. उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि जब कोई नेता लगातार विदेश में समय बिताए, तो वह देश की समस्याओं से दूरी बना लेता है. उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी समय-समय पर India आते हैं, मोर्चा और प्रदर्शन करते हैं, नारेबाजी करते हैं और फिर सीधे विदेश लौट जाते हैं. यह आचरण उन्हें “विजिटिंग प्रतिपक्ष नेता” की तरह दर्शाता है, जिसे देश की जनता बखूबी देख रही है.

सीपीआई नेता डी. राजा द्वारा माओवादियों से बातचीत के आह्वान पर संजय निरुपम ने कहा, “सीपीआई नेता डी. राजा का बयान सुनकर और देखकर मुझे बहुत दुख हुआ. मुझे इस बात से बहुत दुख हुआ कि केंद्र Government देश को नक्सल मुक्त बनाने के लिए अभियान चला रही है, और वास्तव में India को नक्सलवाद से मुक्त होना ही होगा. नक्सलियों के पास न तो कोई मौलिक अधिकार है और न ही कोई मानवाधिकार, क्योंकि वर्षों से उन्होंने बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाई है और हजारों निर्दोष लोगों की जान ली है.” निरुपम ने कांग्रेस से सवाल किया कि क्या वह अपने सहयोगी डी. राजा और उनके नक्सल समर्थक बयानों से सहमत है?

एएसएच/डीएससी

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