Next Story
Newszop

11 भारतीय भाषाओं में तंबाकू के खिलाफ शिक्षा मंत्रालय का अभियान

Send Push

नई दिल्ली, 3 जून . केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी देने के लिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस जागरूकता प्रश्नोत्तरी 2025 शुरू की है. खास बात यह है कि इस प्रश्नोत्तरी को बहुभाषी रूप में डिजाइन किया गया है.

तंबाकू निषेध के संबंध में बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाने की इस पहल को पहली बार 12 भाषाओं में उपलब्ध कराया गया है. इनमें 11 भारतीय भाषाएं शामिल हैं, जिससे अब स्थानीय लोगों और युवाओं को उन्हीं की भाषा में तंबाकू से दूर रहने के लिए समझाया और बताया जा सकेगा. इन भाषाओं में अंग्रेजी, हिंदी, असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, मलयालम, मराठी, ओड़िया और पंजाबी शामिल हैं.

शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की उस भावना को प्रदर्शित करता है, जो स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं में सीखने और जागरूकता फैलाने की प्रवृत्ति की मजबूती से हिमायत करती है. साथ ही, इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि भाषाई बाधाओं के कारण कोई भी व्यक्ति शिक्षा और जागरूकता से वंचित न रहे. यह छात्रों, शिक्षकों और आम नागरिकों को जागरूक करने की एक पहल है.

मंत्रालय के अनुसार, तंबाकू के उपयोग के विरुद्ध लड़ाई का अभियान केवल स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में लाखों युवाओं के जीवन को प्रभावित करने वाला सामाजिक और शैक्षणिक मिशन भी है. इस प्रश्नोत्तरी में भागीदारी आसान है और यह सभी के लिए खुली है. यह प्रश्नोत्तरी माईगोव की वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध है. वहां, यूजर “विश्व तंबाकू निषेध दिवस जागरूकता क्विज 2025” चुन सकते हैं. इसमें भाग लेने के लिए अपनी पसंद की भाषा चुनने के बाद अपने मोबाइल नंबर या ईमेल का उपयोग करके एक सरल पंजीकरण प्रक्रिया के बाद प्रश्नोत्तरी में सहभागिता शुरू कर सकते हैं.

यह प्रश्नोत्तरी मुफ्त है और सबके लिए सुलभ तथा जानकारी देने वाली है. इसके सभी प्रतिभागियों को माईगोव की ओर से डिजिटल प्रमाणपत्र मिलेगा, जो एक स्वस्थ और तंबाकू मुक्त भारत के निर्माण में उनके योगदान को मान्यता देगा. शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षण के लिए ऐसे माहौल के निर्माण की परिकल्पना की गई है जो देश की समृद्ध भाषाई विविधता का सम्मान और उसका पोषण करता है.

इस प्रश्नोत्तरी के माध्यम से स्वस्थ जीवन शैली के बारे में न केवल किशोर प्रतिभागियों की जागरूकता बढ़ाने का अवसर मिलेगा बल्कि सभी लोगों तक उनकी सबसे अच्छी तरह समझ में आने वाली भाषा में जानकारी की पहुंच के माध्यम से समावेशन की प्रतिबद्धता की पुष्टि भी होती है. शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस अभियान को केवल एक डिजिटल कार्यक्रम न बनाएं, बल्कि इसे एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बनाएं. इसका यह भी संदेश है कि हर स्कूल, हर शिक्षक, हर छात्र और हर भाषा मायने रखती है. जागरूकता समझ से शुरू होती है और समझ भाषा से शुरू होती है.

जीसीबी/एकेजे

The post first appeared on .

Loving Newspoint? Download the app now