भोपाल: एमपी हाईकोर्ट ने भोपाल के DIG मयंक अवस्थी को एक हत्या के मामले में तथ्यों को कथित रूप से छिपाने के लिए फटकार लगाई है। अदालत ने उन पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। आईपीएस अफसर मयंक अवस्थी मध्य प्रदेश के कई जिलों में एसपी रहे हैं। यह जुर्माना उन्होंने दतिया के एक मामले के लिए लगा है। आइए आपको बताते हैं कि आईपीएस अफसर मयंक अवस्थी हैं। कोर्ट ने क्या कहाजस्टिस जी एस अहलूवालिया ने बुधवार को कहा कि अवस्थी को देश के कानून का कोई सम्मान नहीं है और वह अपनी मर्जी और इच्छा से एक पुलिस अधिकारी के रूप में काम करने के आदी हैं। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक हत्या के मामले में सबूतों को दबाने के आरोप में की। एमपी हाईकोर्ट ने अवस्थी के आचरण पर सवाल उठाए और उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए। साथ ही, अदालत ने पुलिस विभाग में उनकी उपयुक्तता पर भी संदेह जताया। 2018 का है मामलादरअसल, मामला 2018 का है। मानवेंद्र सिंह गुर्जर नामक एक व्यक्ति, जो दतिया जिले में एक हत्या के मामले में आरोपी है, उसने एक याचिका दायर की थी। याचिका में अभियोजन पक्ष के दावों को चुनौती दी गई थी। गुर्जर, जिसे रामू के नाम से भी जाना जाता है, ने मामले में कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) को सुरक्षित रखने की मांग की थी। वह यह दिखाना चाहता था कि गवाह और मृतक घटना स्थल पर मौजूद नहीं थे। दतिया में एसपी थे मयंक अवस्थीउस समय अवस्थी दतिया SP थे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जब इस आवेदन पर फैसला हो रहा था, तब उनका तबादला हो चुका था और उनके पास रिकॉर्ड पेश करने का कोई अधिकार नहीं था। हाईकोर्ट ने इस बात पर ध्यान दिया कि 7 सितंबर, 2018 को, ट्रायल कोर्ट ने कुछ मोबाइल नंबरों और SIM की कॉल डिटेल और लोकेशन को सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। ये जानकारी 17 सितंबर, 2018 को अवस्थी को ईमेल के माध्यम से भेजी गई थी। कोर्ट से झूठ बोलाकोर्ट ने कहा कि अनुपालन के लिए आवेदन के बावजूद, जांच एजेंसी ने 'झूठा रुख' अपनाया कि रिकॉर्ड को सुरक्षित नहीं रखा जा सका। हाईकोर्ट ने कहा कि तत्कालीन SP दतिया ने जानबूझकर उस जानकारी को दबाया और रोक दिया जिसे ट्रायल कोर्ट ने सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने अवस्थी पर की सख्त टिप्पणीअदालत ने यह भी कहा कि अवस्थी ने "नि: शुल्क और निष्पक्ष जांच के साथ-साथ कम से कम एक पक्ष के नि: शुल्क और निष्पक्ष परीक्षण के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने की कोशिश की है"। कोर्ट ने राज्य के DGP को यह भी निर्देश दिया कि यह तय करें कि क्या इस प्रकार के व्यक्तियों को पुलिस विभाग में रखा जाना चाहिए या नहीं। पांच लाख जुर्माना देना हैवर्तमान में अवस्थी डीआईजी इंटेलिजेंस के पद पर भोपाल में कार्यरत हैं। उन्हें एक महीने के भीतर 5 लाख रुपए की राशि बतौर मुआवजा प्रिंसिपल रजिस्ट्रार के पास जमा करने का निर्देश दिया गया है। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ वसूली की कार्यवाही शुरू की जाएगी और कन्टेम्पट ऑफ कोर्ट का एक अलग मामला भी दर्ज किया जाएगा। कौन हैं मयंक अवस्थीआईपीएस मयंक अवस्थी 2012 बैच के अधिकारी हैं। 13 साल की नौकरी के दौरान वह कटनी, खरगोन, दतिया, पन्ना और सीहोर जिले में एसपी रहे हैं। पिछले साल उन्हें सीहोर से हटाकर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किया गया था।
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