बोकारो/धनबाद: झारखंड में पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है। मोस्ट वांटेड माओवादी नेता प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा को मार गिराया गया है। विवेक दा पर एक करोड़ रुपये का इनाम था। वह भाकपा माओवादी की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। बोकारो के लुगु पहाड़ में मुठभेड़ के दौरान वह मारा गया। उसकी मौत को नक्सल विरोधी अभियान की बड़ी जीत माना जा रहा है। वो झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में माओवादियों का बड़ा चेहरा था।खतरनाक माओवादी प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा कई नामों से जाना जाता था, उसमें फुचना, नागो मांझी और करण दा शामिल है। वो भाकपा माओवादी की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। संगठन में वह रणनीतिक और सैन्य मोर्चे पर काम करता था। हाल ही में उसे झारखंड के पारसनाथ क्षेत्र की कमान सौंपी गई थी। मकसद था नक्सली गतिविधियों को फिर से शुरू करना। टुंडी के दलबुढ़ा गांव का रहने वाला था विवेक दाविवेक दा मूल रूप से धनबाद जिले के टुंडी थाना क्षेत्र के दलबुढ़ा गांव का रहने वाला था। लेकिन, वह सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं था। उसका कार्य क्षेत्र झारखंड के गिरिडीह, बोकारो, लातेहार और बिहार, बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ तक फैला हुआ था। इन सभी जगहों पर वह नक्सली गतिविधियों में शामिल था। उसके खिलाफ सिर्फ गिरिडीह में ही 50 से ज्यादा मामले दर्ज थे। विवेक दा इतना खतरनाक क्यों था? पारसनाथ में माओवादियों का नेटवर्क हुआ कमजोरविवेक दा की मौत से माओवादी संगठन को बड़ा झटका लगा है। पारसनाथ में माओवादियों का नेटवर्क कमजोर हो गया है। सुरक्षा बलों को उम्मीद है कि अब नक्सली गतिविधियों को कम किया जा सकेगा। नक्सलियों का सेफ जोन माना है लुगु पहाड़झारखंड में नक्सलियों के लिए कभी गोमिया क्षेत्र का लुगू पहाड़ सेफ जोर रहा। इसके बाद नक्सलियों का दूसरा सबसे बड़ा ठिकाना धनबाद और पारसनाथ की पहाड़ी है। लेकिन पिछले कुछ समय से नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के कॉम्बो ऑपरेशन के बाद नक्सलियों ने इस पहाड़ को छोड़ दिया था। लेकिन फिर से लुगु पहाड़ पर नक्सलियों के मुठभेड़ से माना जा रहा है कि नक्सली पुनः इस पहाड़ को अपना शरणस्थली बना लिए हैं। सात महीने पहले पत्नी की हुई थी मौतप्रयाग मांझी उर्फ विवेक की पत्नी जया मांझी की सात महीने पहले 21 सितंबर 2024 को रिम्स में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। वो गॉल ब्लैडर कैंसर से पीड़ित थी। 25 लाख की इनामी नक्सली जया मांझी को गिरिडीह पुलिस ने 16 जुलाई 2024 को धनबाद में एक निजी अस्पताल से गिरफ्तार किया था, जहां वो नाम बदलकर अपना इलाज करा रही थी। जया मांझी माओवादी संगठन में महिला विंग की अहम सदस्य थी और बीमार होने के बाद गुपचुप तरीके से धनबाद के अस्पताल में इलाज करा रही थी।
- रणनीतिक दिमागः माओवादी संगठन में उसे एक तेज रणनीतिकार माना जाता था। मतलब, वह प्लानिंग करने में बहुत अच्छा था।
- हथियारों का विशेषज्ञः उसके दस्ते के पास एके-47, इंसास राइफल और कई विस्फोटक थे। यानी, उसके पास खतरनाक हथियार थे।
- मजबूत नेटवर्कः उसके साथ 50 से ज्यादा नक्सली काम करते थे. इनमें महिलाएं भी शामिल थीं। वे अलग-अलग इलाकों में फैले हुए थे।
- संगठन में पकड़ः उसकी बात सिर्फ झारखंड में ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वी भारत के नक्सल बेल्ट में मानी जाती थी।
You may also like
पति बनाता था अवैध संबंध मगर पत्नी के पकड में नहीं आता था। फिर पत्नी ने बिठाया ऐसा जुगाड कि… ι
बेटी और मां का एक ही व्यक्ति से था संबंध, मां के कहने पर बेटी ने बाप को मार डाला. शव को दफना भी दिया.., ι
जेल में आई थी सिर्फ 48 घंटे पहले, बाथरूम के पास गई युवती और… जो हुआ उसने पुलिस को भी हिला दिया' ι
शादी के नाम पर युवक के साथ लूटपाट करके गायब हुई लुटेरी दुल्हन, तांत्रिक के साथ हुई फरार ι
जोधपुर में भाई की हत्या का मामला: बहन ने खोला राज