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पाकिस्तान की मदद करने वाले चीन पर आया गहरा संकट, फैक्ट्रियों को सामान बेचने के पड़ रहे लाले!

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नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो चुका है। इस युद्ध में चीन ने पाकिस्तान का भरपूर साथ दिया। पाकिस्तान ने भी इसके लिए चीन का धन्यवाद दिया है। चीन जहां पाकिस्तान की मदद कर रहा है तो वहीं वह अपने घर में भी संघर्ष से जूझ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण अमेरिका का टैरिफ है। इस टैरिफ के कारण चीन की फैक्ट्रियां अपना सामान नहीं बेच पा रही हैं। उन्हें चीन में ही इसे सस्ते दामों पर बेचना पड़ रहा है।वहीं टैरिफ के कारण चीन में महंगाई की दर अप्रैल में लगातार तीसरे महीने गिरी है। दरअसल, अमेरिका ने चीन से आने वाले सामान पर भारी टैक्स लगाया है। इससे चीन में सामान की मांग कम हो गई है, और कीमतें गिर रही हैं। नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक चीन के कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में पिछले साल के मुकाबले 0.1% की गिरावट आई है। यह गिरावट पिछले महीने के बराबर ही है। ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों ने भी यही अनुमान लगाया था। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) खुदरा महंगाई को मापने का एक तरीका है। फैक्ट्रियों की स्थिति अच्छी नहींचीन की फैक्ट्रियों में भी महंगाई की दर लगातार 31वें महीने गिरी है। प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स में 2.7% की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि मार्च में यह 2.5% थी। प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (PPI) थोक महंगाई को मापने का एक तरीका है।जानकारों का मानना है कि महंगाई में गिरावट का ये दौर अभी जारी रह सकता है और शायद और भी बुरा हो जाए। इसकी वजह ये है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल की शुरुआत में चीन से आने वाले ज्यादातर सामान पर 145% का टैक्स लगा दिया है। इसके जवाब में चीन ने भी ऐसा ही किया है। इस ट्रेड वॉर की वजह से कुछ कंपनियां अपने सामान को देश में ही बेचने पर मजबूर हो सकती हैं। इससे पहले से ही कड़ी प्रतिस्पर्धा और बढ़ जाएगी। इससे कंपनियां कीमतें और भी कम करने पर मजबूर हो जाएंगी। कमाई में आई कमीअमेरिकी टैक्स की वजह से चीन में नौकरियां और लोगों की कमाई कम हो रही है। इससे भी लोग कम खर्च कर रहे हैं, और कंपनियां कीमतें घटाने पर मजबूर हैं।चीन की सरकार ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। उन्होंने ब्याज दरें कम कर दी हैं और बैंकों को अपने पास कम पैसा रखने की इजाजत दे दी है। चीन और अमेरिका इस साल ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार व्यापार वार्ता करने वाले हैं। इससे टैक्स में कमी आने की उम्मीद है।
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