MBBS In Uzbekistan: भारतीय छात्रों के बीच मेडिकल एजुकेशन के लिए विदेश जाना हमेशा से ही पॉपुलर रहा है। ज्यादातर भारतीय ऐसे देशों को चुनते हैं, जहां का करिकुलम भारत से मिलता-जुलता हो और पढ़ने का खर्च भी किफायती हो। उज्बेकिस्तान एक ऐसा ही देश है, जो भारतीयों के बीच MBBS के लिए काफी पॉपुलर है। लेकिन एक भारतीय छात्र ने कहा है कि यहां पढ़ना सही फैसला नहीं होगा। उसने बताया है कि यहां पर सही से पढ़ाई नहीं करवाई जा रही है और शेड्यूल भी ठीक नहीं है।
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भारतीय छात्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर 'उज्बेकिस्तान में पढ़ाई के बारे में वॉर्निंग (अनुभव)' नाम से एक पोस्ट की है। छात्र ने बताया कि वह उज्बेकिस्तान में MBBS का फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहा है। उसने बताया कि उज्बेकिस्तान में जरूरी चीजों की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। यहां पर मिलने वाला सामान भी खराब क्वालिटी वाला है। भारतीय छात्र ने बताया कि यहां पर अगर आप अच्छी क्वालिटी वाली चीजें खरीदेंगे, तो फिर उसकी कीमत दो से तीन गुना ज्यादा होती है।
टीचर्स अंग्रेजी नहीं बोलते, प्रैक्टिकल नहीं होता: भारतीय छात्र
रेडिट पोस्ट में भारतीय छात्र ने कहा, 'मैं उन सभी लोगों को सचमुच चेतावनी देना चाहता हूं, जो पढ़ाई के लिए, खासकर मेडिकल स्कूल के लिए, उज्बेकिस्तान आने की सोच रहे हैं। कृपया इस बारे में दोबारा सोचें।' उसने बताया कि यहां पर टीचर्स अंग्रेजी भी नहीं बोलते हैं, जिससे पढ़ना मुश्किल हो जाता है। उसने कहा, 'सच कहूं तो शिक्षा के मामले में यहां कुछ भी अच्छा नहीं है। न तो ढंग की प्रैक्टिकल क्लास होती हैं, न ही एनॉटमी के लिए शवों की व्यवस्था है और ज्यादातर टीचर्स तो अंग्रेजी भी नहीं बोलते।'
कोई टाइमटेबल नहीं, टीचर्स सिर्फ अटेंडेंस लेते हैं: भारतीय छात्र
भारतीय छात्र ने बताया कि यहां का शेड्यूल भी ठीक नहीं है। उसका कहना है कि टीचर्स को सिर्फ अटेंडेंस लेने में ही दिलचस्पी रहती है। उसने कहा, 'कई बार तो वे सिर्फ अटेंडेंस लेकर चले जाते हैं। कोई तय टाइमटेबल नहीं होता और शैक्षणिक माहौल अव्यवस्थित और लापरवाह लगता है। उदाहरण के लिए, मैंने यूक्रेन में दो साल पढ़ाई की और मुझे एक बार भी टाइमटेबल से कोई समस्या नहीं हुई। एक भी टीचर बिना पढ़ाए क्लास में नहीं आया। दोनों जगहों में जमीन-आसमान का फर्क है।'
रहने-खाने का खर्च काफी ज्यादा
भारतीय छात्र ने आगे कहा, 'उज्बेकिस्तान में रहने का खर्च बेतुका है। यूक्रेन, रूस या भारत की तुलना में यहां सब कुछ ज्यादा महंगा है। किराने का सामान, कपड़े और यहां तक कि बुनियादी जरूरत की चीजें भी बहुत महंगी हैं और उनकी क्वालिटी भी कीमत के मुताबिक नहीं है। उदाहरण के लिए, अच्छे ब्रांडेड जूते और कपड़े मिलना लगभग नामुमकिन है, जब तक कि आप कहीं और की तुलना में दो-तीन गुना ज्यादा कीमत देने को तैयार न हों। चावल या बीयर जैसी बुनियादी चीजें भी बहुत महंगी हैं और अक्सर उनकी क्वालिटी भी खराब होती है। नियमित रूप से बाहर खाना भी दूसरे देशों की तुलना में बेहद महंगा है।'
मौसम खराब, यहां के बहकावे में ना आएं
भारतीय छात्र ने कहा, 'यहां का मौसम चीजें बेहद मुश्किल बना देता है। गर्मियां बर्दाश्त के बाहर होती हैं, यहां तक कि नाक से खून आना आम बात है। सोशल लाइफ- लगभग जीरो। यहां की संस्कृति बहुत रूढ़िवादी और सख्त है: वर्दी, दाढ़ी बनाने की जरूरत, पुराने नियम वगैरह।' उसने कहा, 'मुझे ये सब शेयर करने से कुछ नहीं मिलता। मैं बस दूसरों को आगाह करना चाहता हूं, इससे पहले कि वे भी यही गलती करें। यहां अच्छे कॉलेजों के दिखावटी वादों के झांसे में मत आओ। जमीनी हकीकत बहुत कठोर है और ज्यादातर लोग आपको इसके बारे में तब तक नहीं बताएंगे जब तक आप फंस न जाएं।'
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भारतीय छात्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर 'उज्बेकिस्तान में पढ़ाई के बारे में वॉर्निंग (अनुभव)' नाम से एक पोस्ट की है। छात्र ने बताया कि वह उज्बेकिस्तान में MBBS का फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहा है। उसने बताया कि उज्बेकिस्तान में जरूरी चीजों की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। यहां पर मिलने वाला सामान भी खराब क्वालिटी वाला है। भारतीय छात्र ने बताया कि यहां पर अगर आप अच्छी क्वालिटी वाली चीजें खरीदेंगे, तो फिर उसकी कीमत दो से तीन गुना ज्यादा होती है।
टीचर्स अंग्रेजी नहीं बोलते, प्रैक्टिकल नहीं होता: भारतीय छात्र
रेडिट पोस्ट में भारतीय छात्र ने कहा, 'मैं उन सभी लोगों को सचमुच चेतावनी देना चाहता हूं, जो पढ़ाई के लिए, खासकर मेडिकल स्कूल के लिए, उज्बेकिस्तान आने की सोच रहे हैं। कृपया इस बारे में दोबारा सोचें।' उसने बताया कि यहां पर टीचर्स अंग्रेजी भी नहीं बोलते हैं, जिससे पढ़ना मुश्किल हो जाता है। उसने कहा, 'सच कहूं तो शिक्षा के मामले में यहां कुछ भी अच्छा नहीं है। न तो ढंग की प्रैक्टिकल क्लास होती हैं, न ही एनॉटमी के लिए शवों की व्यवस्था है और ज्यादातर टीचर्स तो अंग्रेजी भी नहीं बोलते।'
कोई टाइमटेबल नहीं, टीचर्स सिर्फ अटेंडेंस लेते हैं: भारतीय छात्र
भारतीय छात्र ने बताया कि यहां का शेड्यूल भी ठीक नहीं है। उसका कहना है कि टीचर्स को सिर्फ अटेंडेंस लेने में ही दिलचस्पी रहती है। उसने कहा, 'कई बार तो वे सिर्फ अटेंडेंस लेकर चले जाते हैं। कोई तय टाइमटेबल नहीं होता और शैक्षणिक माहौल अव्यवस्थित और लापरवाह लगता है। उदाहरण के लिए, मैंने यूक्रेन में दो साल पढ़ाई की और मुझे एक बार भी टाइमटेबल से कोई समस्या नहीं हुई। एक भी टीचर बिना पढ़ाए क्लास में नहीं आया। दोनों जगहों में जमीन-आसमान का फर्क है।'
रहने-खाने का खर्च काफी ज्यादा
भारतीय छात्र ने आगे कहा, 'उज्बेकिस्तान में रहने का खर्च बेतुका है। यूक्रेन, रूस या भारत की तुलना में यहां सब कुछ ज्यादा महंगा है। किराने का सामान, कपड़े और यहां तक कि बुनियादी जरूरत की चीजें भी बहुत महंगी हैं और उनकी क्वालिटी भी कीमत के मुताबिक नहीं है। उदाहरण के लिए, अच्छे ब्रांडेड जूते और कपड़े मिलना लगभग नामुमकिन है, जब तक कि आप कहीं और की तुलना में दो-तीन गुना ज्यादा कीमत देने को तैयार न हों। चावल या बीयर जैसी बुनियादी चीजें भी बहुत महंगी हैं और अक्सर उनकी क्वालिटी भी खराब होती है। नियमित रूप से बाहर खाना भी दूसरे देशों की तुलना में बेहद महंगा है।'
मौसम खराब, यहां के बहकावे में ना आएं
भारतीय छात्र ने कहा, 'यहां का मौसम चीजें बेहद मुश्किल बना देता है। गर्मियां बर्दाश्त के बाहर होती हैं, यहां तक कि नाक से खून आना आम बात है। सोशल लाइफ- लगभग जीरो। यहां की संस्कृति बहुत रूढ़िवादी और सख्त है: वर्दी, दाढ़ी बनाने की जरूरत, पुराने नियम वगैरह।' उसने कहा, 'मुझे ये सब शेयर करने से कुछ नहीं मिलता। मैं बस दूसरों को आगाह करना चाहता हूं, इससे पहले कि वे भी यही गलती करें। यहां अच्छे कॉलेजों के दिखावटी वादों के झांसे में मत आओ। जमीनी हकीकत बहुत कठोर है और ज्यादातर लोग आपको इसके बारे में तब तक नहीं बताएंगे जब तक आप फंस न जाएं।'
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