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World Bicycle Day 2025: साइक्लिंग बचा सकती है 17,000 जानें, लेकिन दिल्ली की सड़कों पर...

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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की कई समस्याओं का समाधान साइकल से जुड़ा है। अब लोग साइकल को अपना भी रहे हैं। हालांकि, ज्यादातर लोग साइकल को केवल सुबह के समय एक्सरसाइज के लिए ही इस्तेमाल करते हैं।



साइकल लेन और पार्क अनफिट: दिल्ली में बीते चार सालों से साइकल लेन के कई प्रोजक्ट्स शुरू हुए। एनडीएमसी एरिया में साइकल लेन का इस्तेमाल कुछ हद तक ठीक है। लेकिन, शहर के बाकी हिस्सों, खासकर द्वारका आदि में यह लेन पार्किंग के इस्तेमाल में आ रहे हैं। इनकी बनावट भी ठीक नहीं है। ड्राफ्ट मास्टर प्लान- 2041 में भी दिल्ली को नॉन मोटराइज्ड गाड़ियों और पेडिस्टेरियन के लिए सेफ बनाने की बात को शामिल किया गया है। द्वारका की साइक्लिस्ट नेहा जैन ने बताया कि साइकल लेन जब बनाए गए थे तो काफी खुशी हुई थी, लेकिन अब इनका इस्तेमाल किसी और काम के लिए हो रहा है।



दिल्ली में 121.5 किलो टन CO2 कम हो सकता है: जापान की क्युशु यूनिवर्सिटी की स्टडी के अनुसार साइकल चलाने से पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़े फायदे होते हैं। यदि दिल्ली में साइकल आदि का इस्तेमाल किया जाए तो 121.5 किलो टन कार्बन डायऑक्साइड और 138.9 टन पीएम 2.5 के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।



इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में गाड़ियों की संख्या 28 प्रतिशत बढ़ी है। प्रदूषण का 25 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ ट्रांसपोर्ट से आता है। इस स्टडी में यह देखा गया कि यदि नॉन मोटराइज्ड गाड़ियों और साइकल का इस्तेमाल हो तो पर्यावरण, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ेगा। स्टडी में दिलशाद गार्डन, झिलमिल, अशोक नगर, नंद नगरी और सीमापुरी जैसे इलाकों के सर्वे किए गए। पता चला कि ऐसा करने से पीएम 2.5 से संपर्क को कम करने और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाकर राजधानी में 17,529 मौतों को कम किया जा सकता है।



साइकल चलाने वालों को ज्यादा खतरा: आईआईटी दिल्ली के अनुसार दिल्ली की सड़कों पर साइकल चलाने वालों को कार की तुलना में 40 प्रतिशत और बाइक की तुलना में दोगुना खतरा रहता है। राजधानी में 72 जगहों पर यह स्टडी की गई। इसमें सड़कों पर सुबह 8 से दोपहर 2 बजे के बीच चलने वाली गाड़ियों के प्रकार और उनकी संख्या का आंकलन किया गया।



केवल 10 फीसदी वर्कर्स ही साइकल का कर रहे इस्तेमाल: सेंसस 2011 के अनुसार दिल्ली जैसे बड़े शहर में महज 10 फीसदी वर्कर्स ही साइकल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें से भी महिलाएं ज्यादातर साइकल के पीछे बैठने वाली हैं। ग्रीनपीस इंडिया के सीनियर कैंपेनर अविनाश चंचल ने बताया कि उन्होंने साकेत में महिलाओं की कम्युनिटी साइकल शुरू की है। इसके तहत 500 वर्कर महिलाएं अब काम पर आने-जाने के लिए साइकल का इस्तेमाल कर रही हैं। हालांकि, इन महिलाओं को सड़कों पर सेफ्टी इश्यु आ रहे हैं और इनकी मांगों को अधिकारियों तक पहुंचाया जा रहा है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार सड़कों का 75 प्रतिशत हिस्सा कार और टू वीइलर इस्तेमाल कर रहे हैं।



क्या कहते हैं साइकल बेचने वाले: उत्तम नगर के साइकल चेन के संचालक प्रतीक अग्रवाल ने बताया कि कोविड के समय में साइकल की सेल काफी अधिक बढ़ गई थी। अब थोड़ा कम हो गई है। गीयर वाली और इलेक्ट्रिक साइकल लोगों को पसंद आ रही हैं। आजकर साइकल की स्पीड 20 से 25 किलोमीटर तक आ रही है। सेफ्टी के लिहाज से हैवी टायर वाली साइकलों की डिमांड भी 5 से 10 प्रतिशत तक बढ़ गई है। लोहा, अलॉय और साइकल के पार्ट्स महंगे होने की वजह से साइकल की कीमतों में 5 साल में 5 से 7 प्रतिशत का फर्क आया है। साइकल अब भी 5,000 से एक लाख रुपये तक में मिल रही है।



यह भी जानें
  • साइकल की स्पीड पैदल चलने वालों से 3 गुना अधिक होती है। पैदल 30 मिनट मे जितनी दूरी तय होती है, वह साइकल से 10 मिनट में तय हो जाती है। छोटी दूरी के साइकल बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट है।
  • यूएन हैपीनैस रिपोर्ट में खुशनुमा देशों की लिस्ट में भारत काफी पीछे है, जबकि जिन देशों ने साइक्लिंग को प्रमोट किया है वैसे देश टॉप पर हैं, जैसे- फिनलैंड।
  • साइक्लिस्टों के लिए इंटरकनेक्टेड साइकल ट्रैक होने चाहिए, निश्चित दूरी पर साइकल रिपेयर शॉप हों
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