पटना: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बिहार प्रेम ने बिहार की राजनीति को नया फ्रेम दे दिया है। राजनीतिक गलियारों में चिराग पासवान के बिहारी प्रेम या बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट की सोच को सीएम फेस की जंग में खुल कर सामने आना बताया जा रहा है। खासकर राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अस्वस्थता और तमाम अटकलों के बीच बड़ी खामोशी से बिहार में अगला सीएम कौन एक रेस तो शुरू हो गया है। सी वोटर्स ने एक सर्वे को बाजार में ला कर सीएम की जंग में पलीता तो लगा ही दिया। वजह कहीं ये तो नहीं!केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बिहार प्रेम को कुछ विशेषज्ञ सी वोटर के सर्वे की प्रतिक्रिया मानते हैं। चिराग पासवान अच्छे तरीके से जानते हैं कि बिहार में युवा नेतृत्व की राजनीति चरम पर हैं। इस समय सापेक्ष जो सी वोटर्स का सर्वे आया वह चिराग पासवान को अंतिम पायदान पर जगह देता है। पहले नंबर पर तेजस्वी यादव गर हैं तो उनकी राजनीति बिलकुल बिहार के लिए तय है। वे न तो लोकसभा चुनाव लड़ते हैं और न राज्यसभा कभी गए। विशुद्ध रूप से तेजस्वी यादव का प्रोजेक्शन बिहार की राजनीति के लिए और बिहार के नेक्स्ट सीएम के रूप में हुई। प्रशांत किशोर का नंबर दूसरे नंबर पर प्रशांत किशोर हैं। इसकी वजह भी साफ है कि उनका पूरा कंसंट्रेशन बिहार की राजनीति पर फोकस है। बिहार को नए बिहार के रूप में देखना चाहते हैं। वे बिहार को रोजगार देने वाला राज्य बनाना चाहते हैं। रोजगार ,नौकरी और पलायन जैसी समस्या का समाधान बिहार से ही करना चाहते हैं। सी वोटर के सर्वे में यह प्रभाव दिखता है। इसके पहले के सर्वे से कही ज्यादा बिहार की जनता ने प्रशांत किशोर को सीएम माना है। नीतीश का नंबरतीसरे नंबर पर नीतीश कुमार है। सीएम चेहरे के रूप में नंबर वन से नंबर तीन के पीछे उनका खराब स्वस्थ सबसे बड़ा फैक्टर रहा। उम्र के अनुसार कार्यक्षमता का स्खलन ही हुआ है। अब पांचवें नंबर पर गर चिराग हैं तो इसकी वजह भी चिराग ही हैं। चिराग स्लोगन देते रहे पर केंद्र की राजनीति को तरजीह देते रहे। यह तो युवा चेहरा, मोदी के हनुमान, प्रखर वक्ता और स्टारडम के कारण सीएम के रेस में शामिल रहे वह भी कुछ प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ। विधानसभा चुनाव का स्वरूपबिहार विधानसभा चुनाव का असली स्वरूप उभर कर अभी नहीं आया है। पर इस चुनाव में केवल एनडीए और महागठबंधन के बीच ही चुनाव नहीं होने जा रहे हैं। संभव है इस चुनाव में कोई तीसरा कोण भी बने। पीके और चिराग पासवान के साथ लड़ने की बात भी राजनीतिक गलियारों में खूब चली। ऐसे में तीसरे कोण के बतौर मुख्यमंत्री उम्मीदवार हेतु बिहार विधानसभा का चुनाव भी लड़ सकते हैं। 40 सीटों की दावेदारी और चिरागलोकसभा चुनाव 2024 में 100 फीसदी स्ट्राइक रेट देने वाले चिराग पासवान बिहार विधानसभा सीटों की हिस्सेदारी मांग रहे हैं। इन सीटों के प्रति उनकी गंभीरता तब दिखेगी जब वे स्वयं भी लड़े। वैसे भी राजनीति के अंदरखाने में कही न कहीं यह बात भी परवान पा रही है कि भाजपा ज्यादा से ज्यादा सीटें साथी दल को दिलाकर अपनी साथी दल, लोजपा (आर), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के बीच बांटना चाहती है। भाजपा की राजनीति यह है कि बहुमत की संख्या माइनस जदयू के आ जाए तो सीएम फेस को लेकर परेशानी ही समाप्त हो जाएगी।
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