नई दिल्ली: दिवाली पर पटाखों से आंखों में चोट लगने के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। एम्स, दिल्ली के आर पी सेंटर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पिछले साल की तुलना में 19% की बढ़ोतरी हुई है। 44% मरीजों की आंख में गंभीर आंतरिक चोट आई और तुरंत सर्जरी की आवश्यकता पड़ी। 17% मरीजों को दोनों आंखों में चोट लगी थी। रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने केवल 'ग्रीन पटाखों' की सीमित बिक्री और दो दिन (20 और 21 अक्टूबर) के लिए उपयोग की अनुमति दी थी। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों में पटाखों की स्वतंत्र बिक्री जारी रही। एम्स ने राज्यों को खासतौर पर कार्बाइड आधारित पटाखों से अलर्ट किया है, जो अक्सर घर पर बनते हैं और बहुत घातक हैं।   
   
10 दिन में कुल 160 मरीज पहुंचे अस्पतालगुरुवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में दिवाली के दौरान 10 दिन में कुल 160 मरीज आंखों की चोटों के साथ अस्पताल पहुंचे थे। 2025 में 190 मरीज पहुंचे। सेंटर की ओर से बताया गया कि अधिकतर मरीज त्योहार के दिन या अगले दिन पहुंचे। एम्स के अनुसार, 44% केस दिल्ली-एनसीआर से और 56% केस पड़ोसी राज्यों, मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और हरियाणा, से आए। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिबंधित पटाखों की आसान उपलब्धता से मामले भी बढ़े। अधिकांश मरीज युवा थे, जिनकी औसत आयु 10 से 30 वर्ष के बीच थी। पुरुषों की संख्या महिलाओं से पांच गुना ज्यादा है। करीब 17% मामलों में दोनों आंखों में चोट लगी।
     
कार्बाइड-आधारित पटाखों पर चेतायारिपोर्ट के अनुसार, 44% मरीजों की आंख में 'ओपन ग्लोब इंजरी' यानी गंभीर आंतरिक चोट आई। इस साल एक नया खतरा 'कार्बाइड-आधारित पटाखों' के रूप में सामने आया है। ज्यादातर ये पटाखे घर पर एसेंबल करके बनाए जाते हैं, ये एसिटिलीन गैस छोड़ते हैं और पानी के संपर्क में आने पर जोरदार धमाका करते हैं। ये गंभीर रासायनिक जलन पैदा करते हैं, जिससे कई मरीजों की स्थायी दृष्टि हानि हुई। लगभग 25% मरीजों में गंभीर विजन का नुकसान हुआ है और 25% में मॉडरेट नुकसान।
  
10 दिन में कुल 160 मरीज पहुंचे अस्पतालगुरुवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में दिवाली के दौरान 10 दिन में कुल 160 मरीज आंखों की चोटों के साथ अस्पताल पहुंचे थे। 2025 में 190 मरीज पहुंचे। सेंटर की ओर से बताया गया कि अधिकतर मरीज त्योहार के दिन या अगले दिन पहुंचे। एम्स के अनुसार, 44% केस दिल्ली-एनसीआर से और 56% केस पड़ोसी राज्यों, मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और हरियाणा, से आए। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिबंधित पटाखों की आसान उपलब्धता से मामले भी बढ़े। अधिकांश मरीज युवा थे, जिनकी औसत आयु 10 से 30 वर्ष के बीच थी। पुरुषों की संख्या महिलाओं से पांच गुना ज्यादा है। करीब 17% मामलों में दोनों आंखों में चोट लगी।
कार्बाइड-आधारित पटाखों पर चेतायारिपोर्ट के अनुसार, 44% मरीजों की आंख में 'ओपन ग्लोब इंजरी' यानी गंभीर आंतरिक चोट आई। इस साल एक नया खतरा 'कार्बाइड-आधारित पटाखों' के रूप में सामने आया है। ज्यादातर ये पटाखे घर पर एसेंबल करके बनाए जाते हैं, ये एसिटिलीन गैस छोड़ते हैं और पानी के संपर्क में आने पर जोरदार धमाका करते हैं। ये गंभीर रासायनिक जलन पैदा करते हैं, जिससे कई मरीजों की स्थायी दृष्टि हानि हुई। लगभग 25% मरीजों में गंभीर विजन का नुकसान हुआ है और 25% में मॉडरेट नुकसान।
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