नई दिल्ली: रूस से तेल खरीद को लेकर अटकलों का बाजार गरम है। मीडिया में भारतीय तेल कंपनियों की ओर से रूसी तेल की खरीद बंद करने संबंधी खबरें सामने आई हैं। इसके बाद विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल का इस मामले पर अहम बयान आया है। इससे तेल खरीद पर भारत का रुख काफी कुछ साफ हो जाता है। यह भारत की कूटनीति और आर्थिक रणनीति के महत्वपूर्ण हिस्से को दर्शाता है। जायसवाल ने सीधे तौर पर न तो इन खबरों का खंडन किया और न ही इनकी पुष्टि की। अलबत्ता, भारत के ऊर्जा खरीद के व्यापक नजरिये को दोहराया। सरकार का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों के दबाव और अपनी ऊर्जा जरूरतों के बीच संतुलन साधने की कोशिश में जुटा है।
रणधीर जायसवाल ने अपने बयान में कहा कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार की उपलब्धता को देखता है। साथ ही वह दुनिया की मौजूदा स्थितियों पर भी नजर रखता है। यह एक साफ संकेत है कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में आकर अपनी ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।
रूसी तेल खरीद से भारत को हुआ है फायदा
रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदकर भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाया है। यह पॉलिसी तब तक जारी रहने के आसार हैं जब तक यह भारत के हित में है। यह भारत की स्वतंत्र फॉरेन और इकनॉमिक पॉलिसी का उदाहरण भी है। किसी भी शक्ति के आगे झुकने के बजाय जो अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देती है।
रणधीर जायसवाल की प्रतिक्रिया मीडिया में आई खबरों पर थी। इनमें कहा गया था कि कुछ भारतीय तेल कंपनियों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। जायसवाल ने कहा, 'आप ऊर्जा खरीदने के हमारे तरीके को जानते हैं। हम बाजार में उपलब्धता और दुनिया की स्थिति को देखते हैं। हमें किसी विशेष बदलाव की जानकारी नहीं है।'
अमेरिका के साथ अच्छे रिश्तों की भी बात कही
ईरान के साथ व्यापार करने वाली भारतीय कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों पर जायसवाल ने कहा, 'हमने प्रतिबंधों पर ध्यान दिया है। हम इस मामले की जांच कर रहे हैं।' ट्रंप के उस बयान पर कि भारत भविष्य में पाकिस्तान से तेल खरीद सकता है, जायसवाल ने कहा, 'मेरे पास इस पर बोलने के लिए कुछ नहीं है।' इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते बहुत अच्छे हैं। समय के साथ कई बदलाव आए हैं। लेकिन, रिश्ते मजबूत बने रहे। दोनों देशों के बीच दोस्ती और सहयोग है। दोनों देश एक दूसरे के हितों का ध्यान रखते हैं।
इस तरह भारत ने एक तरफ अमेरिका जैसे प्रमुख देशों के साथ अपने संबंधों को बनाए रखा है। दूसरी तरफ रूस के साथ अपने ऐतिहासिक और आर्थिक संबंधों को भी जारी रखा है। यह भारत की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह जटिल वैश्विक परिदृश्य में अलग-अलग पावर्स के बीच संतुलन स्थापित करने में सफल रहा है।
क्या है भारत का मैसेज?उनका बयान इस बात पर भी जोर देता है कि भारतीय तेल कंपनियां अपने फैसले बाजार की स्थितियों के आधार पर लेती हैं। अगर रूसी तेल पर मिलने वाली छूट में कमी आती है तो कंपनियां अन्य स्रोतों से तेल खरीदने का विकल्प चुन सकती हैं। यह भारत के व्यापारिक लचीलेपन और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों को दिखाता है। भारत किसी एक देश पर अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए अत्यधिक निर्भर नहीं रहना चाहता। अलबत्ता, अपने विकल्पों में विविधता लाकर अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है। यह नजरिया भविष्य में भी भारत की विदेश और आर्थिक नीतियों का महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा।
रणधीर जायसवाल ने अपने बयान में कहा कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार की उपलब्धता को देखता है। साथ ही वह दुनिया की मौजूदा स्थितियों पर भी नजर रखता है। यह एक साफ संकेत है कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में आकर अपनी ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।
रूसी तेल खरीद से भारत को हुआ है फायदा
रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदकर भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाया है। यह पॉलिसी तब तक जारी रहने के आसार हैं जब तक यह भारत के हित में है। यह भारत की स्वतंत्र फॉरेन और इकनॉमिक पॉलिसी का उदाहरण भी है। किसी भी शक्ति के आगे झुकने के बजाय जो अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देती है।
रणधीर जायसवाल की प्रतिक्रिया मीडिया में आई खबरों पर थी। इनमें कहा गया था कि कुछ भारतीय तेल कंपनियों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। जायसवाल ने कहा, 'आप ऊर्जा खरीदने के हमारे तरीके को जानते हैं। हम बाजार में उपलब्धता और दुनिया की स्थिति को देखते हैं। हमें किसी विशेष बदलाव की जानकारी नहीं है।'
अमेरिका के साथ अच्छे रिश्तों की भी बात कही
ईरान के साथ व्यापार करने वाली भारतीय कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों पर जायसवाल ने कहा, 'हमने प्रतिबंधों पर ध्यान दिया है। हम इस मामले की जांच कर रहे हैं।' ट्रंप के उस बयान पर कि भारत भविष्य में पाकिस्तान से तेल खरीद सकता है, जायसवाल ने कहा, 'मेरे पास इस पर बोलने के लिए कुछ नहीं है।' इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते बहुत अच्छे हैं। समय के साथ कई बदलाव आए हैं। लेकिन, रिश्ते मजबूत बने रहे। दोनों देशों के बीच दोस्ती और सहयोग है। दोनों देश एक दूसरे के हितों का ध्यान रखते हैं।
इस तरह भारत ने एक तरफ अमेरिका जैसे प्रमुख देशों के साथ अपने संबंधों को बनाए रखा है। दूसरी तरफ रूस के साथ अपने ऐतिहासिक और आर्थिक संबंधों को भी जारी रखा है। यह भारत की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह जटिल वैश्विक परिदृश्य में अलग-अलग पावर्स के बीच संतुलन स्थापित करने में सफल रहा है।
क्या है भारत का मैसेज?उनका बयान इस बात पर भी जोर देता है कि भारतीय तेल कंपनियां अपने फैसले बाजार की स्थितियों के आधार पर लेती हैं। अगर रूसी तेल पर मिलने वाली छूट में कमी आती है तो कंपनियां अन्य स्रोतों से तेल खरीदने का विकल्प चुन सकती हैं। यह भारत के व्यापारिक लचीलेपन और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों को दिखाता है। भारत किसी एक देश पर अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए अत्यधिक निर्भर नहीं रहना चाहता। अलबत्ता, अपने विकल्पों में विविधता लाकर अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है। यह नजरिया भविष्य में भी भारत की विदेश और आर्थिक नीतियों का महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा।
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