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MY समीकरण की पटरी पर चली गहलोत की गाड़ी, लेकिन साथ ही चल दिया कांग्रेस के फायदे वाला दांव भी

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पटना: अंततः महागठबंधन की अंदरूनी बैठक में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जो लगातार सीएम फेस के खुलासे की बात कर रहे थे, उन्होंने अपनी जिद पास करवा ही ली। कांग्रेस बिहार चुनाव 2025 के एकदम मुहाने पर इस बात पर न केवल तैयार हुई बल्कि कांग्रेस के विशेष दूत पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तेजस्वी यादव के सीएम चेहरे का ऐलान भी कर दिया। कांग्रेस ने खुद ही तय कर दिया कि बिहार में चुनाव राहुल गांधी नहीं बल्कि तेजस्वी यादव के चेहरे पर लड़ा जाएगा। आखिर अंतिम पलों में इस घोषणा के पीछे की राजनीति क्या है? जानते हैं महागठबंधन किस समीकरण को साधना चाहता है।


महागठबंधन का सीएम चेहरा तेजस्वी होंगे- गहलोत

बिहार में डैमेज कंट्रोल करने को आए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साफ कह दिया कि तेजस्वी यादव हमारे सीएम के चेहरे होंगे और मुकेश सहनी उप मुख्यमंत्री। वे यहीं नहीं रुके बल्कि उप मुख्यमंत्री के नाम को ले कर मुकेश सहनी के नाम की घोषणा तो की ही, साथ ही यह भी कह डाला कि और भी डिप्टी सीएम होंगे। इस घोषणा के आधार पर जाएं तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने पहले ही कहा था कि मुकेश सहनी उप मुख्यमंत्री होंगे पर इसके साथ एक मुस्लिम और एक दलित से भी उप मुख्यमंत्री होंगे।


सोशल इंजीनियरिंग समझिए
बिहार विधान सभा चुनाव के सापेक्ष इतना तो कहा ही जा रहा था कि सोशल इंजीनियरिंग के प्लेटफार्म पर महागठबंधन मजबूत है। MY समीकरण का मतलब ही करीब 32 प्रतिशत। अब इसने निषाद जाति के वोट को जोड़ दे तो मुकेश सहनी के अनुसार 12 प्रतिशत। अब दलितों की बात करें तो वह भी करीब 18 प्रतिशत। यानी कुल 62 प्रतिशत के लिए महागठबंधन ने ये किलेबंदी करने की कोशिश की है। इसे रफ्तार देने के लिए यादव से मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी यादव और निषाद जाति से मुकेश सहनी को आगे कर इन जातियों को महागठबंधन की उम्मीद से जोड़ना है। साथ ही इसके मुस्लिम और दलित में भी उप मुख्यमंत्री की बात कर कांग्रेस से अपने आधार वोट दलित और मुस्लिम मतों को कांग्रेस की तरफ खींचना भी है।


क्या कामयाब हो पाएगी महागठबंधन की ये कोशिश
ब इस प्रयास का रंग क्या दिखता है वह तो परिणाम बताएगा। लेकिन अशोक गहलोत की इस घोषणा ने उन तमाम जातियों का ध्यान महागठबंधन की तरफ आकर्षित करने का काम तो किया ही है। साथ इसके तेजस्वी यादव की तमाम घोषणाओं का जिसमें जीविका दीदियों या संविदाकर्मियों को सरकारी नौकरी या फिर हर घर एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा कितनी प्रभावी होगी, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन ये मुद्दे और मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की घोषणा कुछ असर दिखा सकती है, ऐसी संभावना बनती दिख रही है।
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