नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समय भारत से खफा है। उनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है। इसी को लेकर उन्होंने भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। उन्होंने भारत को धमकी दी है अगर रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया और कार्रवाई की जा सकती है। ट्रंप की इस धमकी को एक्सपर्ट ने खोखला बताया है।
इस बारे में रॉयटर्स ने लेखक क्लिडे रसेल के माध्यम से बताया है कि कच्चे तेल के बाजार को ऐसा लग रहा है कि भारत के रूसी तेल खरीदने पर अमेरिका की धमकी का कोई असर नहीं होगा। बाजार मान रहा है कि कुछ खास नहीं होने वाला है। ट्रंप ने 6 अगस्त को भारत से आने वाले सामान पर 25% का अतिरिक्त टैक्स लगाने की बात कही थी। यह टैक्स 28 अगस्त से लागू होगा। ट्रंप ने यह फैसला भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के विरोध में लिया था। अगर यह नया टैक्स लागू हो जाता है, तो कुछ भारतीय सामानों पर टैक्स की दर 50% तक पहुंच जाएगी। इससे अमेरिका में भारत से होने वाला आयात लगभग बंद हो जाएगा। साल 2024 में यह आयात करीब 87 अरब डॉलर था।
भरोसेमंद नहीं हैं ट्रंपलेख में कहा गया है कि ट्रंप का कोई भरोसा नहीं है। उनका पहले का रेकॉर्ड बताता है कि वे कभी भी अपना फैसला बदल सकते हैं। इसलिए सावधानी बरतनी जरूरी है। यह भी साफ नहीं है कि ट्रंप आखिर चाहते क्या हैं। ऐसा लगता है कि वे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी बातचीत से पहले रूस पर दबाव बनाना चाहते हैं। इसके लिए वे भारत का इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह कहना मुश्किल है कि ट्रंप भारत पर अतिरिक्त टैक्स लगाएंगे या नहीं। यूक्रेन में शांति समझौता होने की उम्मीद कम है। इसलिए भारत के पास टैक्स से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि वह रूस से तेल खरीदना बंद कर दे। लेकिन कच्चे तेल की कीमतों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि ऐसा कुछ होने वाला है।
बाजार को खतरा नहींभारत पर ज्यादा टैक्स लगाने की ट्रंप की घोषणा के बाद से ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम गिर गए हैं। सोमवार को एशियाई बाजार में यह 65.81 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गया, जो दो महीने में सबसे कम है।
तेल की कीमतों को देखकर लगता है कि बाजार को तेल की सप्लाई में कोई खतरा नहीं दिख रहा है। बाजार मान रहा है कि भारत या तो रूस से पहले की तरह तेल खरीदता रहेगा, या फिर उसे आसानी से कहीं और से तेल मिल जाएगा। इससे तेल की सप्लाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
चीन सबसे आगेरूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाले सिर्फ दो देश भारत और चीन हैं। चीन दुनिया में सबसे ज्यादा तेल खरीदता है। अमेरिका और पश्चिमी देश चीन पर कई चीजों के लिए निर्भर हैं। इसलिए ट्रंप चीन पर दबाव नहीं बना सकते कि वह रूस से तेल खरीदना बंद कर दे। भारत की स्थिति कमजोर है। खासकर रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी प्राइवेट रिफाइनरी कंपनियां पश्चिमी देशों के साथ अपने रिश्ते खराब नहीं करना चाहेंगी।
इस बारे में रॉयटर्स ने लेखक क्लिडे रसेल के माध्यम से बताया है कि कच्चे तेल के बाजार को ऐसा लग रहा है कि भारत के रूसी तेल खरीदने पर अमेरिका की धमकी का कोई असर नहीं होगा। बाजार मान रहा है कि कुछ खास नहीं होने वाला है। ट्रंप ने 6 अगस्त को भारत से आने वाले सामान पर 25% का अतिरिक्त टैक्स लगाने की बात कही थी। यह टैक्स 28 अगस्त से लागू होगा। ट्रंप ने यह फैसला भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के विरोध में लिया था। अगर यह नया टैक्स लागू हो जाता है, तो कुछ भारतीय सामानों पर टैक्स की दर 50% तक पहुंच जाएगी। इससे अमेरिका में भारत से होने वाला आयात लगभग बंद हो जाएगा। साल 2024 में यह आयात करीब 87 अरब डॉलर था।
भरोसेमंद नहीं हैं ट्रंपलेख में कहा गया है कि ट्रंप का कोई भरोसा नहीं है। उनका पहले का रेकॉर्ड बताता है कि वे कभी भी अपना फैसला बदल सकते हैं। इसलिए सावधानी बरतनी जरूरी है। यह भी साफ नहीं है कि ट्रंप आखिर चाहते क्या हैं। ऐसा लगता है कि वे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी बातचीत से पहले रूस पर दबाव बनाना चाहते हैं। इसके लिए वे भारत का इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह कहना मुश्किल है कि ट्रंप भारत पर अतिरिक्त टैक्स लगाएंगे या नहीं। यूक्रेन में शांति समझौता होने की उम्मीद कम है। इसलिए भारत के पास टैक्स से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि वह रूस से तेल खरीदना बंद कर दे। लेकिन कच्चे तेल की कीमतों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि ऐसा कुछ होने वाला है।
बाजार को खतरा नहींभारत पर ज्यादा टैक्स लगाने की ट्रंप की घोषणा के बाद से ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम गिर गए हैं। सोमवार को एशियाई बाजार में यह 65.81 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गया, जो दो महीने में सबसे कम है।
तेल की कीमतों को देखकर लगता है कि बाजार को तेल की सप्लाई में कोई खतरा नहीं दिख रहा है। बाजार मान रहा है कि भारत या तो रूस से पहले की तरह तेल खरीदता रहेगा, या फिर उसे आसानी से कहीं और से तेल मिल जाएगा। इससे तेल की सप्लाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
चीन सबसे आगेरूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाले सिर्फ दो देश भारत और चीन हैं। चीन दुनिया में सबसे ज्यादा तेल खरीदता है। अमेरिका और पश्चिमी देश चीन पर कई चीजों के लिए निर्भर हैं। इसलिए ट्रंप चीन पर दबाव नहीं बना सकते कि वह रूस से तेल खरीदना बंद कर दे। भारत की स्थिति कमजोर है। खासकर रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी प्राइवेट रिफाइनरी कंपनियां पश्चिमी देशों के साथ अपने रिश्ते खराब नहीं करना चाहेंगी।
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