नई दिल्ली: हमारे देश ने विकसित भारत की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। देश की महत्वाकांक्षी परियोजना 4.5 जनरेशन फाइटर जेट लाइट कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट मार्क-2 (LCAMK2) की अगले साल के आखिर तक पहली उड़ान संभव हो पाएगा। फिर कई और टेस्ट से गुजरने के बाद इसे भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा। यह तेजस मार्क-2 अब प्रोटोटाइप फेज में आ गया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के चेयरमैन डॉ. डीके सुनील ने हाल ही में एक टीवी चैनल पर यह बताया कि अभी इस एयरक्रॉफ्ट के पार्ट्स और ढांचे को लेकर काम चल रहा है। यह तेजस इतना मारक होगा कि इससे पाकिस्तान जैसे दुश्मनों की नींद अभी से उड़ी हुई है।
तेजस मार्क-2 का पहला टेस्ट 2026 में
डॉ. डीके सुनील के अनुसार, तेजस एमके-2 का पहला परीक्षण 2026 के तीसरे या चौथे तिमाही में किए जाने का प्लान है। इसकी पहली उड़ान 2026 के आखिर या 2027 के शुरुआत में हो सकती है। यह फाइटर जेट पहाड़ों पर निचली ऊंचाई की लड़ाइयों में बेहर मारक साबित होगा। इसके अलावा, दुश्मन के जंगी जेट का पीछा करके उसे तबाह करने में बाहुबली साबित होगा। पाकिस्तान की टेंशन यही है।
तेजस मार्क-2 में लगेगा कावेरी टर्बोफेन इंजन
दरअसल, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के बीच जो समझौता हुआ है, उसी के तहत
तेजस मार्क-2 में GE F414-INS6 इंजन लगेगा। यह इंजन 98 किलोन्यूटन थ्रस्ट (thrust) पैदा करता है और विमान को मैक 1.8 की गति तक पहुंचने में सक्षम बनाता है। पाकिस्तान की नींद इसीलिए उड़ी हुई है, क्योंकि वह तो फाइटर जेट के लिए चीन पर निर्भर है, जिनका ऑपरेशन सिंदूर में दम निकल गया था।
कावेरी टर्बोफेन इंजन: स्वदेशी जेट इंजन पर जो
भारत फाइटर जेट इंजन बनाने के लिए स्वदेशी स्तर पर भी प्रयास कर रहा है। इसके लिए कावेरी टर्बोफैन इंजन को 110 kN वेट और 75 kN ड्राई थ्रस्ट तक बढ़ाने के लिए कुछ नई तकनीकें लगानी होंगी। इनमें सिंगल क्रिस्टल ब्लेड टेक्नोलॉजी, इंटीग्रेटेड रोटर डिस्क और ब्लेड, और निकल और कोबाल्ट के सुपर अलॉय शामिल हैं। 1980 के दशक में शुरू की गई कावेरी इंजन परियोजना का उद्देश्य स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस को शक्ति प्रदान करना था। हालांकि, इस परियोजना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण यह तेजस की आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रही। कावेरी 2.0 भारतीय लड़ाकू विमानों के लिए स्वदेशी इंजन विकास का एक प्रयास है। यह इंजन, GE F414 जैसे इंजनों के बराबर थ्रस्ट प्रदान करने के लिए बनाया जा रहा है। इसे 2031-32 के आसपास तैयार होने की उम्मीद है।
LCAMK1A को भी तैयार किया जा रहा है
रिपोर्ट के अनुसार, HAL और अमेरिका की GE Aerospace में यह समझौता हुआ है। इससे पहले हुए अमेरिकी कंपनी से एक समझौते के तहत ही इसी साल जुलाई में भारत को अमेरिका से दूसरा GE-404 इंजन मिल गया। यह इंजन HAL तेजस LCAMK1A फाइटर जेट्स में लगाएगी। HAL को ऐसे 12 GE-404 इंजन मार्च, 2026 तक मिलने हैं। भारतीय वायुसेना (IAF) 83 LCA Mark 1A के ऑर्डर दे चुकी है। इसके अलावा, 97 और ऐसे फाइटर जेट्स की खरीद का भी प्रस्ताव है।
DRDO की GTRE फैसिलिटी में बनेगा जेट इंजन
DRDO का एक सहयोगी संगठन है गैस टर्बाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (GTRE)। इसने जेट इंजन के फाइनल टेस्ट के लिए फैसिलिटी बनाई है। बेंगलूरू स्थित इस फैसिलिटी पर पॉवरफुल इंजन फैसिलिटी बनाने का काम 2023 से ही शुरू हो गया था। इस फैसिलिटी में GTRE 130 किलो न्यूटन का पॉवरफुल इंजन बनाएगा। माना जा रहा है कि यह इंजन इसी फैसिलिटी में बनकर तैयार होगा। यह फैसिलिटी अक्टूबर, 2025 तक तैयार हो जाएगी।
AMCA के लिए भी तैयार होंगे इंजन
GTRE के पास दो महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हैं। एक तो है ड्राई कावेरी इंजन। ये इंजन मानव रहित लड़ाकू ड्रोनों के लिए तैयार किए जाएंगे। दूसरा एक और सुपर इंजन बनाया जाएगा जो भावी पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमानों यानी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट (AMCA) के लिए तैयार किए जाएंगे। भारत DATRAN' 1500 हॉर्स पॉवर का इंजन अभी प्रोटोटाइप टेस्ट से गुजर रहा है। ये भारत के अर्जुन MBT, Mk-1, Mk-2 के साथ ही फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (FRCV) को ताकत देंगे। मशहूर कार निर्माता कंपनी रॉल्स रॉयस भी भारत के टैंक इंजन की जरूरतों को पूरा करने में भागीदार बन रही है। खासतौर पर यह अर्जुन टैंक में लगेंगे।
फाइटर जेट के लिए मेक इन इंडिया पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले के प्राचीर से मेक इन इंडिया फाइटर जेट इंजनज्र भारत की सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) फाइटर जेट्स के लिए स्वदेशी इंजन के विकास में लगी है। इसमें लक्ष्य ड्रोन के लिए PTAE-7 टर्बोजेट, यूएवी और ट्रेनर के लिए HTFE-25 टर्बोफेन और हेलीकॉप्टरों के लिए HTSE-1200 टर्बोशैफ्ट इंजन बना रही है।
Safran-HAL मिलकर शक्ति 1H1 टर्बोशैफ्ट इंजन बनाएंगे
हाल ही में भारत ने फाइटर जेट्स के लिए फ्रांसीसी कंपनी सैफ्रन (SAFRAN) पर भरोसा जताया है। अब Safran-HAL मिलकर शक्ति 1H1 टर्बोशैफ्ट इंजन बनाएंगे, जो ध्रुव और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में लगाए जाएंगे। इसके अलावा, Safran ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के Gas Turbine Research Establishment (GTRE) के साथ हाथ मिलाया है, जो HALतेजस और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट (AMCA) के लिए स्वदेशी GTX-35VS कावेरी टर्बोफेन इंजन बना रहे हैं।
तेजस मार्क-2 का पहला टेस्ट 2026 में
डॉ. डीके सुनील के अनुसार, तेजस एमके-2 का पहला परीक्षण 2026 के तीसरे या चौथे तिमाही में किए जाने का प्लान है। इसकी पहली उड़ान 2026 के आखिर या 2027 के शुरुआत में हो सकती है। यह फाइटर जेट पहाड़ों पर निचली ऊंचाई की लड़ाइयों में बेहर मारक साबित होगा। इसके अलावा, दुश्मन के जंगी जेट का पीछा करके उसे तबाह करने में बाहुबली साबित होगा। पाकिस्तान की टेंशन यही है।

तेजस मार्क-2 में लगेगा कावेरी टर्बोफेन इंजन
दरअसल, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के बीच जो समझौता हुआ है, उसी के तहत
तेजस मार्क-2 में GE F414-INS6 इंजन लगेगा। यह इंजन 98 किलोन्यूटन थ्रस्ट (thrust) पैदा करता है और विमान को मैक 1.8 की गति तक पहुंचने में सक्षम बनाता है। पाकिस्तान की नींद इसीलिए उड़ी हुई है, क्योंकि वह तो फाइटर जेट के लिए चीन पर निर्भर है, जिनका ऑपरेशन सिंदूर में दम निकल गया था।
कावेरी टर्बोफेन इंजन: स्वदेशी जेट इंजन पर जो
भारत फाइटर जेट इंजन बनाने के लिए स्वदेशी स्तर पर भी प्रयास कर रहा है। इसके लिए कावेरी टर्बोफैन इंजन को 110 kN वेट और 75 kN ड्राई थ्रस्ट तक बढ़ाने के लिए कुछ नई तकनीकें लगानी होंगी। इनमें सिंगल क्रिस्टल ब्लेड टेक्नोलॉजी, इंटीग्रेटेड रोटर डिस्क और ब्लेड, और निकल और कोबाल्ट के सुपर अलॉय शामिल हैं। 1980 के दशक में शुरू की गई कावेरी इंजन परियोजना का उद्देश्य स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस को शक्ति प्रदान करना था। हालांकि, इस परियोजना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण यह तेजस की आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रही। कावेरी 2.0 भारतीय लड़ाकू विमानों के लिए स्वदेशी इंजन विकास का एक प्रयास है। यह इंजन, GE F414 जैसे इंजनों के बराबर थ्रस्ट प्रदान करने के लिए बनाया जा रहा है। इसे 2031-32 के आसपास तैयार होने की उम्मीद है।
LCAMK1A को भी तैयार किया जा रहा है
रिपोर्ट के अनुसार, HAL और अमेरिका की GE Aerospace में यह समझौता हुआ है। इससे पहले हुए अमेरिकी कंपनी से एक समझौते के तहत ही इसी साल जुलाई में भारत को अमेरिका से दूसरा GE-404 इंजन मिल गया। यह इंजन HAL तेजस LCAMK1A फाइटर जेट्स में लगाएगी। HAL को ऐसे 12 GE-404 इंजन मार्च, 2026 तक मिलने हैं। भारतीय वायुसेना (IAF) 83 LCA Mark 1A के ऑर्डर दे चुकी है। इसके अलावा, 97 और ऐसे फाइटर जेट्स की खरीद का भी प्रस्ताव है।
DRDO की GTRE फैसिलिटी में बनेगा जेट इंजन
DRDO का एक सहयोगी संगठन है गैस टर्बाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (GTRE)। इसने जेट इंजन के फाइनल टेस्ट के लिए फैसिलिटी बनाई है। बेंगलूरू स्थित इस फैसिलिटी पर पॉवरफुल इंजन फैसिलिटी बनाने का काम 2023 से ही शुरू हो गया था। इस फैसिलिटी में GTRE 130 किलो न्यूटन का पॉवरफुल इंजन बनाएगा। माना जा रहा है कि यह इंजन इसी फैसिलिटी में बनकर तैयार होगा। यह फैसिलिटी अक्टूबर, 2025 तक तैयार हो जाएगी।
AMCA के लिए भी तैयार होंगे इंजन
GTRE के पास दो महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हैं। एक तो है ड्राई कावेरी इंजन। ये इंजन मानव रहित लड़ाकू ड्रोनों के लिए तैयार किए जाएंगे। दूसरा एक और सुपर इंजन बनाया जाएगा जो भावी पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमानों यानी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट (AMCA) के लिए तैयार किए जाएंगे। भारत DATRAN' 1500 हॉर्स पॉवर का इंजन अभी प्रोटोटाइप टेस्ट से गुजर रहा है। ये भारत के अर्जुन MBT, Mk-1, Mk-2 के साथ ही फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (FRCV) को ताकत देंगे। मशहूर कार निर्माता कंपनी रॉल्स रॉयस भी भारत के टैंक इंजन की जरूरतों को पूरा करने में भागीदार बन रही है। खासतौर पर यह अर्जुन टैंक में लगेंगे।
फाइटर जेट के लिए मेक इन इंडिया पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले के प्राचीर से मेक इन इंडिया फाइटर जेट इंजनज्र भारत की सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) फाइटर जेट्स के लिए स्वदेशी इंजन के विकास में लगी है। इसमें लक्ष्य ड्रोन के लिए PTAE-7 टर्बोजेट, यूएवी और ट्रेनर के लिए HTFE-25 टर्बोफेन और हेलीकॉप्टरों के लिए HTSE-1200 टर्बोशैफ्ट इंजन बना रही है।
Safran-HAL मिलकर शक्ति 1H1 टर्बोशैफ्ट इंजन बनाएंगे
हाल ही में भारत ने फाइटर जेट्स के लिए फ्रांसीसी कंपनी सैफ्रन (SAFRAN) पर भरोसा जताया है। अब Safran-HAL मिलकर शक्ति 1H1 टर्बोशैफ्ट इंजन बनाएंगे, जो ध्रुव और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में लगाए जाएंगे। इसके अलावा, Safran ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के Gas Turbine Research Establishment (GTRE) के साथ हाथ मिलाया है, जो HALतेजस और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट (AMCA) के लिए स्वदेशी GTX-35VS कावेरी टर्बोफेन इंजन बना रहे हैं।
You may also like
Infinix GT 30 5G+ का धमाकेदार आगमन, जानें भारत में इसकी कीमत और स्पेसिफिकेशंस
यूपी पुलिस के 17 जवानों को असाधारण बहादुरी के लिए वीरता पदक से सम्मानित किया जाएगा
Health Tips: रात में सोने से पहले करले आप भी एक गिलास दालचीनी के पानी का सेवन, मिलेगी इन बीमारियों में....
एशिया कप के लिए गिल से ज्यादा उपयुक्त जायसवाल : आकाश चोपड़ा
Vivo Y400 , Realme 15 और Nothing 3a का फुल कम्पेरिजन सही चुनाव कौन सा है?