नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने पूरे देश में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन ( SIR ) को लेकर बुधवार से शीर्ष स्तरीय बैठक शुरू कर दी है। सितंबर के बाद एसआईआर पर फैसले के लिए इस तरह की यह दूसरी दो-दिवसीय बैठक हो रही है। अधिकारियों के अनुसार इस विषय को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त एसएस संधु और विवेक जोशी सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। एसआईआर शुरू करने के फैसले को लेकर यह विचार-विमर्श गुरुवार तक चलेगा।
चुनाव वाले राज्यों में पहले एसआईआर
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार चुनाव आयोग में शीर्ष स्तर पर यह आम राय है कि एसआईआर की प्रक्रिया को अलग-अलग चरणों में अंजाम दिया जाए, जिसकी शुरुआत उन राज्यों से हो जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। वैसे पहले चरण में और भी राज्यों को शामिल किया जा सकता है। हालांकि, इस दौरान उन राज्यों में वोटर लिस्ट सफाई का यह अभियान नहीं चलाया जाएगा, जहां स्थानीय निकाय चुनाव होते रहेंगे या होने वाले होंगे। क्योंकि, जमीनी मशीनरी उन चुनावों में लगी होगी, जिससे उन्हें एसआईआर के काम पर फोकस रखने में मुश्किल आएगी।
बिहार में एसआईआर के बाद हो रहा चुनाव
2026 में पश्चिम बंगाल के अलावा असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग इन राज्यों के अलावा पहले चरण में कुछ और राज्यों को भी एसआईआर प्रक्रिया में शामिल कर सकता है। चुनाव आयोग ने सबसे पहले मतदाता सूची का यह सफाई अभियान बिहार में चलाया है, जहां अभी विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। चुनाव आयोग ने बिहार में एसआईआर के बाद 30 सितंबर को जो फाइनल वोटर लिस्ट जारी की है, उसमें करीब 7.42 वोटरों के नाम शामिल हैं।
एसआईआर बहुत जल्द शुरू हो सकता है
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इसी महीने कह चुके हैं कि पूरे देश में एसआईआर शुरू करने पर काम चल रहा है और इसे लागू करने का फैसला चुनाव आयोग लेगा। अधिकारियों के अनुसार चुनाव आयोग ने पिछले महीने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से एक सम्मेलन में कहा कि अगले 10 से 15 दिनों में एसआईआर शुरू करने के लिए तैयार रहें। इनसे कहा गया है कि पिछले एसआईआर के बाद जारी हुई मतदाता सूची तैयार रखें। कई राज्यों के मुख्य निर्वाचन कार्यालयों ने अपने राज्य में पिछले एसआईआर के बाद जारी हुई वोटर लिस्ट को वेबसाइट पर डाल भी दिया है। दिल्ली के सीईओ की वेबसाइट पर 2008 की वोटर लिस्ट डाली गई है, जब राजधानी में पिछला स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन हुआ था।
अवैध विदेशी घुसपैठियों की पहचान होगी
इसी तरह उत्तराखंड में 2006 में पिछला एसआईआर हुआ था। वैसे ज्यादातर राज्यों के पास वोटर लिस्ट का आखिरी एसआईआर 2002 और 2004 के बीच हुआ था। अधिकतर राज्यों केंद्र शासित प्रदेश (UT) ने पिछले एसआईआर के हिसाब से मौजूदा मतदाताओं की मैपिंग लगभग पूरी कर ली है। एसआईआर का प्राथमिक उद्देश्य अवैध विदेशी प्रवासियों का उनके जन्म स्थान से पता लगाना है। देश में अवैध बांग्लादेशी और म्यांमार के घुसपैठियों की मौजूदगी की वजह से यह प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
चुनाव वाले राज्यों में पहले एसआईआर
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार चुनाव आयोग में शीर्ष स्तर पर यह आम राय है कि एसआईआर की प्रक्रिया को अलग-अलग चरणों में अंजाम दिया जाए, जिसकी शुरुआत उन राज्यों से हो जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। वैसे पहले चरण में और भी राज्यों को शामिल किया जा सकता है। हालांकि, इस दौरान उन राज्यों में वोटर लिस्ट सफाई का यह अभियान नहीं चलाया जाएगा, जहां स्थानीय निकाय चुनाव होते रहेंगे या होने वाले होंगे। क्योंकि, जमीनी मशीनरी उन चुनावों में लगी होगी, जिससे उन्हें एसआईआर के काम पर फोकस रखने में मुश्किल आएगी।
बिहार में एसआईआर के बाद हो रहा चुनाव
2026 में पश्चिम बंगाल के अलावा असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग इन राज्यों के अलावा पहले चरण में कुछ और राज्यों को भी एसआईआर प्रक्रिया में शामिल कर सकता है। चुनाव आयोग ने सबसे पहले मतदाता सूची का यह सफाई अभियान बिहार में चलाया है, जहां अभी विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। चुनाव आयोग ने बिहार में एसआईआर के बाद 30 सितंबर को जो फाइनल वोटर लिस्ट जारी की है, उसमें करीब 7.42 वोटरों के नाम शामिल हैं।
एसआईआर बहुत जल्द शुरू हो सकता है
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इसी महीने कह चुके हैं कि पूरे देश में एसआईआर शुरू करने पर काम चल रहा है और इसे लागू करने का फैसला चुनाव आयोग लेगा। अधिकारियों के अनुसार चुनाव आयोग ने पिछले महीने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से एक सम्मेलन में कहा कि अगले 10 से 15 दिनों में एसआईआर शुरू करने के लिए तैयार रहें। इनसे कहा गया है कि पिछले एसआईआर के बाद जारी हुई मतदाता सूची तैयार रखें। कई राज्यों के मुख्य निर्वाचन कार्यालयों ने अपने राज्य में पिछले एसआईआर के बाद जारी हुई वोटर लिस्ट को वेबसाइट पर डाल भी दिया है। दिल्ली के सीईओ की वेबसाइट पर 2008 की वोटर लिस्ट डाली गई है, जब राजधानी में पिछला स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन हुआ था।
अवैध विदेशी घुसपैठियों की पहचान होगी
इसी तरह उत्तराखंड में 2006 में पिछला एसआईआर हुआ था। वैसे ज्यादातर राज्यों के पास वोटर लिस्ट का आखिरी एसआईआर 2002 और 2004 के बीच हुआ था। अधिकतर राज्यों केंद्र शासित प्रदेश (UT) ने पिछले एसआईआर के हिसाब से मौजूदा मतदाताओं की मैपिंग लगभग पूरी कर ली है। एसआईआर का प्राथमिक उद्देश्य अवैध विदेशी प्रवासियों का उनके जन्म स्थान से पता लगाना है। देश में अवैध बांग्लादेशी और म्यांमार के घुसपैठियों की मौजूदगी की वजह से यह प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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