बैतूल: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप पीने से 11 बच्चों की मौत के बाद अब बैतूल जिले के आमला प्रखंड में भी इसी कफ सिरप को पीने से दो बच्चों की मौत हो गई है। हालांकि, बैतूल कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी ने स्पष्ट किया है कि दोनों बच्चों का इलाज बैतूल जिले के किसी भी शासकीय या निजी अस्पताल में नहीं हुआ है। जिले में ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप की बिक्री भी नहीं पाई गई है।
उन्होंने कहा कि यह मामला बैतूल जिले से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित नहीं है, फिर भी मृतक बच्चों के बैतूल निवासी होने के कारण पूरी संवेदनशीलता से जांच की जा रही है। आमला प्रखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक नरवारे ने बताया कि दोनों बच्चों की पहचान कलमेश्वर गांव निवासी कमलेश के चार वर्षीय पुत्र कबीर और जामुन बिछुआ गांव निवासी निखलेश के ढाई वर्षीय पुत्र गर्मीत के रूप में हुई है।
अभी तक मौत के वजह की पुष्टि नहीं
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों बच्चों को बुखार के इलाज के लिए पड़ोसी छिंदवाड़ा जिले के परासिया ले जाया गया, जहां उनकी हालत बिगड़ गई। अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि मौतें सिरप की वजह से हुई हैं या नहीं। मुझे विस्तृत जांच करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।’’
पोस्टमार्टम नहीं किया गया
नरवारे ने कहा, ‘‘दोनों बच्चों में गुर्दे की समस्या और पेट में सूजन जैसे लक्षण विकसित हुए और उन्हें बेहतर इलाज के लिए बैतूल से भोपाल भेजा गया था। कोई पोस्टमार्टम नहीं किया गया था, लेकिन गुर्दे की गंभीर जटिलताओं की रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी (सीएम एंड एचओ) को भेजी गई थी।’’
परिजनों ने दावा, सिरप से हुई मौत
संयोग से, आमला छिंदवाड़ा के परासिया उप संभाग से लगभग 150 किलोमीटर दूर है, जहां पर दूषित कफ सिरप पीने से 11 बच्चों की मौत हो गई है। परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि कबीर की मौत परासिया के चिकित्सक डॉ. प्रवीण सोनी के परामर्श पर ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप के सेवन के बाद हुई। सोनी को शनिवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया था और रविवार सुबह सेवा से निलंबित कर दिया गया।
छिंदवाड़ा के डॉक्टर पर हो चुकी है FIR
परासिया पुलिस के अनुसार, सरकारी डॉक्टर होने के बावजूद सोनी एक निजी क्लिनिक में प्रैक्टिस कर रहा था और उसने ही अपने परामर्श में ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप की सलाह दी थी। कबीर के रिश्तेदारों ने बताया कि बुखार की शिकायत के बाद उसे 24 अगस्त को डॉ. सोनी के पास ले जाया गया था, लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर परासिया के ही दो अन्य डॉक्टरों से परामर्श किया गया। उन्होंने कहा कि दोनों ही चिकित्सकों ने कबीर के गुर्दे में समस्या बताई थी।
रिश्तेदारों ने बताया कि बाद में बच्चे को नागपुर और फिर भोपाल ले जाया गया, जहां आठ सितंबर को उसकी मौत हो गई। डॉ. नरवारे ने कहा कि एक अक्टूबर को इलाज के दौरान गर्मीत की उसके गांव में मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि गर्मीत के परिवार ने पहले डॉ. सोनी से परामर्श किया था।
बीएमओ रिपोर्ट का इंतजार कर रहा स्वास्थ्य विभाग
आमला के उप-संभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) शैलेंद्र बडोनिया ने कहा कि प्रशासन विस्तृत जानकारी एकत्र कर रहा है, जबकि बैतूल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज हुरमडे ने कहा कि उन्होंने बीएमओ से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। हुरमडे ने कहा, ‘‘बीएमओ से रिपोर्ट मिलने के बाद ही मौतों के सही कारण का पता लगा सकता हूं। सभी निजी मेडिकल स्टोरों और प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों को निर्देश दिया गया है कि वे पंजीकृत डॉक्टर के पर्चे पर ही दवाएं या सिरप वितरित करें।’’
कलेक्टर ने बिना जांच के कर दिया दावा
उन्होंने कहा कि डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और ड्रग इंस्पेक्टरों को जांच तेज करने तथा संदिग्ध या असत्यापित दवाओं की बिक्री रोकने के लिए कहा गया है। तमिलनाडु सरकार ने सिरप में जहरीला पदार्थ पाए जाने पर शुक्रवार को ‘कोल्ड्रिफ’ पर प्रतिबंध लगा दिया। तमिलनाडु के बाद, मध्यप्रदेश सरकार ने भी कोल्ड्रिफ की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। कलेक्टर सूर्यवंशी ने कहा, "अब तक जिले के स्वास्थ्य विभाग, पुलिस या प्रशासन को कोल्ड्रिफ सिरप पीने से किसी की मृत्यु की कोई सूचना या शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।"
उन्होंने कहा कि यह मामला बैतूल जिले से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित नहीं है, फिर भी मृतक बच्चों के बैतूल निवासी होने के कारण पूरी संवेदनशीलता से जांच की जा रही है। आमला प्रखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक नरवारे ने बताया कि दोनों बच्चों की पहचान कलमेश्वर गांव निवासी कमलेश के चार वर्षीय पुत्र कबीर और जामुन बिछुआ गांव निवासी निखलेश के ढाई वर्षीय पुत्र गर्मीत के रूप में हुई है।
अभी तक मौत के वजह की पुष्टि नहीं
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों बच्चों को बुखार के इलाज के लिए पड़ोसी छिंदवाड़ा जिले के परासिया ले जाया गया, जहां उनकी हालत बिगड़ गई। अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि मौतें सिरप की वजह से हुई हैं या नहीं। मुझे विस्तृत जांच करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।’’
पोस्टमार्टम नहीं किया गया
नरवारे ने कहा, ‘‘दोनों बच्चों में गुर्दे की समस्या और पेट में सूजन जैसे लक्षण विकसित हुए और उन्हें बेहतर इलाज के लिए बैतूल से भोपाल भेजा गया था। कोई पोस्टमार्टम नहीं किया गया था, लेकिन गुर्दे की गंभीर जटिलताओं की रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी (सीएम एंड एचओ) को भेजी गई थी।’’
परिजनों ने दावा, सिरप से हुई मौत
संयोग से, आमला छिंदवाड़ा के परासिया उप संभाग से लगभग 150 किलोमीटर दूर है, जहां पर दूषित कफ सिरप पीने से 11 बच्चों की मौत हो गई है। परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि कबीर की मौत परासिया के चिकित्सक डॉ. प्रवीण सोनी के परामर्श पर ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप के सेवन के बाद हुई। सोनी को शनिवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया था और रविवार सुबह सेवा से निलंबित कर दिया गया।
छिंदवाड़ा के डॉक्टर पर हो चुकी है FIR
परासिया पुलिस के अनुसार, सरकारी डॉक्टर होने के बावजूद सोनी एक निजी क्लिनिक में प्रैक्टिस कर रहा था और उसने ही अपने परामर्श में ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप की सलाह दी थी। कबीर के रिश्तेदारों ने बताया कि बुखार की शिकायत के बाद उसे 24 अगस्त को डॉ. सोनी के पास ले जाया गया था, लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर परासिया के ही दो अन्य डॉक्टरों से परामर्श किया गया। उन्होंने कहा कि दोनों ही चिकित्सकों ने कबीर के गुर्दे में समस्या बताई थी।
रिश्तेदारों ने बताया कि बाद में बच्चे को नागपुर और फिर भोपाल ले जाया गया, जहां आठ सितंबर को उसकी मौत हो गई। डॉ. नरवारे ने कहा कि एक अक्टूबर को इलाज के दौरान गर्मीत की उसके गांव में मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि गर्मीत के परिवार ने पहले डॉ. सोनी से परामर्श किया था।
बीएमओ रिपोर्ट का इंतजार कर रहा स्वास्थ्य विभाग
आमला के उप-संभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) शैलेंद्र बडोनिया ने कहा कि प्रशासन विस्तृत जानकारी एकत्र कर रहा है, जबकि बैतूल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज हुरमडे ने कहा कि उन्होंने बीएमओ से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। हुरमडे ने कहा, ‘‘बीएमओ से रिपोर्ट मिलने के बाद ही मौतों के सही कारण का पता लगा सकता हूं। सभी निजी मेडिकल स्टोरों और प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों को निर्देश दिया गया है कि वे पंजीकृत डॉक्टर के पर्चे पर ही दवाएं या सिरप वितरित करें।’’
कलेक्टर ने बिना जांच के कर दिया दावा
उन्होंने कहा कि डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और ड्रग इंस्पेक्टरों को जांच तेज करने तथा संदिग्ध या असत्यापित दवाओं की बिक्री रोकने के लिए कहा गया है। तमिलनाडु सरकार ने सिरप में जहरीला पदार्थ पाए जाने पर शुक्रवार को ‘कोल्ड्रिफ’ पर प्रतिबंध लगा दिया। तमिलनाडु के बाद, मध्यप्रदेश सरकार ने भी कोल्ड्रिफ की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। कलेक्टर सूर्यवंशी ने कहा, "अब तक जिले के स्वास्थ्य विभाग, पुलिस या प्रशासन को कोल्ड्रिफ सिरप पीने से किसी की मृत्यु की कोई सूचना या शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।"
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