नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था की चाल में बड़ा बदलाव अक्टूबर तक दिखाई देने का अनुमान है। तब कीमतों का दबाव और कम होने लगेगा। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) की ताजा रिपोर्ट में महंगाई पर कई बड़ी बातें सामने आई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में खुदरा महंगाई अक्टूबर 2025 तक और कम होने की उम्मीद है। ऐसा पिछले साल के मुकाबले महंगाई दर का ऊंचा होना, खाने-पीने की चीजों की कीमत में मौसमी देरी और जीएसटी सुधारों का पूरा असर होने के कारण होगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आने वाले महीनों में महंगाई धीरे-धीरे ही बढ़ेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर का अनुमान फिलहाल 0.50% से भी कम रहने की उम्मीद है। खाद्य महंगाई में भी अक्टूबर में भारी गिरावट आने की संभावना है। आने वाली सर्दियों में यह नकारात्मक दायरे में बनी रहेगी। फिर भले ही बाढ़ का असर थोड़ा बहुत रहा हो।
यह संकेत देता है कि क्रय शक्ति के लिए बेहतर माहौल तैयार हो रहा है। इस बदलाव से न सिर्फ उपभोक्ता के बटुए को राहत मिलेगी, बल्कि बाजार की रफ्तार को भी नई दिशा हासिल होगी। महंगाई दर काफी कम हुई है, जो आठ साल का सबसे निचला स्तर है। इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई कमी और जीएसटी दरों में किए गए बदलावों का असर है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई का अनुमान पहले के 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया गया है। उम्मीद है कि महंगाई साल के ज्यादातर समय लक्ष्य से नीचे रहेगी। चौथी तिमाही में आधार प्रभाव के कारण थोड़ी बढ़ेगी।
धीमी हुई है कीमतों में बढ़ोतरी
सितंबर में सीपीआई (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) ने पिछले महीने की तुलना में महत्वपूर्ण गिरावट दिखाई। यह वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करता है। इससे पता चलता है कि कीमतों में बढ़ोतरी व्यापक रूप से धीमी हुई है। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) शून्य से नीचे 2.28% पर रहा। इसका मतलब है कि जून 2025 से खाद्य पदार्थों की कीमतें नकारात्मक दायरे में हैं।
आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर 1.07% दर्ज की गई। वहीं, शहरी इलाकों में यह 2.04% रही। यह भी पता चला कि दोनों ही क्षेत्रों में खाद्य महंगाई नकारात्मक थी। ग्रामीण इलाकों में -2.17% और शहरी इलाकों में -2.47%। इससे सब्जियों और खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट का असर दिखता है। सरकार ने इस गिरावट का श्रेय अनुकूल आधार प्रभावों और सब्जियों, तेलों, फलों, अनाज, दालों, अंडों और ईंधन जैसी प्रमुख खाद्य श्रेणियों में की गई कटौती को दिया है।
सरकारी नीतियों का दिख रहा असर
यह रिपोर्ट बताती है कि सरकार की नीतियां महंगाई को काबू में रखने में सफल हैं। जीएसटी सुधारों का असर अब दिखने लगा है। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी, खासकर सब्जियों और तेलों में, आम आदमी के लिए बड़ी राहत की बात है। यह दिखाता है कि सरकार महंगाई को कम करने के लिए सही दिशा में काम कर रही है। आने वाले समय में भी महंगाई दर के नियंत्रण में रहने की उम्मीद है, जो अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।
यह संकेत देता है कि क्रय शक्ति के लिए बेहतर माहौल तैयार हो रहा है। इस बदलाव से न सिर्फ उपभोक्ता के बटुए को राहत मिलेगी, बल्कि बाजार की रफ्तार को भी नई दिशा हासिल होगी। महंगाई दर काफी कम हुई है, जो आठ साल का सबसे निचला स्तर है। इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई कमी और जीएसटी दरों में किए गए बदलावों का असर है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई का अनुमान पहले के 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया गया है। उम्मीद है कि महंगाई साल के ज्यादातर समय लक्ष्य से नीचे रहेगी। चौथी तिमाही में आधार प्रभाव के कारण थोड़ी बढ़ेगी।
धीमी हुई है कीमतों में बढ़ोतरी
सितंबर में सीपीआई (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) ने पिछले महीने की तुलना में महत्वपूर्ण गिरावट दिखाई। यह वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करता है। इससे पता चलता है कि कीमतों में बढ़ोतरी व्यापक रूप से धीमी हुई है। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) शून्य से नीचे 2.28% पर रहा। इसका मतलब है कि जून 2025 से खाद्य पदार्थों की कीमतें नकारात्मक दायरे में हैं।
आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर 1.07% दर्ज की गई। वहीं, शहरी इलाकों में यह 2.04% रही। यह भी पता चला कि दोनों ही क्षेत्रों में खाद्य महंगाई नकारात्मक थी। ग्रामीण इलाकों में -2.17% और शहरी इलाकों में -2.47%। इससे सब्जियों और खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट का असर दिखता है। सरकार ने इस गिरावट का श्रेय अनुकूल आधार प्रभावों और सब्जियों, तेलों, फलों, अनाज, दालों, अंडों और ईंधन जैसी प्रमुख खाद्य श्रेणियों में की गई कटौती को दिया है।
सरकारी नीतियों का दिख रहा असर
यह रिपोर्ट बताती है कि सरकार की नीतियां महंगाई को काबू में रखने में सफल हैं। जीएसटी सुधारों का असर अब दिखने लगा है। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी, खासकर सब्जियों और तेलों में, आम आदमी के लिए बड़ी राहत की बात है। यह दिखाता है कि सरकार महंगाई को कम करने के लिए सही दिशा में काम कर रही है। आने वाले समय में भी महंगाई दर के नियंत्रण में रहने की उम्मीद है, जो अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।
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