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गाजियाबाद में 106 साल पुरानी विंटेज कार ने दर्ज किया इतिहास, आरटीओ में कराया गया विशेष रजिस्ट्रेशन

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विभु मिश्रा, गाजियाबाद: 'शौक बड़ी चीज है, बस उसे पूरा करने वाला होना चाहिए…' इस कहावत को हकीकत में गाजियाबाद के रंजीत भुसरी ने बदल दिया। दरअसल, रंजीत ने 106 साल पुरानी विंटेज कार को न केवल ठीक करवाया, बल्कि उसका आधिकारिक रजिस्ट्रेशन भी करा लिया। यह उत्तर प्रदेश में पहली बार हुआ है, जब विदेश से इंपोर्ट की गई विंटेज कार का रजिस्ट्रेशन गाजियाबाद के आरटीओ कार्यालय में किया गया। इसकी खूब चर्चा हो रही है। वहीं, इस विंटेज कार को देखने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग जुट गए।

1919 मॉडल की है कारविंटेज कार 1919 मॉडल की क्लासिक गाड़ी है। यह अब केवल एक वाहन नहीं बल्कि इतिहास का जीवंत हिस्सा बन चुकी है। कार का डिजाइन, बनावट और इंजन उस दौर की झलक दिखाते हैं, जब मशीनें भी कला की मिसाल हुआ करती थीं। इस कार को देखकर लोग 20वीं सदी की शुरुआत के ऑटोमोबाइल युग की कल्पना करने लगते हैं।

अमेरिका से भारत तक की यात्राविंटेज कार के मालिक रंजीत भुसरी ने बताया कि उन्होंने यह कार अमेरिका से खरीदी थी। वहां यह करीब 25 साल तक एक गैराज में बंद पड़ी थी। उन्होंने कहा कि मैं अमेरिका आता-जाता रहता हूं। वहीं के विंटेज कार क्लबों में ये शौक लगा। वीकेंड पर लोग अपनी पुरानी कारों को निकालते और प्रदर्शनी में ले जाते हैं। मैंने यह गाड़ी 5 लाख रुपये में खरीदी थी, लेकिन टैक्स और कस्टम मिलाकर यह करीब 25 से 30 लाख की पड़ गई।

रंजीत ने बताया कि इस कार को चलने लायक बनाने में उन्हें डेढ़ साल का समय लगा। उन्होंने हंसते हुए कहा कि पिताजी कहा करते थे, ‘जंगल में मोर नाचा किसने देखा’। हमने वह करके दिखा दिया! इतिहास बनाने के लिए शौक को जुनून में बदलना होता है।

गाजियाबाद आरटीओ में रजिस्ट्रेशनजब रंजीत भुसरी यह 106 साल पुरानी कार लेकर गाजियाबाद आरटीओ कार्यालय पहुंचे, तो वहां यह नजारा देखने वालों के लिए किसी प्रदर्शनी से कम नहीं था। इस दौरान विभाग के अधिकारी भी कार को देखकर उत्साहित हो उठे। एआरटीओ (प्रशासन) मनोज कुमार सिंह ने बताया कि यह विंटेज कार विदेश से इंपोर्ट होकर आई है। ऐसे वाहनों का रजिस्ट्रेशन विशेष शर्तों के साथ किया जाता है।

एआरटीओ ने कहा कि इन गाड़ियों को रोजाना सड़क पर नहीं चलाया जा सकता, बल्कि केवल विंटेज कार रैली या प्रदर्शनी में ही इस्तेमाल किया जा सकता है। सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद आज इसका रजिस्ट्रेशन किया गया। उन्होंने आगे कहा कि यूपी में इस तरह की विदेशी विंटेज कार का पहली बार पंजीकरण हुआ है, जो विभाग के लिए भी गौरव का क्षण है।

शौक और जुनून की प्रतीकयह कार सिर्फ एक यांत्रिक वस्तु नहीं, बल्कि एक सदी पुराने दौर की यादों, इंजीनियरिंग की खूबसूरती और एक इंसान के जुनून की कहानी है। रंजीत भुसरी का कहना है कि यह गाड़ी अब उनकी विरासत और प्रेरणा बन चुकी है। उन्होंने कहा कि हर इंसान के पास कोई न कोई शौक होता है। फर्क सिर्फ इतना है कि कोई उसे भूल जाता है और कोई उसे जी लेता है। यह कार मेरे उसी शौक की पहचान है।
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