नई दिल्ली : पुलिस ने 15 साल पहले उत्तर-पश्चिम दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई महिला की हत्या के मामले को सुलझा लिया है। इस मामले में पुलिस ने मृतक महिला के पति को गुजरात से गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि राजस्थान निवासी नरोत्तम प्रसाद को गुजरात के छोटा उदयपुर से बुधवार को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि आरोपी वहां झूठी पहचान बताकर रह रहा था और कपास के एक कारखाने में प्रबंधक के रूप में काम कर रहा था।
मर्डर कर दिया आत्महत्या का रूप
पुलिस अधिकारी ने कहा, ''प्रसाद ने 2010 में अपनी पत्नी (25) की हत्या की और घटनास्थल पर इसे आत्महत्या का रूप दिया। घटना के बाद से वह फरार था। उसकी गिरफ्तारी के लिए 10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था।'' महेंद्र पार्क थाने में 31 मई 2010 को पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) पर सूचना मिली कि जहांगीरपुरी स्थित एक बंद घर से दुर्गंध आ रही है। मौके पर पहुंची पुलिस ने घर का दरवाज़ा तोड़ा तो वहां जमीन पर एक महिला का आंशिक रूप से सड़ चुका शव और 'एक सुसाइड' नोट मिला था।
गुजरात में छिपा होने की जानकारी
शुरुआती जांच में प्रसाद मुख्य संदिग्ध निकला, लेकिन घटना के तुरंत बाद से वह फऱार था। पुलिस ने प्रसाद को भगोड़ा अपराधी घोषित किया, लेकिन एक दशक से भी ज़्यादा समय बीतने के बावजूद मामला सुलझ नहीं पाया। अधिकारी ने कहा, ''चार नवंबर को टीम को सूचना मिली कि आरोपी गुजरात में छिपा है जिसके बाद पांच नवंबर को टीम ने उसे छोटा उदयपुर से पकड़ लिया। उसी दिन उसे वापस दिल्ली ले आई।''
15 सालों से गुमनामी की जिंदगी
पूछताछ के दौरान, प्रसाद ने वैवाहिक विवादों के कारण अपनी पत्नी की हत्या करने की बात कबूल की। उसने बताया कि शादी के कुछ समय बाद ही उनके बीच गंभीर विवाद होने लगे थे। गुस्से में आकर उसने अपनी पत्नी का गला घोंट दिया और बाद में जांचकर्ताओं को गुमराह करने के लिए एक फर्जी 'सुसाइड नोट' लिख दिया। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी पिछले 15 सालों से गुमनामी की ज़िंदगी जी रहा था।
मर्डर कर दिया आत्महत्या का रूप
पुलिस अधिकारी ने कहा, ''प्रसाद ने 2010 में अपनी पत्नी (25) की हत्या की और घटनास्थल पर इसे आत्महत्या का रूप दिया। घटना के बाद से वह फरार था। उसकी गिरफ्तारी के लिए 10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था।'' महेंद्र पार्क थाने में 31 मई 2010 को पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) पर सूचना मिली कि जहांगीरपुरी स्थित एक बंद घर से दुर्गंध आ रही है। मौके पर पहुंची पुलिस ने घर का दरवाज़ा तोड़ा तो वहां जमीन पर एक महिला का आंशिक रूप से सड़ चुका शव और 'एक सुसाइड' नोट मिला था।
गुजरात में छिपा होने की जानकारी
शुरुआती जांच में प्रसाद मुख्य संदिग्ध निकला, लेकिन घटना के तुरंत बाद से वह फऱार था। पुलिस ने प्रसाद को भगोड़ा अपराधी घोषित किया, लेकिन एक दशक से भी ज़्यादा समय बीतने के बावजूद मामला सुलझ नहीं पाया। अधिकारी ने कहा, ''चार नवंबर को टीम को सूचना मिली कि आरोपी गुजरात में छिपा है जिसके बाद पांच नवंबर को टीम ने उसे छोटा उदयपुर से पकड़ लिया। उसी दिन उसे वापस दिल्ली ले आई।''
15 सालों से गुमनामी की जिंदगी
पूछताछ के दौरान, प्रसाद ने वैवाहिक विवादों के कारण अपनी पत्नी की हत्या करने की बात कबूल की। उसने बताया कि शादी के कुछ समय बाद ही उनके बीच गंभीर विवाद होने लगे थे। गुस्से में आकर उसने अपनी पत्नी का गला घोंट दिया और बाद में जांचकर्ताओं को गुमराह करने के लिए एक फर्जी 'सुसाइड नोट' लिख दिया। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी पिछले 15 सालों से गुमनामी की ज़िंदगी जी रहा था।
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