फरीदाबाद : एनआईटी-3 में स्थित एक निजी अस्पताल में पथरी का ऑपरेशन करते वक्त मरीज की आंत फट गई। इसके कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई। मृतक की पत्नी की शिकायत पर एसजीएम नगर थाना पुलिस ने पांच महीने बाद केस दर्ज किया है। पत्नी ने बताया कि उन्होंने अपने पति को 17 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया था। वहं पुलिस का कहना है कि मेडिकल बोर्ड की जांच में डॉक्टरों की लापवाही सामने आई है। जल्द आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा।
क्लीनिक वाले ने मिलवाया डॉक्टर से
न्यू हरी नगर कॉलोनी ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-87 निवासी कविता के पति ओमवीर सिंह एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे। 15 अप्रैल को उनके पेट में दर्द हुआ तो उन्हें एक क्लिनिक पर दिखाने गए। अल्ट्रासाउंड में उनके पित्त की थैली में पथरी बताई गई। क्लिनिक चलाने वाले दीपांशु राठौर ने पति के ऑपरेशन के लिए मैक्स स्टोन सर्जिकल सेंटर एनआईटी-3 में डॉक्टर मखीजा से मिलाया। उन्होंने इलाज के लिए 28000 रुपये जमा करा लिए।
सीटी स्कैन कराने पर चला लापरवाही का पता
17 अप्रैल को दोपहर 12 बजे डॉक्टरों ने कहा कि अभी जांच में 4 से 5 घंटे लग सकते हैं। वह अपने बड़े बेटे को अस्पताल में ही छोड़कर घर चली गई। करीब डेढ़ घंटे बाद लौटीं तो देखा की पति दर्द से कराह रहे थे। डॉक्टर मखीजा और बाहर से बुलाए गए डॉक्टर जसमीत ने पति का ऑपरेशन किया था। उन्हें आईसीयू में रखा था। दर्द बंद नहीं हो रहा था और पेट फूलता जा रहा था। डॉक्टर ने कहा कि इन्हें एक हफ्ते तक अस्पताल में रखना पड़ेगा। अस्पताल 8 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से चार्ज मांग रहे थे। पेट लगातार फूलता जा रहा था तो शक होने पर पति का सेक्टर-16 में सीटी स्कैन कराया। उसमें पता चला की उनकी बड़ी आंत फटी हुई है।
केस खराब हुआ तो डॉक्टर हुए फरार
पत्नी ने बताया कि जब वो रिपोर्ट लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर मखीजा और जसमीत अस्पताल से फरार हो गए। पति की हालत बिगड़ रही थी, इसलिए उन्हें 18 अप्रैल की रात सेक्टर-76 में दूसरे असपताल में दाखिल कराया। 27 अप्रैल सुबह करीब 3 बजे उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई। थाना प्रभारी रणवीर सिंह का कहना है कि नेग्लिजेंसी बोर्ड की जांच में डॉक्टरों की लापरवाही नजर आई है। केस दर्ज कर लिया है।
पहले भी 3 डॉक्टरों पर हुई थी एफआईआर
डॉक्टरों की लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी दयालपुर बल्लभगढ़ निवासी अर्जुन सराव की बेटी अपनी जान गंवा चुकी है। उनकी 8 माह की बेटी के पैर पर 30 सितंबर 2024 को खौलती चाय गिर गई थी। उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों की लापरवाही से बेटी की मौत हो गई। पुलिस ने अस्पताल के 3 डॉक्टरों पर एफआईआर की थी।
क्लीनिक वाले ने मिलवाया डॉक्टर से
न्यू हरी नगर कॉलोनी ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-87 निवासी कविता के पति ओमवीर सिंह एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे। 15 अप्रैल को उनके पेट में दर्द हुआ तो उन्हें एक क्लिनिक पर दिखाने गए। अल्ट्रासाउंड में उनके पित्त की थैली में पथरी बताई गई। क्लिनिक चलाने वाले दीपांशु राठौर ने पति के ऑपरेशन के लिए मैक्स स्टोन सर्जिकल सेंटर एनआईटी-3 में डॉक्टर मखीजा से मिलाया। उन्होंने इलाज के लिए 28000 रुपये जमा करा लिए।
सीटी स्कैन कराने पर चला लापरवाही का पता
17 अप्रैल को दोपहर 12 बजे डॉक्टरों ने कहा कि अभी जांच में 4 से 5 घंटे लग सकते हैं। वह अपने बड़े बेटे को अस्पताल में ही छोड़कर घर चली गई। करीब डेढ़ घंटे बाद लौटीं तो देखा की पति दर्द से कराह रहे थे। डॉक्टर मखीजा और बाहर से बुलाए गए डॉक्टर जसमीत ने पति का ऑपरेशन किया था। उन्हें आईसीयू में रखा था। दर्द बंद नहीं हो रहा था और पेट फूलता जा रहा था। डॉक्टर ने कहा कि इन्हें एक हफ्ते तक अस्पताल में रखना पड़ेगा। अस्पताल 8 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से चार्ज मांग रहे थे। पेट लगातार फूलता जा रहा था तो शक होने पर पति का सेक्टर-16 में सीटी स्कैन कराया। उसमें पता चला की उनकी बड़ी आंत फटी हुई है।
केस खराब हुआ तो डॉक्टर हुए फरार
पत्नी ने बताया कि जब वो रिपोर्ट लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर मखीजा और जसमीत अस्पताल से फरार हो गए। पति की हालत बिगड़ रही थी, इसलिए उन्हें 18 अप्रैल की रात सेक्टर-76 में दूसरे असपताल में दाखिल कराया। 27 अप्रैल सुबह करीब 3 बजे उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई। थाना प्रभारी रणवीर सिंह का कहना है कि नेग्लिजेंसी बोर्ड की जांच में डॉक्टरों की लापरवाही नजर आई है। केस दर्ज कर लिया है।
पहले भी 3 डॉक्टरों पर हुई थी एफआईआर
डॉक्टरों की लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी दयालपुर बल्लभगढ़ निवासी अर्जुन सराव की बेटी अपनी जान गंवा चुकी है। उनकी 8 माह की बेटी के पैर पर 30 सितंबर 2024 को खौलती चाय गिर गई थी। उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों की लापरवाही से बेटी की मौत हो गई। पुलिस ने अस्पताल के 3 डॉक्टरों पर एफआईआर की थी।
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