नई दिल्ली: दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने अपनी अद्भुत सर्जिकल दक्षता और टीमवर्क से एक ऐसा कारनामा कर दिखाया जो चिकित्सा जगत में मिसाल बन गया है। अस्पताल के डॉक्टरों ने एक 20 वर्षीय युवक का हाथ बचाने के लिए उसी के अलग कटे हुए पैर के अंगूठे से नया अंगूठा बना दिया। इस कटे हुए पैर को दोबारा नहीं जोड़ा जा सकता था तो डॉक्टरों ने उसमें से अंगूठा निकालकर उसे हाथ के अंगूठे के हिसाब से तैयार कर इंप्लांट कर दिया।   
   
हरियाणा के रेवाड़ी का रहने वाला यह युवक एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था। बाइक और ट्रैक्टर की टक्कर में उसके बाएं पैर का घुटने के नीचे का हिस्सा और बाएं हाथ का अंगूठा पूरी तरह कट गया था। जब उसे सर गंगाराम अस्पताल लाया गया, तो ट्रॉमा टीम ने तुरंत स्थिति का आकलन किया। जांच में पाया गया कि पैर और अंगूठा दोनों इतने बुरी तरह क्षतिग्रस्त थे कि उन्हें सीधे रीइम्प्लांट नहीं किया जा सकता था।
     
मरीज को मिली नई उम्मीद
ऐसे में डॉक्टरों ने एक असाधारण फैसला लिया मरीज के कटे हुए पैर के दूसरे अंगूठे का इस्तेमाल करके हाथ में नया अंगूठा बनाया जाए। इस जटिल माइक्रो सर्जरी ने न केवल मरीज के हाथ की कार्यक्षमता वापस लौटा दी, बल्कि उसके जीवन में नई उम्मीद भी जगा दी।
   
यह दुर्लभ सर्जरी प्लास्टिक, कॉस्मेटिक और हैंड माइक्रोसर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. महेश मंगल के नेतृत्व में की गई। सर्जिकल टीम में डॉ. निखिल झुनझुनवाला (कंसल्टेंट हैंड एंड माइक्रोसर्जन) भी शामिल थे। करीब आठ घंटे चली इस सर्जरी के दौरान पैर से लिए गए अंगूठे को माइक्रोस्कोपिक तकनीक से हाथ में जोड़ा गया, जिससे नसों, हड्डियों और ब्लड वैसल्स का सही संयोग सुनिश्चित किया जा सका।
   
पूरी तरह से कट चुका था मरीज का पैर
डॉ. निखिल झुनझुनवाला ने बताया, मरीज का पैर और अंगूठा दोनों पूरी तरह कट चुके थे। ऐसे में हमने निर्णय लिया कि पैर के दूसरे अंगूठे का उपयोग करके हाथ में नया अंगूठा तैयार किया जाए। यह सर्जरी अत्यंत जटिल थी क्योंकि इसमें सूक्ष्म स्तर पर नसों, धमनियों और हड्डियों को जोड़ना पड़ा। अब मरीज का हाथ सामान्य रूप से काम करने की स्थिति में आ रहा है और वह तेजी से ठीक हो रहा है। डॉक्टर निखिल ने सुझाव दिया कि जब ऐसे हादसे में शरीर का अंग कट जाता है और उसे तुरंत अच्छी सुविधा वाले अस्पताल लाया जाए तो उसके जुड़ने के चांस काफी होते हैं।
   
डॉ. महेश मंगल ने कहा कि सर गंगाराम अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में माइक्रोसर्जरी की शुरुआत 1981 में हुई थी, और तब से अब तक विभाग ने 700 से अधिक शरीर के हिस्सों का सफल रीइम्प्लांटेशन किया है, जिनमें उंगलियां, पैर की उंगलियां, कान, स्कैल्प, लिंग और ऊपरी अंग शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हादसे के तुरंत बाद कटे हुए अंग को सुरक्षित रखकर अस्पताल तक पहुंचाना सफलता की कुंजी है।
  
हरियाणा के रेवाड़ी का रहने वाला यह युवक एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था। बाइक और ट्रैक्टर की टक्कर में उसके बाएं पैर का घुटने के नीचे का हिस्सा और बाएं हाथ का अंगूठा पूरी तरह कट गया था। जब उसे सर गंगाराम अस्पताल लाया गया, तो ट्रॉमा टीम ने तुरंत स्थिति का आकलन किया। जांच में पाया गया कि पैर और अंगूठा दोनों इतने बुरी तरह क्षतिग्रस्त थे कि उन्हें सीधे रीइम्प्लांट नहीं किया जा सकता था।
मरीज को मिली नई उम्मीद
ऐसे में डॉक्टरों ने एक असाधारण फैसला लिया मरीज के कटे हुए पैर के दूसरे अंगूठे का इस्तेमाल करके हाथ में नया अंगूठा बनाया जाए। इस जटिल माइक्रो सर्जरी ने न केवल मरीज के हाथ की कार्यक्षमता वापस लौटा दी, बल्कि उसके जीवन में नई उम्मीद भी जगा दी।
यह दुर्लभ सर्जरी प्लास्टिक, कॉस्मेटिक और हैंड माइक्रोसर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. महेश मंगल के नेतृत्व में की गई। सर्जिकल टीम में डॉ. निखिल झुनझुनवाला (कंसल्टेंट हैंड एंड माइक्रोसर्जन) भी शामिल थे। करीब आठ घंटे चली इस सर्जरी के दौरान पैर से लिए गए अंगूठे को माइक्रोस्कोपिक तकनीक से हाथ में जोड़ा गया, जिससे नसों, हड्डियों और ब्लड वैसल्स का सही संयोग सुनिश्चित किया जा सका।
पूरी तरह से कट चुका था मरीज का पैर
डॉ. निखिल झुनझुनवाला ने बताया, मरीज का पैर और अंगूठा दोनों पूरी तरह कट चुके थे। ऐसे में हमने निर्णय लिया कि पैर के दूसरे अंगूठे का उपयोग करके हाथ में नया अंगूठा तैयार किया जाए। यह सर्जरी अत्यंत जटिल थी क्योंकि इसमें सूक्ष्म स्तर पर नसों, धमनियों और हड्डियों को जोड़ना पड़ा। अब मरीज का हाथ सामान्य रूप से काम करने की स्थिति में आ रहा है और वह तेजी से ठीक हो रहा है। डॉक्टर निखिल ने सुझाव दिया कि जब ऐसे हादसे में शरीर का अंग कट जाता है और उसे तुरंत अच्छी सुविधा वाले अस्पताल लाया जाए तो उसके जुड़ने के चांस काफी होते हैं।
डॉ. महेश मंगल ने कहा कि सर गंगाराम अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में माइक्रोसर्जरी की शुरुआत 1981 में हुई थी, और तब से अब तक विभाग ने 700 से अधिक शरीर के हिस्सों का सफल रीइम्प्लांटेशन किया है, जिनमें उंगलियां, पैर की उंगलियां, कान, स्कैल्प, लिंग और ऊपरी अंग शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हादसे के तुरंत बाद कटे हुए अंग को सुरक्षित रखकर अस्पताल तक पहुंचाना सफलता की कुंजी है।
You may also like
 - दुलारचंद यादव मर्डर मामले पर क्या दो बाहुबली होंगे आमने-सामने? अनंत सिंह ने लिया था सूरजभान का नाम, जानें
 - धर्मेंद्र ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती तो घबराए फैंस, 5 दिन से वहीं एडमिट हैं 'ही मैन', टीम ने बताया हाल
 - पंजाब: बीएसएफ जवानों ने सीमा पर पाकिस्तानी घुसपैठिए को दबोचा, पूछताछ जारी
 - BAN vs WI 3rd T20: तंजीद हसन की जिम्मेदारी भरी 89 रन की पारी से बांग्लादेश ने वेस्टइंडीज के सामने रखा 152 रन का लक्ष्य
 - राजस्थान : जयपुर सीजीएसटी अधिकारी पर सीबीआई का शिकंजा, 2.54 करोड़ डीए केस, पोर्श-जीप जब्त




