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बलूचों ने दुनिया को दिखाया पाकिस्तान आर्मी का सियाह चेहरा, जर्मनी से खोली बलूचिस्तान में अत्याचारों की पोल

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बर्लिन: बलूचों ने एक बार फिर बलूचिस्तान में पाकिस्तानी आर्मी के अत्याचारों की पोल खोलते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है। बलूच राष्ट्रीय आंदोलन (बीएनएम) ने बलूच शहीद दिवस के उपलक्ष्य में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया है। इस कार्यक्रम में कई देशों के राजनीतिक नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और बलूच प्रवासी समुदाय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस दौरान वक्ताओं ने पाकिस्तान के रवैये की कड़ी आलोचना की। खासतौर से बलूचिस्तान के लोगों के साथ खराब बर्ताव और उनके संसाधनों को लूटने की जानकारी कार्यक्रम में दी गई।

एएनआई के मुताबिक, बीएनएम के कार्यक्रम में पाकिस्तान की ओर से बलूच लोगों पर दशकों से किए जा रहे दमन और स्वतंत्र बलूचिस्तान के संकल्प को उठाया गया। एक्स पर की गई एक पोस्ट में बीएनएम ने कहा कि कार्यक्रम में बलूचिस्तान पर पाकिस्तान के सैन्य कब्जे की कड़ी निंदा की गई। इस दौरान 27 मार्च, 1948 के आक्रमण को याद किया, जो व्यवस्थित दमन की शुरुआत था। बलूचिस्तान को सैन्य शिविरों, खुफिया एजेंसियों और जबरन गायब करने की संस्कृति की चपेट में कहा गया।


एकजुटता पर दिया जोरकार्यक्रम में डॉक्टर नसीम ने जोर देकर कहा कि वर्षों की क्रूरता के बावजूद बलूच प्रतिरोध की भावना अटूट है। उन्होंने कहा कि यह बंदूकों की नहीं बल्कि विश्वास की लड़ाई है और विश्वास की हमेशा जीत होती है। विश्व सिंधी कांग्रेस के डॉक्टर लखु लुहाना ने पाकिस्तान के पंजाबी-नेतृत्व वाली सरकार पर सिंधी और बलूचों की पहचान मिटाने और उनके संसाधनों को लूटने का आरोप लगाया। उन्होंने शोषण के खिलाफ सिंधी-बलूच एकजुटता का आह्वान किया।

पीटीएम जर्मनी के कादिर शाह अंसारी ने बलूच और पश्तून आबादी पर सेना के अत्याचारों की निंदा करते हुए वैश्विक समुदाय से पाकिस्तान के सैन्य प्रभुत्व को चुनौती देने और नागरिक लोकतंत्र के लिए प्रयास करने का आह्वान किया। तमिल कार्यकर्ता निवेतन नंथाकुमार ने तमिल और बलूच मुक्ति संघर्षों के बीच समानता दर्शाते हुए सम्मान और न्याय के लिए साझा बलिदानों पर जोर दिया।
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