भारत तेजी से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (UPDIC) एक मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि भारत की सैन्य ताकत को भी कई गुना बढ़ा देगी। पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों के लिए यह कॉरिडोर निश्चित रूप से चिंता का विषय बनेगा, क्योंकि यहां बनने वाले अत्याधुनिक हथियार और उपकरण भारतीय सेना को और भी घातक बना देंगे।
यूपी डिफेंस कॉरिडोर: एक सामरिक दृष्टिउत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर की परिकल्पना भारत सरकार द्वारा देश को रक्षा उत्पादन में एक प्रमुख वैश्विक केंद्र बनाने के व्यापक दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में की गई है। इस कॉरिडोर में छह महत्वपूर्ण नोड शामिल हैं – लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, आगरा, झांसी और चित्रकूट। इन जिलों में रक्षा उपकरण, हथियार, गोला-बारूद, मिसाइल, ड्रोन और अन्य संबंधित प्रौद्योगिकियों के निर्माण के लिए विशेष औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं।
क्या-क्या बनेगा इस कॉरिडोर में: दुश्मन के छक्के छुड़ाने की तैयारीइस कॉरिडोर में बनने वाले प्रमुख उत्पादों में शामिल हैं:
गोला-बारूद (Ammunition): विभिन्न प्रकार के छोटे और बड़े कैलिबर के गोला-बारूद का उत्पादन यहां किया जाएगा, जिससे सेना की आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी।
मिसाइलें (Missiles): ब्रह्मोस जैसी विश्वस्तरीय मिसाइलों के निर्माण की इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। यह भारत की मारक क्षमता को अप्रत्याशित रूप से बढ़ाएगा। लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस की इकाई इसका प्रमुख उदाहरण है।
ड्रोन और यूएवी (Drones and UAVs): निगरानी, जासूसी और हमला करने में सक्षम अत्याधुनिक ड्रोन और मानव रहित हवाई वाहनों (UAVs) का निर्माण किया जाएगा। यह भविष्य के युद्धों के लिए भारत को तैयार करेगा।
अन्य रक्षा उपकरण: इसके अतिरिक्त, बख्तरबंद वाहन, आर्टिलरी गन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, रडार सिस्टम और अन्य महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों का भी उत्पादन यहां होगा।
आत्मनिर्भरता से बढ़ी ताकत: स्वदेशी उत्पादन से भारत की विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम होगी, जिससे आपात स्थिति में किसी भी बाहरी दबाव के आगे झुकने की नौबत नहीं आएगी।
तेज आपूर्ति और रखरखाव: देश में ही उत्पादन होने से सेना को हथियारों और पुर्जों की आपूर्ति तेजी से हो सकेगी और रखरखाव भी आसान होगा।
उन्नत प्रौद्योगिकी: यह कॉरिडोर नवीनतम रक्षा प्रौद्योगिकियों को आकर्षित करेगा, जिससे भारतीय सेना को तकनीकी बढ़त मिलेगी।
सीमा के करीब उत्पादन: उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। यहां उत्पादन होने से पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर त्वरित तैनाती में मदद मिल सकती है।
यह डिफेंस कॉरिडोर न केवल सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि उत्तर प्रदेश के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी क्रांति लाएगा:
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रोजगार सृजन: लाखों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
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निवेश: देशी और विदेशी कंपनियां भारी निवेश करेंगी।
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कौशल विकास: स्थानीय युवाओं को रक्षा उत्पादन से संबंधित तकनीकी कौशल प्राप्त होगा।
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सहायक उद्योगों का विकास: एमएसएमई (MSME) क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और सहायक उद्योगों का एक पूरा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होगा।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना को समय पर पूरा करना और विश्वस्तरीय गुणवत्ता बनाए रखना प्रमुख चुनौतियाँ होंगी। हालांकि, सरकार की प्रतिबद्धता और निजी क्षेत्र की भागीदारी से इन चुनौतियों से पार पाया जा सकता है। यह कॉरिडोर भारत को न केवल रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’ बनाएगा, बल्कि उसे एक प्रमुख रक्षा निर्यातक देश के रूप में भी स्थापित करने की क्षमता रखता है।
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