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इंडोनेशिया में सलमान खुर्शीद का चौंकाने वाला दावा: युद्धविराम की पहली पेशकश पाकिस्तान की थी

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सलमान खुर्शीद ने संघर्ष विराम पर कहा: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार (30 मई) को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में पत्रकारों से बात करते हुए स्पष्ट किया कि, ‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने नहीं बल्कि पाकिस्तान ने सबसे पहले संपर्क कर संघर्ष विराम का प्रस्ताव रखा था।’ पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन कर युद्ध विराम की मांग की और इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई रोकने का निर्णय लिया। आपको बता दें कि उनकी पार्टी कांग्रेस लगातार संघर्ष विराम पर सवाल उठा रही है। राहुल गांधी खुद कई बार कह चुके हैं कि अमेरिका के दबाव के कारण भारत ने युद्ध विराम की घोषणा की है।

 

खुर्शीद ने कहा, ‘अगर कोई कहता है कि भारत ने पहले फोन किया तो यह बकवास है। जब तक यह कॉल आई, तब तक पाकिस्तान को भी भारी नुकसान हो चुका था। इसलिए हमने हमला रोकने का निर्णय लिया, लेकिन सीमा पर गोलाबारी तीन से चार घंटे तक जारी रही। पाकिस्तान में न तो सरकार नियंत्रण में है और न ही सेना एकीकृत है। सेना के अंदर कई गुट हैं, जो एक-दूसरे से ताकत के साथ लड़ रहे हैं।

कोई भी भारत को गुमराह नहीं कर सकता।

भारत की मांग को और स्पष्ट करते हुए खुर्शीद ने कहा, “भारत अब महाशक्ति बनने की राह पर है और इसे कोई नहीं रोक सकता।” भारत महान बनने की राह पर है और कोई भी हमें विचलित नहीं कर सकता। यह जरूरी नहीं है कि हम दुनिया को अपनी ताकत दिखाएं। भारत की एकमात्र और स्थायी मांग यह है कि पाकिस्तान आतंकवाद को अपना समर्थन देना बंद कर दे। सत्ता पक्ष और विपक्ष आज मिलकर भारत की आवाज उठा रहे हैं। अगर पाकिस्तान में थोड़ी भी समझ बची है तो उसे समझ लेना चाहिए कि भारत क्या चाहता है।’

हम भारत का समर्थन करते हैं, किसी पार्टी का नहीं।

इस बारे में आगे बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘भले ही मैं कांग्रेस पार्टी से हूं और मेरे सहयोगी भाजपा और अन्य दलों से हैं, हम सभी पार्टी का नहीं, बल्कि भारत का संदेश लेकर आए हैं। हममें से कुछ लोग सत्तारूढ़ पार्टी से नहीं हैं। फिर भी हम एक साथ हैं क्योंकि हम भारत नामक एक विचार का समर्थन कर रहे हैं।’

आपको बता दें कि 7 मई को शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर में भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले (22 अप्रैल) के जवाब में पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया गया था। जिसमें लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे संगठनों के 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।

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