कंगना ने कहा कि बंगाल में जो स्थिति बन रही है, वह चिंताजनक है। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों और युवाओं को डराने-धमकाने के बजाय उन्हें शिक्षा और सुरक्षा की आवश्यकता है। उनका मानना है कि किसी भी राज्य में डर का माहौल नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे युवा पीढ़ी प्रभावित होती है और उनका विकास रुक जाता है।
शर्मीष्ठा पनोली, जिन्होंने पहले भी बंगाल की स्थिति पर चिंता जताई थी, को कंगना का पूरा समर्थन मिला है। दोनों ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने की स्वतंत्रता होनी चाहिए और किसी भी प्रकार का दबाव या तानाशाही शासन अस्वीकार्य है।
कंगना ने यह भी कहा कि आज के बच्चे इंटरनेट और वैश्विक समुदाय से जुड़े हुए हैं। वे अपने अधिकारों और स्वतंत्रता को समझते हैं, इसलिए उन्हें एक ऐसा खुला माहौल चाहिए जहां वे बिना किसी डर के अपने विचार व्यक्त कर सकें। उन्होंने बंगाल के लोगों से अपील की कि वे मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाएं जहां युवा सुरक्षित महसूस करें और अपनी प्रतिभा को विकसित कर सकें।
इस बयान के बाद, बंगाल में राजनीतिक और सामाजिक चर्चाएं फिर से तेज हो गई हैं। कंगना और शर्मीष्ठा का यह संदेश युवाओं और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी माना जा रहा है।
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