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उत्तर प्रदेश का यह गांव: अपराध का गढ़ और पुलिस की चुनौती

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गांव की भयावह स्थिति यह गांव अब केवल एक स्थान नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश के काले इतिहास का एक जीवित उदाहरण बन चुका है। यहां की लगभग 35,000 की जनसंख्या में से हर दूसरा घर किसी न किसी अपराधी का ठिकाना बन गया है। गाजियाबाद के नाहल गांव की स्थिति अब सामान्य नहीं रही; यहां की हवा में बारूद की गंध है और शाम होते ही सड़कों पर सन्नाटा छा जाता है, जैसे रात भी खुद को सुरक्षित नहीं समझती।

गांव में 39 हिस्ट्रीशीटर और 20 कुख्यात गैंगस्टरों का अड्डा है। ये नाम केवल पुलिस की फाइलों में नहीं, बल्कि यहां के बच्चों की कहानियों और बुजुर्गों की आहों में भी गूंजते हैं। अपराध अब यहां एक पेशा नहीं, बल्कि एक विरासत बन चुका है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी फलता-फूलता जा रहा है।


हाल ही में एक घटना ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। नोएडा पुलिस ने एक मोस्ट वांटेड हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने के लिए गांव में प्रवेश किया। यह कोई साधारण गिरफ्तारी नहीं थी; यह अंधेरे में प्रवेश करने जैसा था। मुठभेड़ के दौरान हुई गोलीबारी ने गांव को युद्धभूमि में बदल दिया, जिसमें एक पुलिस कांस्टेबल शहीद हो गया। उसके अंतिम शब्द शायद हमेशा गूंजते रहेंगे, कर्तव्य की पुकार बनकर।


इस घटना ने पुलिस प्रशासन को झकझोर दिया और इसके बाद गांव में बड़े पैमाने पर छापेमारी शुरू हुई। पुलिस ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया, गली-गली तलाशी ली और कई कुख्यात अपराधियों को हिरासत में लिया। धूल भरी गलियों में बूटों की आवाज और हथियारों की झलक ने गांव की आत्मा को कंपा दिया।


इस कड़ी कार्रवाई का असर इतना गहरा था कि गांव के लगभग 70% लोग अपने घर छोड़कर भाग गए हैं। डर ने उम्मीदों को निगल लिया है। बंद दरवाजों के पीछे अब सिसकियाँ हैं और छतों पर लटकी चरखियों से कोई कपड़ा नहीं लहराता, जैसे गांव ने अपनी सांसें रोक ली हों।


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