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हेल्थ इंश्योरेंस: कॉर्पोरेट बनाम पर्सनल पॉलिसी का महत्व

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हेल्थ इंश्योरेंस की आवश्यकता

नई दिल्ली: वर्तमान में चिकित्सा खर्चों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे हेल्थ इंश्योरेंस हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य हो गया है। कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस प्रदान करती हैं, लेकिन क्या यह पर्याप्त है? क्या इसके साथ व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस लेना आवश्यक है? आइए इस विषय पर विस्तार से जानते हैं।


कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस की विशेषताएँ

कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस एक समूह बीमा योजना है, जो कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को दी जाती है। यह बीमा तब तक मान्य रहता है जब तक आप उस कंपनी में कार्यरत हैं। यदि आप नौकरी छोड़ते हैं या कंपनी से अलग होते हैं, तो यह बीमा समाप्त हो जाता है। इसके अलावा, इसमें कवर की सीमाएँ होती हैं और कई आवश्यक चिकित्सा खर्च शामिल नहीं होते, जैसे कि ओपीडी खर्च, मानसिक स्वास्थ्य उपचार, दवाइयों का खर्च, या दीर्घकालिक बीमारियों का इलाज।


कॉर्पोरेट इंश्योरेंस का क्लेम कब मिलता है?

कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस के तहत क्लेम केवल अस्पताल में भर्ती होने पर ही मिलता है। यदि आपको छोटी बीमारियों के लिए बार-बार डॉक्टर से परामर्श की आवश्यकता होती है, तो उसका खर्च आपको स्वयं उठाना होगा। इसलिए, केवल कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है।


पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस के लाभ

वहीं, व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस पूरी तरह से आपके नाम पर होता है और यह तब तक सक्रिय रहता है जब तक आप इसका प्रीमियम चुकाते हैं। यह नौकरी बदलने या रिटायर होने पर भी जारी रहता है। आप अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कवरेज बढ़ा सकते हैं, जैसे कि ओपीडी, मातृत्व लाभ, स्वास्थ्य जांच, या वैकल्पिक उपचार जैसे आयुर्वेद और योग चिकित्सा। इसके अलावा, यह टैक्स बचत का एक अच्छा साधन भी है, क्योंकि आप आयकर अधिनियम की धारा 80D के तहत इसके प्रीमियम पर टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं।


विशेषज्ञों की सलाह

एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि उम्र बढ़ने के साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। यदि आप केवल कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस पर निर्भर रहते हैं और नौकरी छोड़ने के बाद बीमा करवाना चाहते हैं, तो प्रीमियम बहुत अधिक हो सकता है। इसलिए, विशेषज्ञों की सलाह है कि नौकरी के साथ-साथ व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी आपात स्थिति में वित्तीय संकट से बचा जा सके।


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