भगवान शिव की आराधना के महत्व
शिव उपासना के लिए विशेष दिन और दिशा
शिवजी की आराधना सुबह के समय पूर्व दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए।
संध्या समय शिव साधना करते समय पश्चिम दिशा की ओर मुंह रखें।
यदि रात में शिव आराधना की जा रही है, तो उत्तर दिशा की ओर मुंह रखें।
सोमवार को शिव उपासना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
सुबह स्नान के बाद भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल या पवित्र जल अर्पित करें।
धतूरे के फूल अर्पित करने से संतान की प्राप्ति होती है।
एक लाख दूब अर्पण करने से लंबी आयु का लाभ मिलता है।
बिल्व पत्र से इच्छित वस्तु की प्राप्ति होती है।
जपाकुसुम से शत्रुओं का नाश होता है।
बेला के फूल से योग्य जीवनसाथी मिलता है।
हरसिंगार से यश, सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
दुपहरिया के फूल से स्वर्ण आभूषणों की प्राप्ति होती है।
लाल गुलाब से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
चंपा और केवड़ा के फूल शिव पूजन में निषिद्ध हैं।
लाइव हिंदी खबर :- भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न उपाय किए जाते हैं।
इन उपायों में सबसे महत्वपूर्ण शिव की आराधना मानी जाती है। यह मान्यता है कि शिवजी की पूजा से इच्छित फल की प्राप्ति होती है, लेकिन किसी भी देवता की आराधना, मंत्र, स्तोत्र या स्तुति का फल तभी मिलता है जब उसे विधिपूर्वक और शास्त्रों के अनुसार किया जाए। इस बार हम भगवान शिव की पूजा से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर रहे हैं।
शिव उपासना के लिए विशेष दिन और दिशा
शास्त्रों के अनुसार, सोमवार शिव उपासना के लिए सबसे शुभ दिन है, लेकिन इस दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
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