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डोनाल्ड ट्रंप की जम्मू-कश्मीर विवाद में मध्यता की पेशकश का पाक ने किया स्वागत, भारत ने किया साफ - संभव नहीं...

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इंटरनेट डेस्क। भारत ने पाकिस्तान के साथ जम्मू-कश्मीर विवाद से संबंधित किसी भी मध्यस्थता को अस्वीकार कर दिया है। इसके साथ ही इस बात पर जोर दिया है कि पाकिस्तान को उसके कब्जे वाला क्षेत्र वापस करना होगा। सरकार का यह रुख अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा दोनों देशों के बीच 1947 से चले आ रहे विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थ बनने की पेशकश के बाद आया है। एक समाचार एजेंसी ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा कि कश्मीर से संबंधित एकमात्र मुद्दा पाकिस्तान द्वारा अपने अवैध कब्जे वाले क्षेत्र को वापस करना है।

सैन्य अभियान महानिदेशक के माध्यम से होगी बात

बता दें कि पाकिस्तान के साथ केवल सैन्य अभियान महानिदेशक (DGMO) चैनल के माध्यम से बातचीत होगी और चर्चा के लिए और कुछ नहीं है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तनाव कम करने के बारे में बात करने के लिए बुलाया। प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि अगर उन्होंने (पाकिस्तान ने) हमला किया, तो भारत और भी मजबूत हमला करेगा। ट्रंप प्रशासन यह दावा कर रहा है कि उन्होंने संघर्ष विराम में मध्यस्थता की, जबकि विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि वास्तव में पाकिस्तानी डीजीएमओ ने ही अपने भारतीय समकक्ष को फोन करके तनाव कम करने का आग्रह किया था।

डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर विवाद में मध्यस्थता की पेशकश

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार की सुबह पहलगाम आतंकी हमले को लेकर चार दिनों तक चली तीखी दुश्मनी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की समझ की सराहना की और कहा कि इस आक्रामकता के कारण लाखों लोगों की जान जा सकती थी। उन्होंने कहा कि वह दोनों अलग-थलग पड़े पड़ोसियों के साथ व्यापार बढ़ाएंगे और कश्मीर मुद्दे का समाधान खोजने के लिए उनके साथ मिलकर काम करेंगे। बता देें कि पाकिस्तान ने कश्मीर पर मध्यस्थता की ट्रम्प की पेशकश का स्वागत किया, जबकि भारत लंबे समय से कहता रहा है कि वह इस्लामाबाद के साथ किसी विवाद के लिए किसी मध्यस्थ को नहीं रखेगा।

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