जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) को लेकर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने मोदी सरकार के कार्यकाल में आरटीआई को लगातार कमजोर किए जाने का आरोप लगाया है।
अशोक गहलोत ने इस आरटीआई को लेकर सोशल मीडिया के माध्मय से बड़ी बात कही है। उन्होंने एक्स के माध्यम से कहा कि आज सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) को लागू हुए 20 साल पूरे हो रहे हैं। यूपीए सरकार के दौरान प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह एवं यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने सरकारी व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से आरटीआई लागू किया गया। आरटीआई ने नागरिकों को मजबूत किया एवं भ्रष्टाचार के कई मामले सामने भी आए।
अरुणा रॉय एवं अन्य साथियों द्वारा आरटीआई का आंदोलन राजस्थान से शुरू किया गया था और राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने सन 2000 में सूचना का अधिकार लागू करने की पहल की। यूपीए सरकार के दौरान इसे एक्ट बनाकर पूरे देश में लागू करने का श्रेय प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह एवं यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को जाता है।
आरटीआई अपने आप में एक विशेष प्रकृति का कानून था जिसकी प्रशंसा पूरे विश्व में हुई। इस कानून ने देश के नागरिकों को सरकारी सूचनाओं की आसानी से प्राप्ति का अधिकार दिया। इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा और सरकारी व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ी।
केन्द्रीय सूचना आयोग में प्रमुख सूचना आयुक्त समेत 9 पद रिक्त
अशोक गहलोत ने कहा कियह बेहद चिंताजनक है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में आरटीआई को लगातार कमजोर किया गया है। 2019 में सूचना आयुक्त की शक्तियां कम की गईं। वर्तमान में केन्द्रीय सूचना आयोग में प्रमुख सूचना आयुक्त समेत 9 पद रिक्त हैं एवं केवल 2 सूचना आयुक्त नियुक्त हैं। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम के नाम पर आरटीआई में जानकारी छिपाई जा रही हैं।
आरटीआई की मजबूती देश के नागरिकों के अधिकारों की मजबूती एवं सरकारी व्यवस्था की पारदर्शिता में बढ़ोत्तरी है। मोदी सरकार निहित स्वार्थों के कारण आरटीआई को धीरे-धीरे खत्म करने का प्रयास कर रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
PC:ani
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