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वीडियो में जाने क्या हुआ था राजकुमारी मूमल के साथ जिसे सुन आज भी भर आती है लोगो की आंखें ? आजकल के प्रेमी जोड़ों को देती है बड़ी सीख

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राजस्थान की वीर भूमि केवल युद्धगाथाओं, राजाओं की बहादुरी और भव्य किलों के लिए ही नहीं जानी जाती, बल्कि यहां की प्रेम कहानियां भी इतिहास में अमिट छाप छोड़ती हैं। ऐसी ही एक दुखद और मार्मिक प्रेम कहानी है – राजकुमारी मूमल और महेन्द्र राणा की। यह कहानी सिर्फ प्रेम की नहीं, बल्कि अधूरे मिलन की, गलतफहमियों की और अंत में हृदय विदारक विरह की है। इस कथा को सुनते ही आज भी लोगों की आंखें नम हो जाती हैं।


मूमल कौन थी?
राजकुमारी मूमल जैसलमेर के पास लोद्रवा की रहने वाली थीं। वह अपनी सुंदरता, बुद्धिमत्ता और रहस्यमयी व्यक्तित्व के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध थीं। कहा जाता है कि मूमल इतनी सुंदर थीं कि उन्हें देखने मात्र से लोग मोहब्बत में पड़ जाते थे। मूमल और उसकी बहनों ने लोद्रवा में एक रहस्यमयी हवेली बनवाई थी, जहां वह अपनी सुंदरता और बुद्धि से वीर पुरुषों की परीक्षा लिया करती थीं। इस हवेली को रहस्य, छल और चमत्कारों का केंद्र माना जाता था। केवल वही व्यक्ति मूमल तक पहुंच सकता था, जो हर चुनौती को पार कर जाए।

महेन्द्र राणा की एंट्री
मूमल की ख्याति सुनकर कई राजकुमारों और योद्धाओं ने उसे पाने की कोशिश की, लेकिन सभी विफल रहे। इसी बीच राजपूताना के महेन्द्र राणा मूमल की कथाएं सुनकर लोद्रवा आए। वह न केवल वीर थे बल्कि साहसी और समझदार भी थे। उन्होंने मूमल की कठिन परीक्षाएं पार कीं और अंत में उनके दिल में अपनी जगह बना ली। दोनों के बीच गहरा प्रेम हुआ, और उन्होंने एक-दूसरे को दिल से स्वीकार कर लिया।

प्रेम में आई दरार
कहते हैं कि मूमल हर रात महेन्द्र राणा का इंतज़ार करती थीं और वह हर रात उनसे मिलने लोद्रवा आते थे। लेकिन एक रात कुछ ऐसा हुआ जिसने दोनों की ज़िंदगियां बदल दीं। महेन्द्र राणा जब हवेली पहुंचे, तो उन्होंने मूमल को एक पुरुष जैसे वस्त्र पहने किसी अन्य के साथ बैठे देखा। दरअसल, वह मूमल की बहन थी जो खेल-खेल में मूमल के वस्त्रों में बैठी थी और मूमल ने उसे राणा से छुपने को कहा था।महेन्द्र राणा ने जो दृश्य देखा, उसे उन्होंने गलत समझा। वह टूट चुके थे। बिना कुछ कहे, वो वापस लौट गए और फिर कभी नहीं आए। मूमल ने उनकी प्रतीक्षा की, लेकिन जब वह नहीं लौटे, तो उसका दिल भी टूट गया।

आत्मदाह और दुखद अंत
मूमल ने राणा की बेरुखी को सहन नहीं कर पाईं। वह यह समझ ही नहीं पाईं कि राणा को क्या भ्रम हुआ था। वर्षों तक इंतज़ार करने के बाद, एक दिन मूमल ने खुद को दीपक के तेल से जलाकर आत्मदाह कर लिया।कुछ समय बाद जब महेन्द्र राणा को सच्चाई का पता चला, तो वह पश्चाताप में डूब गए। वह भागे-भागे लोद्रवा पहुंचे लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मूमल की चिता की आग जल रही थी। कहते हैं, राणा ने बिना किसी हिचकिचाहट के खुद को उसी आग में झोंक दिया और दोनों की आत्माएं सदा के लिए एक हो गईं।

आज भी ज़िंदा है मूमल की याद
राजस्थान की रेत आज भी मूमल और महेन्द्र राणा की प्रेमगाथा को संजोए हुए है। जैसलमेर के पास लोद्रवा में आज भी वह हवेली मौजूद है, जिसे मूमल की हवेली कहा जाता है। इस जगह को देखने हज़ारों सैलानी आते हैं और उस प्रेम को महसूस करते हैं, जो समय और समाज की दीवारों से टकरा कर भी अमर हो गया।स्थानीय लोग कहते हैं कि आज भी हवेली की दीवारों में उस अधूरे प्रेम की टीस है। कोई हवेली में शांत बैठे तो ऐसा लगता है जैसे मूमल की आहें अब भी गूंज रही हैं।

कहानी जो सिर्फ प्रेम नहीं, एक सीख भी है
मूमल और राणा की कहानी सिर्फ एक रोमांटिक गाथा नहीं, बल्कि यह भी सिखाती है कि प्रेम में भरोसा सबसे बड़ा आधार है। अगर राणा ने उस दृश्य को समझने की कोशिश की होती, या मूमल ने उसे सब कुछ स्पष्ट किया होता – तो शायद उनका अंत इतना दुखद न होता।आज के आधुनिक समय में जब रिश्ते कमज़ोर हो रहे हैं, यह कहानी याद दिलाती है कि प्रेम सिर्फ साथ रहने का नाम नहीं, बल्कि त्याग, समझदारी और सच्ची भावना का नाम है। मूमल और महेन्द्र राणा की ये विरहगाथा आज भी लोगों को प्रेम का गहरा अर्थ सिखाती है और इसलिए, जब कोई इस कहानी को सुनता है — तो उसकी आंखें नम हो जाती हैं।

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