नई दिल्ली। भारत में हवाई यात्रा करना अब पहले से कहीं ज्यादा किफायती हो गया है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2011 की तुलना में घरेलू हवाई टिकटों के औसत दाम में 21% और अंतरराष्ट्रीय टिकटों में 38% की कमी आई है। यही नहीं, कुछ रूट्स पर तो हवाई किराए रेलवे के फर्स्ट क्लास किराए से भी सस्ते हो गए हैं।
रविवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में IATA की 81वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) का उद्घाटन हुआ, जहां यह रिपोर्ट ‘एविएशन इन इंडिया’ जारी की गई। भारत में यह आयोजन 42 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद किया गया है।
IATA रिपोर्ट की मुख्य बातें:रिपोर्ट का फोकस “ससटेनेबल और डायनामिक एयर ट्रांसपोर्ट मार्केट का विकास” था। इसमें बताया गया है कि भारत में एविएशन सेक्टर न केवल यात्रियों को सस्ता परिवहन उपलब्ध करा रहा है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान दे रहा है।
हवाई किराए में गिरावट: आंकड़ों की नजर से“भारतीय एविएशन सेक्टर 77 लाख नौकरियों का सृजन करता है और देश के GDP में 53.6 अरब अमेरिकी डॉलर का योगदान देता है, जो कुल GDP का 1.5% है।”
रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि 2011 के मुकाबले वास्तविक हवाई किराए (Real Airfare) में जबरदस्त गिरावट आई है। वास्तविक किराए से तात्पर्य उस कीमत से है जिसमें महंगाई का समायोजन कर लिया गया हो।
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घरेलू उड़ानों के किराए: 79% रह गए हैं 2011 के स्तर के मुकाबले → यानी 21% की कमी।
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अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के किराए: 62% रह गए हैं 2011 के स्तर के मुकाबले → यानी 38% की गिरावट।
हालांकि, कोविड-19 महामारी के दौरान यह गिरावट थोड़ी देर के लिए बाधित हुई थी, विशेषकर अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर, लेकिन अब फिर से डाउनवर्ड ट्रेंड देखने को मिल रहा है।
हवाई किराए vs रेल किराए: कड़ी टक्करIATA की रिपोर्ट में हवाई और रेल किराए की तुलना भी की गई है, जिससे स्पष्ट होता है कि कई रूट्स पर हवाई यात्रा अब रेल की तुलना में ज्यादा समय की बचत और थोड़े से अतिरिक्त खर्च में मिल रही है — और कभी-कभी तो रेल से भी सस्ती!
उदाहरण:
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मुंबई से कोलकाता:
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फर्स्ट क्लास ट्रेन किराया: ₹6,000
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औसत हवाई किराया: ₹6,380
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यात्रा का समय: 32 घंटे → घटकर 2 घंटे 40 मिनट
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दिल्ली से चेन्नई:
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ट्रेन का फर्स्ट क्लास किराया: ₹7,150
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औसत हवाई किराया: ₹6,550
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यात्रा समय में भी काफी कमी।
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यानी अब हवाई यात्रा न केवल समय बचाने का साधन है, बल्कि यह आर्थिक रूप से भी व्यावहारिक विकल्प बनती जा रही है।
प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं को लाभIATA के भारत, नेपाल और भूटान के निदेशक अमिताभ खोसला के अनुसार:
“भारत आज वैश्विक विमानन में तीसरे स्थान पर है और कार्गो ट्रांसपोर्ट में छठे स्थान पर है। उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्धा से बहुत लाभ हुआ है, क्योंकि औसत किराए में भारी गिरावट आई है।”
इस प्रतिस्पर्धा के पीछे कई वजहें हैं:
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निजी एयरलाइनों की वृद्धि और कम लागत वाले वाहकों (Low-cost carriers) की संख्या में इजाफा
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डिजिटल बुकिंग और डायनामिक प्राइसिंग सिस्टम की वजह से कीमतें प्रतिस्पर्धात्मक बनी हैं
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एयरलाइन कंपनियों का कंसोलिडेशन यानी विलय, जिससे संचालन की लागत घटती है और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होता है
रिपोर्ट में एक और प्रमुख बिंदु यह रहा कि 2014 में शीर्ष 10 एयरलाइनों की कुल बाजार हिस्सेदारी 60.7% थी, जो 2024 में बढ़कर 90.9% हो गई है। यह दिखाता है कि एयरलाइनों का विलय और एकजुटता अब एक स्थिर एविएशन सेक्टर की नींव रख रही है।
महत्वपूर्ण विलय:
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AIX Connect का Air India Express में विलय
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Vistara का Air India में विलय
इससे न केवल इन कंपनियों के संचालन में सुधार हुआ है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी बेहतर सेवाएं, ज्यादा विकल्प और सस्ते किराए मिल रहे हैं।
आर्थिक प्रभाव और रोजगार का स्रोतIATA रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारतीय विमानन उद्योग केवल यात्रियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के आर्थिक इंजन के रूप में भी काम कर रहा है:
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77 लाख नौकरियां सीधे या परोक्ष रूप से इस उद्योग से जुड़ी हैं
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भारत की कुल GDP में 1.5% का योगदान केवल एविएशन सेक्टर से है
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पर्यटन, व्यापार, निवेश, मेडिकल ट्रैवल और वैश्विक संपर्क के लिए हवाई यात्रा रीढ़ बन चुकी है
IATA द्वारा 42 सालों के बाद भारत में AGM का आयोजन किया जाना यह साबित करता है कि अब भारत केवल उपभोक्ता बाजार नहीं रहा, बल्कि वह वैश्विक विमानन रणनीति का केंद्र बन रहा है। भारत में एविएशन क्षेत्र की संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं, और यह रिपोर्ट उसी दिशा में एक मजबूत संकेत है। IATA की “एविएशन इन इंडिया” रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत का विमानन क्षेत्र न केवल विकसित हो रहा है, बल्कि वह तेजी से आम जनता की पहुंच में आ रहा है। हवाई किराए अब पहले की तुलना में बहुत कम हो चुके हैं, और कुछ मामलों में तो वे रेल किराए से भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। तेजी से बढ़ती हवाई यात्रा की मांग, एयरलाइन कंपनियों का एकीकरण और तकनीकी प्रगति मिलकर एक ऐसा माहौल बना रहे हैं, जहां भारत न केवल एशिया का बल्कि विश्व का प्रमुख एविएशन हब बन सकता है।
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