नई दिल्ली, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा से लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने सोमवार शाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनके आवास लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात कर अपने अंतरिक्ष मिशन के अनुभवों की विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष मिशन से जुड़ी कई उत्सुकताओं और स्पेस मिशन के लिए भारतीय आकांक्षाओं को लेकर बातचीत की। मंगलवार को प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया एक्स पर इस मुलाकात का वीडिया अपलोड किया है।प्रधानमंत्री मोदी और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की बातचीत का ब्यौरा इस प्रकार है-
आप जब अंतरिक्ष में जाते हैं तो कैप्सूल में सीटिंग अरेजमेंट वैसा ही रहता है और पूरे 23-24 घंटे उसी स्थिति में निकालते हैं?
-हां सर, लेकिन एकबार जब आप अंतरिक्ष में पहुंच जाते हैं आप सीट खोल कर उसी कैप्सूल में आप मूव कर सकते हैं…इधर-उधर चीजें कर सकते हैं…
इतनी जगह है होती है उसमें?
-इतनी तो नहीं लेकिन थोड़ी बहुत है।
यानी फाइटर जेट कॉकपिट है उससे ज्यादा है?
-उससे तो अच्छा है लेकिन पहुंचने के बाद काफी कुछ चेंजेज होते हैं लेकिन चार ांच दिन में बॉडी नार्मल हो जाती है, फिर जब आप वापस आते हैं फिर वही दोबारा से चेंजेज… मतलब आप चल नहीं सकते वापस आते हैं चाहे कितने भी स्वस्थ हों …मैं मुझे बुरा नहीं लग रहा था.. जब पहला कदम रखा तो गिर रहा था तब लोगों ने पकड़ रखा था… फिर दूसरा.. तीसरा …हालांकि मालूम है कि चलना है लेकिन वो ब्रेन जो है वो उसको टाइम लगता है, वापस समझने में कि अच्छा अब ये नया वातावरण है..
यानी सिर्फ बॉडी का ट्रेनिंग नहीं है, माइंड का भी ट्रेनिंग है?
-माइंड का ट्रेनिंग है सब… बॉडी में ताकत है… मांसपेशियों में ताकत है… लेकिन ब्रेन की री वायरिंग होनी है उसे दोबारा से ये समझना है कि ये नया एन्वायरमेंट हैइसमें चलने के लिए इतनी ताकत लगेगी।
स्पेस स्टेशन पर सबसे ज्यादा समय कितना बिताने का है?
-इस समय सबसे ज्यादा समय 8 महीने का है …इसी मिशन से शुरू हुआ है कि लोग 8 महीने तक रहेंगे।
मूग और मेथी का प्रयोग कैसा है?
-बहुत अच्छा है…फूड बहुत बड़ा चैलेंज से स्पेस मिशन पर… जगह कम है…. कम से कम जगह में ज्यादा से ज्यादा न्यूट्रीशन आपको पैक करने की हमेशा कोशिश रहती है और हर तरह से प्रयोग चल रहे हैं…और इनको उगाना बहुत सिंपल है… रिसोर्स नहीं चाहिए.. छोटी से जगह में छोड़ दीजिए… आठ दिनों में अंकुरित होना शुरू हो गए थे… मिशन में ये देखने को मिले… जैसे हमारे देश की विशेषज्ञता है … जैसे ही हमें माइक्रो ग्रेविटी में पहुंचने का मौका मिला ये वहां पहुंच गए।
पहला कोई भारतीय आया… भारतीयों को देखकर उनके मन में क्या रहता है… क्या पूछते हैं, क्या बात करते हैं?
-मेरा पर्सनल अनुभव बहुत अच्छा रहा… जहां भी गया सभी लोग मिलकर बहुत खुश हुए… बात करनें उत्सुक थे… यह पूछने में कि आप लोग क्या कर रहे हैं…कैसे कर रहे हैं…सबसे बड़ी बात कि सबको मालूम था कि भारत स्पेस के क्षेत्र में क्या कर रहा है… मुझे ज्यादा तो कई लोग गगनयान के बारे में इतने एक्साइटेड थे कि मुझसे आकर पूछते थे कि आपका मिशन कब जा रहा है… मेरे ही क्रूू मेट जो मेरे ही साथ थे मुझसे साइन करवा कर मुझसे लिखकर ले गए कि जब भी आपका गगनयान जाएगा आपको भी इन्वाइट करेंगे लॉन्च के लिए। मुझे लगता है कि बहुत ज्यादा उत्साह है।
होमवर्क जो दिया था उसमें क्या प्रोग्रेस है-हां काफी प्रोग्रेस है… लोग हंसे थे कि प्रधानमंत्री ने आपको होमवर्क दिया है… बहुत जरूरी है। मुझे इस बात का आभास है… मैं गया ही इसलिए था। मिशन सफल रहा है लेकिन यह मिशन का अंत नहीं है, यह शुरुआत है। आपने भी बोला था कि यह पहला कदम है। इस पहले कदम का उद्देश्य ही यही था कि हम कितना कुछ सीख सकते हैं।
सबसे बड़ा काम होगा हमारे सामने कि अंतरिक्ष यात्रियों का एक पूल होना चाहिए हमारे पास… हमारे पास 40-50 लोग रेडी हों इस प्रकार का… अबतक तो शायद बहुत कम बच्चों के मन में होता होगा लेकिन आपकी सफलता के बाद शायद वह विश्वास भी बढ़ेगा आकर्षण भी बढ़ेगा
-जब मैं छोटा था तब राकेश शर्मा सर गए थे पर एस्ट्रोनॉट बनने का सपना कभी मन में नहीं आया क्योंकि हमारे पास कोई प्रोग्राम नहीं था …लेकिन मैं जब इसबार गया स्टेशन में… तीन बार सामूहिक रूप से कार्यक्रमों में बच्चों से बातचीत की… तीनों कार्यक्रमों में बच्चे पूछते थे कि मैं कैसे एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। मैं समझता हूं कि यह अपने देश के लिए अपने आप में सफलता है… आज के भारत में उसको सपने देखने की जरूरत है क्योंकि उन्हें मालूम है कि यह मुमकिन है.. मौका है… ये मेरी जिम्मेदारी है कि मुझे मौका मिला कि मैं अपने देश को रिप्रजेंट कर पाया हूं और अब मेरी जिम्मेदारी है कि मैं ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को यहां तक पहुंचाऊं।
स्पेस स्टेशन और गगनयान, अब ये हमारे बड़े मिशन हैं…उसमें आपका अनुभव बहुत काम आएगा।
-मुझे लगता है कि कहीं न कहीं हमारे लिए बहुत बड़ा मौका है , खासकर जिस तरह का कमिटमेंट हमारी सरकार… आपके द्वारा जो है स्पेस प्रोग्राम को हर साल बजट…. असफलताओं के बाद भी… चंद्रयान 2 सफल नहीं हुआ उसके बाद भी हमने कहा कि हम आगे बढ़ेंगे… चंद्रयान 3 सफल हुआ… ऐसी ही असफताओं के बाद भी इतना समर्थन… पूरी दुनिया देख रही है…तो कहीं न कहीं हमारी क्षमता भी है और स्थियां भी हैं और हम यहां पर नेतृत्वकर्ता का किरदार हासिल कर सकते हैं…
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(Udaipur Kiran) पाश
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