औरैया, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद में स्थित पंचनद धाम तीर्थ क्षेत्र में इन दिनों यमुना नदी के किनारे मगरमच्छों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है। इसका कारण हाल ही में कोटा बैराज से छोड़ा गया चंबल नदी का तेज बहाव है, जिसके साथ बड़ी संख्या में क्रोकोडाइल सेंचुरी के मगरमच्छ यमुना में पहुंच गए हैं।
इस अप्रत्याशित घटना से जहां नदी तटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत का माहौल है, वहीं मगरमच्छों को देखने के लिए लोगों की भीड़ भी लगातार उमड़ रही है।
सेंचुरी से बहकर आए सैकड़ों जल जीव
ज्ञात हो कि पंचनद क्षेत्र में स्थित चंबल-यमुना-सिंध-पहूज-कुंवारी नदियों के महासंगम क्षेत्र को धार्मिक, ऐतिहासिक और पारिस्थितिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
यहाँ स्थित क्रोकोडाइल सेंचुरी, जो लगभग एक सदी पुरानी है, हजारों घड़ियालों, मगरमच्छों, डाल्फिनों, कछुओं, और मछलियों का प्राकृतिक आवास है।
हर साल प्रजनन काल में इनकी संख्या बढ़ती है, लेकिन बाढ़ के मौसम में तेज बहाव के चलते ये मगरमच्छ यमुना नदी में दूर-दूर तक फैल जाते हैं, जिससे मानव बस्तियों के नजदीक उनका पहुंचना खतरे की घंटी बन रहा है।
प्रशासनिक उदासीनता पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि सरकार और वन विभाग को इस संकट को गंभीरता से लेना चाहिए। अब तक कोई सुनियोजित प्रयास नहीं किए गए हैं ताकि बहकर आए मगरमच्छों को फिर से क्रोकोडाइल सेंचुरी में सुरक्षित रूप से वापस भेजा जा सके। यदि जल्द कार्यवाही नहीं हुई, तो यह स्थिति मानव-वन्यजीव संघर्ष का रूप ले सकती है। डर के कारण ग्रामीण नदी के पास नहीं जा रहे हैं । पर्यटक मगरमच्छों की तस्वीरें क्लिक कर रहे हैं।
जन अपील
स्थानीय प्रशासन और वन विभाग से मांग की जा रही है कि यमुना में फैले इन मगरमच्छों को संरक्षित तरीके से पुनः सेंचुरी में स्थानांतरित किया जाए, जिससे जनजीवन सामान्य हो सके।
—————
हिंदुस्थान समाचार कुमार
(Udaipur Kiran) कुमार
You may also like
उज्जैनः रात 12 बजे खुले नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट, दर्शन के लिए लगी लम्बी कतार
उज्जैनः नागचन्द्रेरश्वर भगवान के पट खुले पंचायती महानिर्वाणी अखाडे के महंत ने की पूजा
फूफा मेरी जान! फिर शादी के 34वें दिन पति की हत्या, 15 साल वाला राज़ भी बेपर्दा
लोक सभा में हंगामा, राजस्थान का झालावाड़ स्कूल त्रासदी मामले ने ऐसे पकड़ा यहां तूल
राजस्थान: 1 हजार किमी का सफर कर गंगोत्री से लाए गंगाजल, सावन में भगवान शिव के लिए की गई भक्ति अनूठी