शिमला, 30 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में मंगलवार बीती रात से हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। चम्बा, कांगड़ा और मंडी जिलों में भारी वर्षा दर्ज की गई। इससे सड़कें, बिजली और पानी की आपूर्ति पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। राज्य भर में 343 सड़कें, 551 बिजली ट्रांसफार्मर और 186 पानी की स्कीमें ठप हो गई हैं। मौसम विभाग ने आज भी राज्य के अधिकांश हिस्सों के लिए भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसके अलावा 31 जुलाई से 5 अगस्त तक कुछ इलाकों में भारी बारिश का येलो अलर्ट भी जारी किया गया है।
मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार चम्बा जिला के भटियात में सबसे ज्यादा 182 मिलीमीटर वर्षा हुई है। कांगड़ा जिला के पालमपुर में 157, कांगड़ा में 115, जोत में 85, नादौन में 76, पंडोह में 63 व देहरा गोपीपुर में 53 मिमी वर्षा हुई। चम्बा जिले में बारिश का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला है, जहां कई जगह बिजली के ट्रांसफार्मर खराब हो जाने से अंधेरा छा गया। अकेले चम्बा में 279 ट्रांसफार्मर ठप हो गए और 80 पेयजल योजनाएं भी बंद हो गईं। इसी तरह कुल्लू में 111 ट्रांसफार्मर और मंडी में 155 ट्रांसफार्मर खराब हुए हैं। कुल मिलाकर पूरे राज्य में 551 ट्रांसफार्मर और 186 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार बुधवार सुबह तक बारिश और भूस्खलन से प्रदेश में कुल 357 सड़कें बंद हो गई हैं। इनमें सबसे ज्यादा 217 सड़कें मंडी में, 53 चम्बा में और 47 सड़कें कुल्लू जिले में बंद हैं। लोक निर्माण विभाग की टीमें बहाली में जुटी हुई हैं, जबकि एनडीआरएफ को भी अलर्ट पर रखा गया है।
कुल्लू जिला और मनाली में भी रातभर हुई बारिश से नदी-नालों का जलस्तर बढ़ गया है। प्रशासन ने लोगों से नदी-नालों से दूर रहने की अपील की है। मंडी जिला प्रशासन ने भी पंडोह बांध से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने की सूचना दी है और आम लोगों, पर्यटकों व श्रमिकों से ब्यास नदी के किनारे से सुरक्षित दूरी बनाए रखने का आग्रह किया है।
इस बीच जनजातीय जिला किन्नौर में भी रुक-रुक कर बारिश हो रही है। खराब मौसम और मार्ग की असुरक्षित स्थिति के कारण आज किन्नर कैलाश यात्रा को भी स्थगित कर दिया गया है। यात्रा तभी दोबारा शुरू की जाएगी, जब मौसम अनुकूल होगा और मार्ग को सुरक्षित घोषित किया जाएगा।
अब तक मानसून का भारी कहर, 170 मौतें
आपातकालीन परिचालन केंद्र की दैनिक रिपोर्ट के अनुसार 20 जून से अब तक हिमाचल में बारिश, भूस्खलन और बाढ़ से 170 लोगों की मौत हो चुकी है। 278 लोग घायल हुए और 36 लापता हैं। सबसे ज्यादा मौतें मंडी जिले में 35 दर्ज हुईं, जहां 27 लोग लापता भी हैं। कांगड़ा में 25, कुल्लू और चंबा में 17-17, शिमला में 14, हमीरपुर, किन्नौर, सोलन और ऊना में 11-11, बिलासपुर में 8, लाहौल-स्पीति में 6 और सिरमौर में 4 लोगों की मौत हुई है।
103 लोग सीधे भूस्खलन, फ्लैश फ्लड और बादल फटने की घटनाओं में मारे गए जिनमें 34 मौतें भूस्खलन से, 43 फ्लैश फ्लड और 26 बादल फटने से हुई हैं। अब तक 43 बार फ्लैश फ्लड, 26 बार बादल फटने और 34 बार भूस्खलन की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। इसके अलावा सड़क हादसों में 76 लोगों की मौत हुई है।
बारिश और भूस्खलन से अब तक 1352 घरों को नुकसान पहुंचा, जिनमें 469 घर पूरी तरह ढह गए हैं। अकेले मंडी जिले में 986 घर प्रभावित हुए, जिनमें 376 घर पूरी तरह तबाह हो गए। 21,500 पोल्ट्री पक्षी और 1402 मवेशियों की भी मौत हो चुकी है।
अब तक मानसून से प्रदेश में 1538 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। इसमें लोक निर्माण विभाग को 780 करोड़ और जलशक्ति विभाग को 513 करोड़ रुपये की क्षति हुई है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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