गोरखपुर, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कार्य परिषद की बैठक कुलपति प्रो. पूनम टंडन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में आगामी 44वें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि और मानद उपाधि (मानद डिग्री) प्रदान किए जाने हेतु दो विशिष्ट वैज्ञानिकों के नामों पर विचार किया गया। दीक्षांत समारोह 25 अगस्त 2025 को आयोजित किया जाएगा।
बैठक में प्रस्तावित नामों में पहला नाम सुप्रसिद्ध रक्षा वैज्ञानिक एवं नीति आयोग के सदस्य प्रो. विजय कुमार सारस्वत का है, जबकि दूसरा नाम विख्यात अनुसंधानकर्ता एवं कुशल प्रशासक प्रो. आशुतोष शर्मा का है। कार्य परिषद द्वारा पारित यह प्रस्ताव कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अनुमोदन के लिए अग्रसारित किया जाएगा।
प्रो. विजय कुमार सारस्वत, पद्मश्री (1998) एवं पद्मभूषण (2013) से सम्मानित, वर्तमान में नीति आयोग के सदस्य और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रहे हैं। वे DRDO के पूर्व महानिदेशक तथा रक्षा मंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार रह चुके हैं। उनके नेतृत्व में भारत की आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली को नई दिशा मिली, जिसमें पृथ्वी, धनुष, प्रहार, अग्नि-5 और बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस जैसे मिसाइल कार्यक्रमों का सफल संचालन शामिल है। उन्होंने तेजस एलसीए और परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत जैसी स्वदेशी परियोजनाओं को परिचालन स्वीकृति दिलाई। साथ ही उन्होंने भारत में सीमित निर्यात प्रौद्योगिकियों जैसे रिंग/फाइबर-ऑप्टिक गाइरो, MEMS सेंसर और साइबर सुरक्षा अवसंरचना को विकसित करने में ऐतिहासिक योगदान दिया।
नीति आयोग में रहते हुए उन्होंने मेथनॉल इकोनॉमी कार्यक्रम की शुरुआत की और माइक्रोप्रोसेसर, टेक्निकल टेक्सटाइल, सुपरकंप्यूटिंग, स्मार्ट रेलवे एवं ऊर्जा प्रणालियों में नवाचार को बढ़ावा दिया। उन्होंने सैन्य प्रौद्योगिकियों को नागरिक जीवन और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के लिए उपयोगी बनाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई।
प्रो. आशुतोष शर्मा, पद्मश्री (2025), वर्तमान में IIT कानपुर में इंस्टिट्यूट चेयर प्रोफेसर एवं INAE विश्वेश्वरैया चेयर प्रोफेसर हैं। वे भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव (2015–2021) तथा इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी के अध्यक्ष (2023–2025) रह चुके हैं। प्रो. शर्मा ने नैनोप्रौद्योगिकी, कोलॉइड्स, पतली परतों और सॉफ्ट नैनोफैब्रिकेशन जैसे क्षेत्रों में अंतरविषयी अनुसंधान की नींव रखी है। उनके 350 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं, जिन्हें 20,000 से अधिक बार उद्धृत किया गया है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव के रूप में उन्होंने नवाचार, स्टार्टअप, उन्नत निर्माण, स्वच्छ ऊर्जा, साइबर-फिजिकल सिस्टम्स तथा STEM में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से कई राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रारंभ किए। कोविड-19 संकट के दौरान उनके निर्देशन में विज्ञान मंत्रालय ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अत्यंत आवश्यक उपकरणों और समाधानों का त्वरित विकास किया। उन्हें शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार, इन्फोसिस पुरस्कार (2010), TWAS पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से भी सम्मानित किया गया है।
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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
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