उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गरीब और मेहनतकश परिवारों के लिए एक ऐसी पहल शुरू की है, जो उनके जीवन में नई उम्मीद की किरण ला रही है। मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना के तहत सरकार नवजात बच्चों और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। यह योजना न केवल मजदूर वर्ग के लिए वरदान साबित हो रही है, बल्कि बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित कर समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा दे रही है। आइए, इस योजना की खासियतों और इसके लाभों को विस्तार से समझते हैं।
योजना का उद्देश्य और महत्वयह योजना विशेष रूप से पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के लिए बनाई गई है, जिनकी जिंदगी रोज की मेहनत-मजदूरी पर टिकी होती है। इसका मुख्य मकसद है नवजात शिशुओं के जन्म पर परिवारों को आर्थिक बोझ से राहत देना और बच्चों के बेहतर भविष्य की नींव रखना। खास बात यह है कि इस योजना में बेटियों को विशेष प्राथमिकता दी गई है, जो समाज में बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है। चाहे बेटा हो या बेटी, यह योजना हर परिवार के लिए आशा की नई किरण बन रही है।
बेटियों के लिए विशेष प्रावधानयोजना के तहत बेटी के जन्म पर सरकार 25,000 रुपये की आर्थिक सहायता देती है, जबकि बेटे के जन्म पर 20,000 रुपये प्रदान किए जाते हैं। बेटियों के लिए 5,000 रुपये अतिरिक्त राशि का प्रावधान न केवल उनके जन्म को प्रोत्साहित करता है, बल्कि परिवारों को यह संदेश भी देता है कि बेटियां बोझ नहीं, बल्कि गर्व का विषय हैं। यदि परिवार की पहली या दूसरी संतान बेटी है, या फिर कानूनी रूप से गोद ली गई बेटी है, तो भी यह राशि दी जाती है।
दिव्यांग बालिकाओं के लिए अनूठी पहलइस योजना की सबसे खास बात है दिव्यांग बालिकाओं के लिए विशेष प्रावधान। यदि कोई नवजात बेटी जन्म से दिव्यांग है, तो सरकार उसके लिए 50,000 रुपये की सावधि जमा करती है। यह राशि बेटी के 18 वर्ष की आयु तक अविवाहित रहने पर उसे मिलेगी, जो उसके भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करेगी। यह कदम न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करता है, बल्कि समाज में दिव्यांग बच्चों के प्रति संवेदनशीलता को भी बढ़ाता है।
माताओं के लिए अतिरिक्त लाभयोजना केवल बच्चों तक सीमित नहीं है। प्रसव के बाद महिला श्रमिकों को तीन महीने का न्यूनतम वेतन और 1,000 रुपये का चिकित्सा बोनस भी दिया जाता है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि मां और बच्चे दोनों को प्रसव के बाद आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी सहायता मिले। यह कदम खासकर उन परिवारों के लिए मददगार है, जिनके लिए प्रसव के बाद काम पर लौटना मुश्किल होता है।
पात्रता और आवेदन की प्रक्रियाइस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी। श्रमिक की आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए और पिछले 12 महीनों में कम से कम 90 दिन तक निर्माण कार्य में शामिल होना अनिवार्य है। इसके अलावा, 20 रुपये का पंजीकरण शुल्क और 20 रुपये का वार्षिक अंशदान देना होगा।
आवेदन की प्रक्रिया बेहद आसान है। आप अपने नजदीकी जन सेवा केंद्र (CSC) पर जाकर आवेदन कर सकते हैं या www.upbocw.in पर ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं। आवेदन के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की जरूरत होगी:
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आधार कार्ड
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पासपोर्ट साइज फोटो
यह योजना न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करती है, बल्कि समाज में बेटियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देती है। उत्तर प्रदेश के हजारों श्रमिक परिवारों ने इस योजना से लाभ उठाया है और अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य की नींव रखी है। यह पहल न केवल गरीबी से जूझ रहे परिवारों के लिए आर्थिक राहत ला रही है, बल्कि लैंगिक समानता और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में भी एक मिसाल कायम कर रही है।
अभी आवेदन करें, लाभ उठाएंअगर आप या आपके जानने वाले इस योजना के पात्र हैं, तो देर न करें। तुरंत अपने नजदीकी जन सेवा केंद्र पर जाएं या ऑनलाइन आवेदन करें। यह योजना आपके परिवार के लिए एक नया अवसर हो सकती है, जो आपके बच्चों के भविष्य को और सुरक्षित बनाएगी। योगी सरकार की इस पहल ने साबित कर दिया है कि छोटे-छोटे कदम भी समाज में बड़े बदलाव ला सकते हैं।
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