हमेशा सुर्खियों में रहने वाली भारतीय क्रिकेट टीम का चयन करना आसान काम नहीं और पिछले कुछ अर्से में कठिन फैसले नहीं लेने के कारण चयन समितियों को ‘रीढहीन’ तक करार दिया गया।एक सप्ताह के भीतर ही हालांकि अजित अगरकर की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने रोहित शर्मा और विराट कोहली के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास में अहम भूमिका निभाकर इस धारणा को बदल दिया। निश्चित तौर पर मुख्य कोच गौतम गंभीर को भी इसकी जानकारी रही होगी।
इंग्लैंड के खिलाफ 20 जून से शुरू हो रहे विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के नये चक्र से पहले चयनकर्ताओं ने रोहित को अपने फैसले से अवगत करा दिया। इसके साथ ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के कोहली के अनुरोध को भी मान लिया।जिस देश में कोहली और रोहित जैसे ‘लीजैंड’ के संन्यास को संभालना मुश्किल काम था, चयनकर्ताओं ने दूरदर्शिता दिखाई।
चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि अगरकर और उनकी टीम को इन दोनों महान खिलाड़ियों के संन्यास से पेशेवर तरीके से निपटने के लिये सराहना मिलनी चाहिये।
उन्होंने कहा ,‘‘ निश्चित तौर पर चयनकर्ताओं को इसका श्रेय मिलना चाहिये। ’’वेंगसरकर ने कहा ,‘‘ चयन समितियों की तुलना आसान नहीं है। मैं नहीं करना चाहूंगा। हर किसी की अपनी सोच होती है।’’
कोहली और रोहित के दौर से आगे निकलकर चयनकर्ताओं ने शुभमन गिल, यशस्वी जायसवाल और ऋषभ पंत जैसे युवाओं पर भरोसा जताया है। गिल अभी तक बड़ी टीमों के खिलाफ खुद को साबित नहीं कर सके हैं। उनका कप्तान और पंत का उपकप्तान बनना तय लग रहा है।
केएल राहुल अतीत में टेस्ट कप्तान रह चुके हैं लेकिन चयनकर्ताओं की पसंद गिल हो सकते हैं जो राहुल से आठ साल छोटे हैं।रोहित और कोहली दोनों आस्ट्रेलिया में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में नाकाम रहे। रोहित ने तो सिडनी टेस्ट से खुद को बाहर भी कर लिया। सिडनी जैसे हालात के दोहराव से बचने के लिये चयनकर्ताओं ने सही फैसला लिया।
दूसरी ओर कोहली आस्ट्रेलिया दौरे पर आफ स्टम्प से बाहर जाती गेंदों को नहीं खेल पाये ।मौजूदा फॉर्म को देखते हुए लग रहा था कि वह इस कमजोरी से उबर चुके हैं लेकिन उन्होंने संन्यास का फैसला ले लिया। (भाषा)
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